| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रतिसारण					 : | पुं० [सं० प्रति√सृ+णिच्+ल्युट्—अन] १. अलग या दूर करना। हटाना। २. मसूड़े साफ करने के लिए किया जानेवाला मंजन। ३. किसी अंग पर कोई दवा या मरहम लगाकर मलना। ४. वैद्यक में एक प्राचीन प्रकिया जिसमें किसी रुग्ण अंग की चिकित्सा के लिए उसे जलाने के लिए घी या तेल से दागा जाता था। ५. आज-कल, घावों और फोड़े-फुन्सियों को धोकर और उन पर दवा लगाकर पट्टी आदि बाँधने की क्रिया। मरहम-पट्टी। (ड्रेसिंग) | 
			
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				| प्रतिसारण-शाला					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] वह स्थान या कमरा जहाँ रोगियों के घावों आदि का प्रतिसारण या मरहम-पट्टी होती है। (ड्रेंसिंग रूम) | 
			
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				| प्रतिसारणीय					 : | वि० [सं० प्रति√सृ+णिच्+अनीयर्] १. हटाकर दूसरे स्थान पर ले जाने के योग्य। प्रतिसारण के योग्य। २. (घाव) जिस पर मरहम-पट्टी की जाने को हो या की जानी चाहिए। पुं० सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की क्षार-पाक-विधि जो कुष्ठ, भकंदर, दाह, कुष-व्रण, झाँई, मुँहासे और बवासीर आदि में अधिक उपयोगी होती है। | 
			
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