| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्लाव					 : | पुं० [सं० √प्लु+घञ्] १. पीपे की तरह की कोई खोखली चीज़ जो किसी जलाशय में लंगर आदि के सहारे ठहरी और तैरती रहती है, और जो प्रायः इस बात की सूचक होती है कि यहाँ नीचे चट्टान है अतः जहाजों, नावों आदि के टकराने का डर है। २. रबर आदि का वह गोलाकार खोखला पट्टा जिसके अन्दर हवा भरी रहती है और जिसका सहारा लेकर आदमी डूबने से बचकर तैरता रहता है। (बोई) ३. गोता। डुबकी। ४. परिपूर्णता। | 
			
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				| प्लावन					 : | पुं० [सं० √प्लु+णिच्+ल्युट्—अन] १.चारों ओर जल का उमड़कर बहना। २. जल की बहुत बड़ी बाढ़ जिसमें सारी पृथ्वी या उसका बहुत बड़ा अंश डूब जाता है। ३. अच्छी तरह डुबाने या धोने की क्रिया। ४. ऊपर फेंकना। उछालना। ५. तैरना। | 
			
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				| प्लावित					 : | भू० कृ० [सं० √प्लु+णिच्+क्त] १. बाढ़ के पानी से भरा हुआ। २. जो जल में डूब अथवा बह गया हो। | 
			
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				| प्लाव्य					 : | वि० [सं० √प्लु+णिच्+यत्] जल में डुबाये जाने के योग्य। | 
			
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