शब्द का अर्थ
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प्रद :
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वि० [सं० प्र√दा+क] समस्त पदों के अन्त में, (क) देनेवाला। दाता। जैसे—सुखप्रद, फलप्रद। (ख) उत्पन्न करनेवाला। जैसे—तापप्रद। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदक्षिण :
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विं. [सं० प्रा० स०] १. योग्य। समर्थ। २. चतुर। होशियार। पुं०=प्रदक्षिणा। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदक्षिणा :
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स्त्री० [प्रा० स०] धार्मिक क्षेत्र में, देवमूर्ति या पवित्र स्थान के प्रति भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने के लिए उसके चारो ओर एक प्रकार घूमना या चक्कर लगाना कि वह देवमूर्ति या पवित्र स्थान बराबर दाहिनी ओर रहे। परिक्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदग्ध :
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भू० कृ० [सं० प्रा० स०] बहुत जला हुआ। |
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प्रदच्छिन :
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पुं०=प्रदक्षिण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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प्रदच्छिना :
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स्त्री०=प्रदक्षिणा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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प्रदत्त :
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भू० कृ० [सं० प्र√दा (देना)+क्त] दिया या प्रदान किया हुआ। |
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प्रदर :
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पुं० [सं० प्र√दृ (फाड़ना)+अप् १. तोड़ने फोड़ने की क्रिया या भाव। २. तितर-बितर होना। ३. स्त्रियों का एक रोग जिसमें उनके गर्भाशय से सफेद या लाल रंग का लसदार गंदा तरल पदार्थ बहता रहता है। (ल्यूकोरिया) ४. तीर। वाण। ५. दरार। |
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प्रदर्प :
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पुं० [सं० प्रा० स०] बहुत अधिक या बढ़ा हुआ दर्प। |
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प्रदर्श :
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पुं० [सं० प्र√दृश, (देखना)+घञ्] १. आकृति। रूप। शकल। २. आदेश। आज्ञा। |
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प्रदर्शक :
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वि० [सं० प्र√दृश्+णिच्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० प्रदर्शिका] १. प्रदर्शन करनेवाला। २. दिखलानेवाला। ३. पथप्रदर्शक। ४. दे० प्रादर्शनिक’। पुं० १. गुरु। २. दर्शक। ३. सिद्धान्त। |
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प्रदर्शन :
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पुं० [सं० प्र√दृश्+णिच्+ल्युट्—अन] [वि० प्रादर्शनिक, भू० कृ० प्रदर्शित] १. लोगों की जानकारी के लिए कोई काम उन्हें दिखालाना। जैसे—बालकों द्वारा व्यायाम प्रदर्शन। २. जनता को अपना असंतोष, दुःख आदि बतलाने तथा उसकी सहानुभूति प्राप्त करने रूप से संबंद्ध अधिकारियों के अन्याय के विरोध में नारे आदि लगाते हुए निकाला जानेवाला जुलूस। (डिमांस्ट्रेन) ३. दे० ‘प्रदर्शनी’। |
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प्रदर्शनी :
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स्त्री० [सं० प्रदर्शन+ङीप्] ऐसा स्थान जहाँ विशेष रूप में नई तथा चामत्कारिक चीजों का प्रदर्शन किया जाता है। (एक्सहिबिशन) |
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प्रदर्शित :
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भू० कृ० [सं० प्र√दृश्+णिच्+क्त] १. जिसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन हुआ हो। दिखलाया हुआ। २. प्रदर्शनी में रखा हुआ। |
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प्रदर्शी (र्शिन्) :
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वि० [सं० प्र√दृश्+णिनि] [स्त्री० प्रदर्शिनी] १. जो देखता हो। दर्शक। २. दे० ‘प्रदर्शक’। |
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प्रदल :
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पुं० [सं० प्र√दल् (रौंदना)+अच्] वाण। तीर। |
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प्रदाता (तृ) :
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वि० [सं० प्र√दा (देना)+तृच्] प्रदान करने या देनेवाला। दाता। पुं० १. बहुत बड़ा दानी। २. इन्द्र। ३. एक विश्वेदेवा। |
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प्रदान :
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पुं० [सं० प्र√दा+ल्युट्—अन्] [भू० कृ० प्रदत्त, वि० प्रेदय] १. देने की क्रिया या भाव विशेषतः बड़ों के द्वारा छोटों को दिया जानेवाला दान। २. इस प्रकार दी जानेवाली वस्तु। ३. इनाम। पुरस्कार। ४. कन्या-दान। ५. अंकुश। |
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प्रदानक :
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पुं० [सं० प्रदान+कन्] १. दान। २. उपहार। भेंट। वि०, पुं० दे० ‘प्रदाता’। |
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प्रदानी :
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वि०=प्रदायक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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प्रदाय :
