| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रतिहार					 : | पुं० [सं० प्रति√हृ+अण्] [भाव० प्रतिहारत्व, स्त्री० प्रतिहारी] १. प्राचीन काल का एक राजकर्मचारी जो सदा राजाओं के पास रहा करता था और राजाओं के संदेश लोगों तक पहुँचाता था। २. द्वारपाल। दरबान। ३. चोबदार। ४. ऐंद्रजालिक। जादूगर। ५. सामवेद गान का एक अंग। ६. दो दलों या व्यक्तियों में होनेवाली वह सन्धि या समझौता जिसमें यह निश्चय होता है कि पहले हम तुम्हारा अमुक काम कर देते हैं; पर इसके उपरान्त तुम्हे भी हमारा अमुक काम करना पड़ेगा। | 
			
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				| प्रतिहारक					 : | पुं० [सं० प्रति√हृ+ण्वुल्—अक] १. इंद्रजाल दिखानेवाला। बाजीगर। २. वह जो प्रतिहार नामक सामक गान करता हो। | 
			
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				| प्रतिहारत्व					 : | पुं० [सं० प्रतिहार+त्व] ड्योढ़ीदारी। प्रतिहार या द्वारपाल का काम या पद। | 
			
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				| प्रतिहारित					 : | भू० कृ० [सं० प्रति√हृ+णिच्+क्त] जिसका स्वागत किया गया हो। | 
			
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				| प्रतिहारी (रिन्)					 : | पुं० [सं० प्रति √हृ+णिनि] [स्त्री० प्रतिहारिणी] द्वारपाल। दरबान। स्त्री० वह स्त्री जो प्राचीनकाल में राजाओं के यहाँ प्रतिहार का काम करती थी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| प्रतिहार्य					 : | पुं० [सं० प्रति√हृ+ण्यत्] इंद्रजाल। बाजीगरी। | 
			
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