| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रायण					 : | पुं० [सं० प्र√अय्+ल्युट्—अन] १. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। प्रयाण। २. एक शरीर छोड़कर दूसरा शरीर धारण करना। ३. दूसरा जन्म। जन्मान्तर। ४. अनशन करते हुए अर्थात् खाना-पीना छोड़कर प्राणदेना या मरना। ५. अनशन, व्रत आदि की समाप्ति पर किया जानेवाला जलपान या भोजन। ६. एक तरह का दूध से बनाया हुआ व्यंजन। ७. प्रदेश। ८. आरंभ। ९. शरण। | 
			
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				| प्रायणीय					 : | पुं० [सं० प्रयण+छ—ईय] १. सोमयोग में पहली सुत्या के दिन में का कर्म। २. आरंभिक कृत्य। वि० आरंभ या शुरू में होनेवाला। आरंभिक। जैसे—प्रायणीय कर्म, प्रायणीय याग। | 
			
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