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पुं० [सं० प्र√दा+घञ्] १. प्रदान की हुई वस्तु। २. उपहार। भेंट। |
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प्रदायक :
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वि० [सं० प्र√दा+ण्वुल्—अक] [स्त्री० प्रदायिका] १. प्रदान करनेवाला। २. समस्त पदों के अन्त में, देनेवाला। जैसे—सुखप्रदायक। |
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प्रदायी (यिन्) :
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वि० [सं० प्र√दा+णिनि] [स्त्री० प्रदायिनी] प्रदायक। |
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प्रदाह :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. ज्वर आदि के कारण अथवा और किसी कारण शरीर में होनेवाली जलन। दाह। २. किसी प्रकार का मानसिक कष्ट या ताप। ३. विनाश। बरबादी। |
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प्रदिक् :
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स्त्री०=प्रदिशा। |
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प्रदिशा :
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स्त्री० [सं० प्रा० स०] दो मुख्य दिशाओं के बीच कि दिशा। कोण। विदिशा। |
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प्रदिष्ट :
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भू० कृ० [सं० प्र√दिश् (बताना)+क्त] १. दिखाया हुआ। २. बताया हुआ। ३. नियत किया हुआ। ठहराया हुआ। ४. जिसके विषय में प्रदेशन हुआ हो। आदिष्ट। (प्रेसकाइब्ड) ५. सुभीते के लिए खंड या भाग के रूप में लोगों में बाँटा या उन्हें दिया हुआ। नियत। (एलॉटेड) |
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प्रदीप :
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वि० [सं० प्र√ दीप् (चमकना)+अच्] प्रकाश करने या देनेवाला। पुं० १. दीपक। दीया। २. प्रकाश। रोशनी। ३. संपूर्ण जाति का एक राग जिसके गाने का समय तीसरा प्रहर है। किसी किसी ने इसे दीपक राग का पुत्र माना। |
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प्रदीपक :
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वि० [सं० प्र√दीप्+णिच्+ण्वुल्—अक] [स्त्री० प्रदीपिका] १. प्रदीपन करनेवाला। २. प्रकाश या रोशनी करनेवाला। पुं० वैद्यक के अनुसार नौ प्रकार के विषों में से एक प्रकार का भयंकर स्थावर विष। कहते हैं कि इसके सूँघने मात्र से मनुष्य मर जाता है। |
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प्रदीपकी :
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स्त्री० [सं० प्रदीपक+ङीष्] संगीत में एक प्रकार की रागिनी। |
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प्रदीपति :
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स्त्री० =प्रदीप्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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प्रदीपन :
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पुं० [सं० प्र√दीप्+णिच्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० प्रदीप्त] १. प्रकाश करने का काम। उजाला करना। २. उज्ज्वल करना। चमकाना। ३. उत्तेजित करना। भड़काना। ४. तीव्र या तेज करना। ५. [प्र√दीप्+णिच्+ल्यु—अन] वह जिससे पेट की अग्नि तीव्र हो, भूख लगे तथा भोजन पचे। ६. प्रदीपक नाम का स्थावर विष। |
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प्रदीप-न्याय :
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पुं० [ष० त०] सांख्य का यह मत या सिद्धान्त कि जिस प्रकार आग, तेल और बत्ती के संयोग से प्रतीप या दीया जलता है, उसी प्रकार सत्त्व, रज और तम के सहयोग के शरीर से सब काम होते हैं। |
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प्रदीपिका :
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स्त्री० [सं० प्रदीपक+टाप्, इत्व] १. छोटी लालटेन। २. संगीत में एक रागिनी जो किसी किसी के मत में दीपक राग की स्त्री है। ३. आज-कल टीका, व्याख्या आदि के रूप में कोई ऐसी पुस्तक जिससे कोई दूसरी कठिन पुस्तक पढ़ने या समझने में सहायता मिलती हो। |
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प्रदीप्त :
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वि० [सं० प्र√दीप्+क्त] [भाव० प्रदीप्ति] १. जलता हुआ। २. चमकता या जममगाता हुआ। प्रकाशित। ३. उज्ज्वल। चमकीला। |
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प्रदीप्ति :
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स्त्री० [सं० प्र√दीप्+क्तिन्] १. रोशनी। प्रकाश। २. चमक। |
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प्रदुमन :
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पुं०=प्रद्युम्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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प्रदुष्ट :
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वि० [सं० प्र√दुष् (बिगड़ना)+क्त] १. बिगड़ा हुआ। दोषयुक्त। २. बुरे स्वभाववाला। दुष्ट। ३. लंपट। व्यभिचारी। ४. लोभ, स्वार्थ आदि के कारण नैतिक दृष्टि से गिरा हुआ। (कोरप्ट) |
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प्रदूषक :
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वि० [सं० प्र√दूष् (नष्ट करना)+णिच्+ण्वुल्—अक्] १. नष्ट करनेवाला। २. अपवित्र करनेवाला। |
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प्रदूषण :
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पुं० [सं० प्र√दूष्+णिच्+ल्युट्—अन] १. नष्ट करना। चौपट या बरबाद करना। २. अपवित्र करना। |
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प्रदूषित :
