शब्द का अर्थ
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प्रमाद :
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पुं० [सं० प्र√मद्+घञ्] १. किसी प्रकार के मद या नशे में होने की अवस्था या भाव। २. वह मानसिक स्थिति जिसमें मनुष्य अभिमान, असावधानता, उपेक्षा, प्रभुत्व, भ्रम आदि के कारण बिना कुपरिणाम का विचार किये कोई अनुचित काम, बात या भूल कर बैठता है। ३. उक्त प्रकार की मानसिक अवस्था में की जानेवाली कोई बहुत बड़ी भूल। ४. दुर्घटना। ५. बेहोशी। मूर्च्छा। ६. अंतःकरण की दुर्बलता। ७. उन्माद। पागलपन। ८. योग-शास्त्र में समाधि के साधनों की ठीक तरह से भावना न करना या उन्हें ठीक न समझना। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रमादतः :
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अव्य० [सं० प्रमाद+तस्] प्रमाद के कारण। |
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प्रमादवान् (वत्) :
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वि० [सं० प्रमाद+तुप्, वत्व] (व्यक्ति) जो प्रमाद करता हो अर्थात् बिना कुपरिणाम का विचार किये अनुचित या गलत काम करता हो। |
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प्रमादिक :
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वि० [सं० प्रमाद+ठन्—इक] १. प्रमाद-सम्बन्धी। प्रमाद का। २. प्रमाद करनेवाला। प्रमादशील। |
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प्रमादिका :
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स्त्री० [सं० प्रमादिक+टाप्] ऐसी कन्या जिसके साथ किसी ने बलात्कार किया हो। |
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प्रमादिनी :
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स्त्री० [सं० प्रमादिन्+ङीप्] संगीत में एक रागिनी जो हिंडोल राग की सहचरी कही गई है। |
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प्रमादी (दिन्) :
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वि० [सं० प्रमाद+इनि] [स्त्री० प्रमादिनी] १. (व्यक्ति) जो प्रमाद करता हो। प्रमादवान्। २. पागल। |
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