शब्द का अर्थ
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प्रोष :
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पुं० [सं०√प्रुष् (दाह)+घञ्] १. जलना। २. बहुत अधिक दुःख या कष्ट। संताप। वि० १. जलता हुआ। २. दुखी। ३. संतप्त। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रोषित :
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पुं० [सं० प्र-उषित, प्रा०स०] साहित्य में श्रृंगार-रस का आलंबन वह नायक जो प्रिया को छोड़कर विदेश चला गया हो। भू० कृ० १. प्रवासी। २. बीता हुआ। जैसे—प्रोषित यौवन। |
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प्रोषित-नायक :
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पुं० [सं० कर्म० स०]=प्रोषित। |
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प्रोषित-नायिका :
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स्त्री० [सं० ब० स०, कप्-टाप्, इत्व] वह स्त्री जो अपने पति (या नायक) के विदेश चले जाने के कारण उसके विरह में दुःखी या विकल हो। प्रवत्स्यपतिका। |
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प्रोषित-प्रेयसी :
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स्त्री०=प्रोषितपतिका। |
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प्रोषित-भर्तृका :
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स्त्री०=प्रोषितपतिका। |
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प्रोषित-भार्य :
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पुं० [सं० ब० स०] वह पुरुष जो अपनी पत्नी के विदेश चले जाने के कारण उसके विरह में दुःखी या विकल हो। |
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प्रोषित-यौवन :
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वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० प्रोषित-यौवना] जिसका यौवन समाप्त हो चुका हो। जिसकी जवानी बीत चुकी हो। |
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प्रोष्ठ :
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पुं० [सं० प्र-ओष्ठ, ब० स०] १. सौरी मछली। २. गाय। ३. एक प्राचीन देश। |
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प्रोष्ठ-पद :
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पुं० [सं० ब० स०, अच्, पदादेश] भाद्रपद। भादों (महीना)। |
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प्रोष्ठ-पदा :
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स्त्री० [सं० प्रोष्ठपद+टाप्] पूर्व भाद्रपद और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र। |
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प्रोष्ठपदी :
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स्त्री० [सं० प्रोष्ठपदा+अण्—ङीष्] भादों की पूर्णिमा। |
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प्रोष्ण :
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वि० [सं० प्र-उष्ण, प्रा० स०] अत्यन्त उष्ण। बहुत गरम। |
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