| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रसेक					 : | पुं० [सं० प्र√सिच् (सींचना)+घञ्] १. सेचन। सींचना। २. निचुड़ने या निचोड़ने की क्रिया या भाव। ३. निचुड़ने या निचोड़ने पर निकलनेवाला जल या और कोई तरल पदार्थ। ४. छिड़काव। ५. थोड़ा-थोड़ा बहना। रसना। ६. बाहर निकलना। ७. जुकाम या सरदी में नाक से पतला पानी निकलने का रोग। ८. वीर्य के पतले होकर, धीरे-धीरे निकलते रहने का रोग। जिरियान। | 
			
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				| प्रसेकी (किन्)					 : | वि० [सं० प्र√सिच्+घिणुन्] १. बहनेवाला। २. जिससे मवाद निकलता रहे। ३. ऐसे व्रणवाला। ४. कै करता हुआ। पुं० एक प्रकार का असाध्य व्रण या घाव। | 
			
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