| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रमाथ					 : | पुं० [सं० प्र√मथ्+घञ्] १. मथन। २. कष्ट देना। पीड़न। ३. नष्ट करना। न रहने देना। ४. मार डालना। ५. बलात् किया जानेवाला संभोग। बलात्कार। ६. बलपूर्वक किसी से कुछ छीन लेना। ७. प्रतिद्वद्वी को जमीन पर पटककर उस पर चढ़ बैठना और उसे घस्सा देना। ८. शिव का एक गण। ९. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। १॰. कार्तिकेय का एक अनुचर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| प्रमाथी (थिन्)					 : | वि० [सं० प्र√मथ्+णिनि] [स्त्री० प्रमाथिनी] १. प्रमथन करने या मथनेवाला। २. कष्ट देने या पी़ड़ित करनेवाला। ३. नष्ट करनेवाला। नाशक। ४. मार डालनेवाला। ५. घातक। ६. काटनेवाला। पुं० १. बृहत्संहिता के अनुसार बृहस्पति के ऐंद्र नामक तीसरे युग का दूसरा संवत्सर जो निकृष्ण माना गया है। २. वह ओषध जो मुँह, आँख, कान आदि में जमा हुआ कफ बाहर निकाल दे। ३. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। | 
			
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