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भू० कृ० [सं० प्रा० स०] १. नष्ट किया हुआ। २. अपवित्र किया हुआ। दूषित। ३. प्रदुष्ट (व्यक्ति)। |
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प्रदेय :
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वि० [सं० प्र√दा (देना)+यत्] १. जो प्रदान किये जाने के योग्य हो। जो दिया जा सके। २. (कन्या) जो विवाह करके किसी को देने के योग्य हो। पुं० ऐसी अच्छी चीज जो उपहार या भेंट के रूप में दी जा सके। |
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प्रदेयक :
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पुं० [सं० प्रदेय+कन्] इनाम। पुरस्कार। |
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प्रदेश :
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पुं० [सं० प्रा० स०] [वि० प्रादेशिक] १. भू-भाग का कोई खंड, विशेषतः कोई बड़ा खंड। २. किसी संघ राज्य की कोई इकाई। जैसे—उत्तर या मध्यप्रदेश। ३. प्रांत। (दे०) ४. अंग। अवयव। ५. दीवार। ६. नाम। संज्ञा। ७. सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की तंत्र-युक्ति। ८. अँगूठे के अगले सिरे से होकर तर्जनी के अगले सिरे तक की दूरी। छोटा बित्ता या बालिश्त। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेशकारी (रिन्) :
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पुं० [सं० प्रदेश√कृ (करना)+णिनि] योगियों ता एक सम्प्रदाय। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेशन :
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पुं० [सं० प्र√दिश्+ल्युट्—अन] १. उपहार। भेंट। २. आज्ञा, आदेश, नियम आदि के रूप में यह बतलाया कि यह काम इस प्रकार होना चाहिए। (प्रेसक्रिप्शन) ३. कार्य, वस्तु आदि के छोटे-छोटे भाग करके सुभीते के लिए उन्हें अलग-अलग लोगों को देना या उनमें बाँटना। नियतन। (एलॉटमेन्ट) |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेशनी :
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स्त्री [सं० प्र√दिश्+ल्युट्—अन,+ ङीष्] अँगूठे के पास की उंगली। तर्जनी। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेशित :
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भू० कृ० [सं० प्र√दिश्+णिच्+क्त] १. दिखलाया या बतलाया हुआ। २. जिसका प्रदेशन हुआ हो। प्रदिष्ट। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेशी (शिन्) :
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वि० [सं० प्रदेश +इनि] प्रदेश-संबंधी। प्रदेश का। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेशीय :
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वि० [सं० प्रदेश+छ—ईय] किसी प्रदेश में होनेवाला अथवा उससे सम्बन्ध रखनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेष्टा (ष्टृ) :
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पुं० [सं० प्र√दिश्+तृच्] १. प्रधान विचारपति। २. वह जो प्रदेशन करता हो। (प्रेसक्राइबर) |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदेह :
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पुं० [सं० प्र√दिह्+घञ्] १. वह औषध या लेप जो फोड़े पर, उसे दबाने या बैठाने के लिए लगाया जाय। २. एक तरह का व्यंजन। |
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प्रदोष :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. सूर्य के अस्त होने का समय। संध्या। २. एक प्रकार का उपवास या व्रत जो प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी को होता है और जिसमें सूर्यास्त से कुछ पहले ही शिव का पूजन करने भोजन किया जाता है। ३. बहुत बड़ा दोष। ४. पक्षपात, आर्थिक लाभ, स्वार्थ आदि के अभिभूत होने के फलवस्वरूप होनेवाला नैतिक पतन। (कोरप्शन) |
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समानार्थी शब्द-
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प्रदोषक :
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वि० [सं० प्रदोष+वुन्—अक] १. प्रदोषकाल सम्बन्धी। २. जो प्रदोषकाल में उत्पन्न हुआ हो। ३. दे० ‘प्रदुष्ट’। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रद्धटिका :
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स्त्री० =पज्झटिका। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रद्युम्न :
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पुं० [सं० ब० सं०] १. कामदेव। कंदर्प। २. श्रीकृषण के एक पुत्र का नाम। ३. मनु के एक पुत्र का नाम। ४. वैष्णवों में, चतुर्व्यूहात्मक विष्णु के एक अंश का नाम। ५. बहुत बड़ा बहादुर या वीर पुरुष। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रद्योत :
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पुं० [सं० प्र√द्युत्+घञ्] १. किरण। रश्मि। २.दीप्ति। आभा।। चमक। 3. एक यक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रद्योतन :
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पुं० [सं० प्र√द्युत्+युत्—अन] १. दीप्ति से युक्त करना। चमकाना। २. चमक। दीप्ति। ३. सूर्य। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रद्धार :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. मुख्य द्वार के अगल-बगल या आस-पास का भाग। २. बड़ा या मुख्य द्वार। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रद्वेषी (षिन्) :
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स्त्री० [सं० प्र√द्विष्+णिनि] दीर्घतमा ऋषि की पत्नी। (महा०) वि० मन में द्वेष रखनेवाला। द्वेषी। |
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समानार्थी शब्द-
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