शब्द का अर्थ
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प्रस्थ :
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वि० [सं० प्र√स्था (ठहरना)+क] १. प्रस्थान करनेवाला। २. कहीं पहुँचकर वहाँ रहनेवाला। जैसे—वानप्रस्थ। पुं० १. पहाड़ के ऊपर की चौरस भूमि। (टेबुल लैंड) २. सम-तल भूमि। चौरस मैदान। ३. पहाड़ का ऊँचा किनारा। ४. किसी चीज का बहुत ऊपर उठा हुआ भाग। ५. फैलाव। विस्तार। ६. प्राचीन काल का एक मान जो दो प्रकार का होता था—एक तौलने का और दूसरा मापने का। |
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प्रस्थ-पुष्प :
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पुं० [ब० स०] १. छोटे पत्तोंवाली तुलसी। २. मरुआ। ३. जँबीरी। नीबू। |
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प्रस्थल :
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पुं० [सं० प्रस्थ√ला (लेना)+क] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन देश। |
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प्रस्थान :
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पुं० [सं० प्र√स्था+ल्युट्—अन] १. एक स्थान से दूरवाले किसी दूसरे स्थान की ओर चलना। यात्रा आरंभ करना। रवानगी। (डिपार्चर)। २. सेना का युद्ध-क्षेत्र की ओर जाना। कूच। ३. आस्तिक हिंदुओं की एक प्रथा जिसमें वे शुभ मुहूर्त में यात्रा आरंभ न कर सकने पर उसके प्रतीक के रूप में अपने ओढ़ने-पहनने का कोई कपड़ा उस दिशा के किसी समीपस्थ गृहस्थ के घर रख देते हैं जिस दिशा में उन्हें जाना होता है। क्रि० प्र०—रखना। ४. मरण। मरना। ५. मार्ग। रास्ता। ६. ढंग। तरीका। ७. वैखरी वाणी के ये अठारह अंग-चारों वेद, चारों उपवेद, ६ वेदांग, धर्मशास्त्र न्याय, मीमांसा और पुराण। |
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प्रस्थान-त्रयी :
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स्त्री० [सं० ष० त०] उपनिषदों, वेदांत सूत्रों और भगवद्गीता का सामूहिक नाम जिनमें प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों मार्गों का तात्त्विक विवेचन है। |
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प्रस्थानी (निन्) :
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वि० [सं० प्रस्थान+इनि] प्रस्थान अर्थात् यात्रा आरंभ करनेवाला। प्रस्थानकर्ता। पुं० दे० प्रस्थान ‘३’। |
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प्रस्थानीय :
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वि० [सं० प्र√स्था+अनीयर्] जहाँ या जिसके लिए प्रस्थान किया जा सके। |
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प्रस्थापक :
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वि० [सं० प्र√स्था+णिच्, पुक्√ण्वुल्-अक] १. प्रस्थापन करनेवाला २. प्रस्ताव करनेवाला। प्रस्तावक। प्रस्तोता। |
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प्रस्थापन :
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पुं० [सं० प्र√स्था+णिच्, पुक्√ल्युट्—अन] [भू० कृ० प्रस्थापित, वि० प्रस्थानी, प्रस्थाप्य] १. प्रस्थान करना। भेजना। २. प्रेरणा। ३. कोई बात या विषय प्रमाणों आदि से सिद्ध करते हुए किसी के सामने उपस्थित करना या रखना। स्थापना। ४. उपयोग या व्यवहार करना। ५. मशीनों, यंत्रों आदि को किसी स्थान पर लगाना। प्रतिष्ठित करना। ६. उक्त रूप में बैठाये या लगाये हुए यंत्रों की सामूहिक संज्ञा। संस्थापन। (इन्स्टालेशन, अंतिम दोनों अर्थों में) |
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प्रस्थापना :
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स्त्री०=प्रस्थापन। |
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प्रस्थापित :
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भू० कृ० [सं० प्र√स्था+णिच्, पुक्,+क्त] १. जिसका प्रस्थापन हुआ हो या किया गया हो। भेजा हुआ। प्रेषित। |
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प्रस्थापी (पिन्) :
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वि० [सं० प्र√स्था+णिनि] १. प्रस्थान करनेवाला। २. जो कहीं भेजा जाने को हो। २. स्थायी। चिरस्थायी। |
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प्रस्थिका :
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स्त्री० [सं० प्रस्थ+ठन्—इक्,+टाप्] १. आमड़ा। २. पुदीना। |
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प्रस्थित :
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भू० कृ० [सं० प्र√स्था+क्त] [भाव० प्रस्थिति] १. जिसने प्रस्थान किया हो। २. जिसे कहीं भेजा गया हो। ३. जो अच्छी तरह या दृढ़तापूर्वक स्थित हो। |
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प्रस्थिति :
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स्त्री० [सं० प्र√स्था+क्तिन्] १. प्रस्थित होने की अवस्था या भाव। २. प्रस्थान। गमन। |
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प्रस्थानिक :
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पुं० [सं० प्रस्थान+ठञ्—इक्] वह पदार्थ जो प्रस्थान के समय मंगलकारक माना जाता हो। जैसे शंख की ध्वनि, दही, मछली आदि। वि० प्रस्थान-संबंधी। २. (समय आदि) जो प्रस्थान करने के लिए शुभ हो। |
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