| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्राणि					 : | पुं०=प्राणी। | 
			
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				| प्राणिक					 : | वि० [सं० प्राण+ठन्—इक] १. प्राण-संबंधी। प्राणों का। २. बिना शोर मचाये बोलनेवाला। वि० [सं० प्राणी से] प्राणियों या जीव-धारियों से सम्बन्ध रखनेवाला। प्राणियों का। | 
			
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				| प्राणित					 : | भू० कृ० [सं० प्र√अन्+णिच्+क्त] १. प्राणों या जीवनी-शक्ति से युक्त किया हुआ। उदा०— शशि मुख प्राणित नील गगन था, भीतर से आलोकित मन था।—पंत। २. जीता हुआ। | 
			
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				| प्राणि-द्यूत					 : | पं० [सं० ष० त०] वह बाजी जो भेड़े, तीतर, घोड़े आदि जीवों की लड़ाई, दौड़ आदि में लगाई जाय। (धर्म-शास्त्र) | 
			
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				| प्राणि-भूगोल					 : | पुं० [सं० ष० त०] भूगोल की वह शाखा जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि पृथ्वी पर कहाँ की जल-वायु के प्रभाव के कारण कैसे-कैसे प्राणी और वनस्पतियाँ होती हैं। (बायोजियाग्रैफी) | 
			
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				| प्राणि-मंडल					 : | पुं० [सं० ष० त०] वैज्ञानिक क्षेत्रों में जल, स्थल और आकाश का उतना अंश जिसमें कीड़े, मकोड़े, जीव-जंतु, वनस्पतियाँ आदि रहती तथा होती हैं। जीव-मंडल। (बायोस्फीयर) | 
			
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				| प्राणि-विज्ञ					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह जो प्राणि-शास्त्र का अच्छा ज्ञाता हो। (जूलाजिस्ट) | 
			
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				| प्राणि-विज्ञान					 : | पुं० [सं० ष० त०] आधुनिक विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्राणियों की जातियों, वर्गों, विभेदों आदि का अध्ययन होता है। (जलाँजी) | 
			
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				| प्राणिशास्त्र					 : | पुं०=प्राणि-विज्ञान। | 
			
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