| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रसन					 : | पुं० [सं० प्रस्त्रवण] गिरना, झरना या बहना। उदा०—पेखि रुषमणी जल प्रसन।—प्रिथीराज। पुं०=प्रश्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=प्रसन्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| प्रसन्न					 : | वि० [सं० प्र√सद्+क्त] [भाव० प्रसन्नता] १. जो अनुकूल परिस्थितियों से संतुष्ट और प्रफुल्लित रहता हो। २. जो किसी कार्य या बात के गुणों या फलों को देखकर संतुष्ट तथा प्रफुल्लित हुआ हो। पुं० महादेव। शिव। स्त्री०=पसंद। | 
			
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				| प्रसन्नता					 : | स्त्री० [सं० प्रसन्न+तल्+टाप्] १. प्रसन्न होने या रहने की अवस्था या भाव। खुशी हर्ष। २. अनुग्रह। ३. निर्मलता। स्वच्छता। | 
			
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				| प्रसन्न-मुख					 : | वि० [सं० ब० स०] जिसके चेहरे से ही उसका प्रसन्न होना प्रकट हो रहा हो। | 
			
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				| प्रसन्ना					 : | स्त्री० [सं० प्रसन्न+टाप्] १. प्रसन्न करने की क्रिया या भाव। २. चावल से बनाई हुई एक तरह की शराब। | 
			
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				| प्रसन्नात्मा (त्मन्)					 : | वि० [सं० प्रसन्न-आत्मन्, ब० स०] सदा प्रसन्न रहनेवाला। पुं० विष्णु। | 
			
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				| प्रसन्नित					 : | वि०=प्रसन्न।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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