| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रस्न					 : | पुं० [सं० प्र√स्ना (नहाना)+क] नहाते समय शरीर पर जल उलीचने का पात्र। पुं०=प्रश्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| प्रस्नव					 : | पुं० [सं० प्र√स्नु (बहना)+अप्] १. धारा के रूप में बहने का भाव। २. धारा। ३. मूत की धार। | 
			
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				| प्रस्नुत					 : | वि० [सं० प्र√स्नु+क्त] टपकाने या बहानेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| प्रस्नुत-स्तरी					 : | स्त्री० [ब० स०,+ङीष्] वह स्त्री जिसके स्तनों से वात्सल्य के कारण दूध की धारें, बह रही हों। | 
			
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				| प्रस्नुषा					 : | स्त्री० [सं० प्रा० स०, पृषो० सिद्धि] पोते की स्त्री। पौत्र-वधू। | 
			
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				| प्रस्नेय					 : | वि० [सं० प्र√स्ना+यत्] (जल) जिससे स्नान किया जा सके। स्नान के काम आने योग्य। | 
			
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