| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रस्रव					 : | पुं० [सं० प्र√स्र (गति)+अप्] १. धारा के रूप में बहना या चूना। २. इस प्रकार बहने या चूनेवाली धारा। ३. स्तन या थन में से वात्सल्य या दूध की अधिकता के कारण बहनेवाली दूध की धारा। ४. मूत्र। पेशाब। ५. चावल की माँड़। ५. आँसू। | 
			
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				| प्रस्रवण					 : | पुं० [सं० प्र√स्रु+ल्युट्—अन] १. तरल पदार्थ के चूने या बहने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. पानी का झरना। सोता। ३. दूध। ४. पसीना। प्रस्वेद। ५. माल्यवान पर्वत। | 
			
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				| प्रस्रवणी					 : | स्त्री० [सं० प्रस्रवण+ङीप्] वैद्यक के अनुसार बीस प्रकार की योनियों में से एक। | 
			
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