| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रत्यंग					 : | पुं० [सं० प्रति-अंग, प्रा० स०] १. शरीर का कोई गौण या छोटा अंग। जैसे—अंग-प्रत्यंग में पीड़ा होना। २. किसी चीज के गौण या छोटे अंग या अंश। जैसे—इस विषय के सभी अंग-प्रत्यंग उन्होंने देख डाले हैं। ३. ग्रन्थ का अध्याय या परिच्छेद। ४. अस्त्र। ५. एक प्रकार की पुरानी तौल। | 
			
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				| प्रत्यंगिरा (रस्)					 : | पुं० [सं०] १. पुराणानुसार चाक्षुष मन्वंतर के अंगिरस के पुत्र एक ऋषि का नाम। २. सिरस का पेड़। ३. बिसखोपड़ा नामक जन्तु। स्त्री० तांत्रिकों की एक देवी। | 
			
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