| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्राज्ञ					 : | वि० [सं० प्र√ज्ञा (जानना)+क+अण्] [स्त्री० प्राज्ञा, प्राज्ञी, भाव० प्राज्ञता, प्राज्ञत्व] १. बुद्धिमान। समझदार। २. चतुर। होशियार। ३. (ऐसा व्यक्ति) जिसने अध्ययन द्वारा बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त किया हो। पुं० १. चतुर व्यक्ति। २. विद्वान व्यक्ति। ३. जीवात्मा। | 
			
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				| प्राज्ञत्व					 : | पुं० [सं० प्राज्ञ+त्व] १. प्राज्ञ होने की अवस्था या भाव। पांडित्य। विद्वत्ता। २. कौशल। चातुर्य। ३. बुद्धिमत्ता। ४. मूर्खता। बेवकूफी। (व्यंग्य) | 
			
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				| प्राज्ञमानी (निन्)					 : | पुं० [सं० प्राज्ञ+मन्+णिनि] वह जिसे अपने पांडित्य का विशेष अभिमान हो। | 
			
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				| प्राज्ञी					 : | स्त्री० [सं० प्राज्ञ+ङीप्] १. ऐसी स्त्री जसने अध्ययन द्वारा बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त किया हो। २. सूर्य्य की भार्या का नाम। | 
			
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