| शब्द का अर्थ | 
					
				| बंधु					 : | पुं० [सं०√बंध् (बन्धन)+उ] १. भाई। भ्राता। २. परम आत्मीय और भाइयों की तरह साथ रहने का काम आनेवाला व्यक्ति। ३. ऐसा प्रिय मित्र जिसके साथ भाइयों का सा व्यवहार हो। ४. पिता। ५. एक वर्ण वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः तीन-तीन भगण और दो दो गुरु होते हैं। दोधक। ६. बंधूक नामक पौधा और उसका फूल। | 
			
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				| बँधुआ					 : | वि० [हिं० बँधना+आ (प्रत्य)] १. जो बँधा रहता हो। २. (पशु आदि) जिसे बाँधकर रखा गया हो। पुं० कैदी। बंदी। | 
			
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				| बंधुक					 : | स्त्री० [सं० बंधु+उक] १. डेढ़ दो फुट ऊँचा। एक तरह का क्षुप जिसमें गोलाकार लाल रंग के फूल दोपहर के समय खिलते हैं। ३. उक्त क्षुप का फूल जो वैद्यक में बात तथा पित्त नाशक और कफ बढ़ानेवाला माना जाता है। दुपहिया। ३. जारज संतान। | 
			
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				| बंधुका					 : | स्त्री० [सं० बंधु+कन्+टाप्] व्यभिचारिणी स्त्री। | 
			
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				| बंधुकी					 : | स्त्री० [सं० बंधु+कन्+ङीष्] व्यभिचारिणी स्त्री। | 
			
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				| बंधु-कृत्य					 : | पुं० [सं० ष० त०] व्यक्ति का अपने भाई-बंधुओं तथा स्वजनों के प्रति होनेवाला कर्तव्य। | 
			
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				| बंधु-जीव					 : | पुं० [सं० बंध्√जीव् (जीना)+णिच्+अच्] बंधूक (फौधा और फूल)। दुपहरिया। | 
			
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				| बंधु-जीवक					 : | पुं० [सं० बंधुजीव+कन्] बंधूक। दुपहरिया। | 
			
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				| बंधुता					 : | स्त्री० [सं० बंधु+तल्+टाप्] १. बंधु होने की अवस्था या भाव। २. बंधुओं अर्थात् स्वजनों में परस्पर होनेवाला उचित व्यवहार। भाई-चारा। ३. दोस्ती। मित्रता। ४. भाई-बंधु तथा स्वजनों का वर्ग। | 
			
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				| बंधुत्व					 : | पु० [सं० बंधु+त्व]=बंधुता। | 
			
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				| बंधु-दत्त					 : | भू० कृ० [सं० तृ० त०] बंधुओं द्वारा दिया हुआ। बंधुओं से प्राप्त। पुं० बंधुओं स्वजनों आदि द्वारा कन्या को विवाह के अवसर पर दिया जानेवाला धन। | 
			
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				| बंधुदा					 : | स्त्री० [सं० बंधु√दा (देना)+क+टाप्] १. दुराचारिणी स्त्री। बदचलन औरत। २. रंडी। वेश्या। | 
			
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				| बंधुमान् (मत्)					 : | वि० [सं० बंधु+मतुप्] जिसके कई या बहुत से बंधु या स्वजन हों। | 
			
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				| बंधुर					 : | पुं० [सं०√बंधु+उरच्] १. बहरा आदमी। २. हंस। ३. बगुला। ४. मुकुट। ५. गुल दुपहरिया का पौधा या फूल। ६. काकड़ा सिंधी। ७. विंडग। ८. चिड़िया। पक्षी। ९. खली। वि० १. मनोहर। २. नम्र। विनीत। ३. झुका हुआ। सुन्दर। ४. ऊँचा-नीचा। | 
			
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				| बंधुरा					 : | स्त्री० [सं० बंधुर+टाप्] बंधुदा (दे०) | 
			
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				| बंधुल					 : | वि० [सं०√बंधु+उलच्] १. झुका हुआ। वक्र। २. सुन्दर। नम्र। पुं० १. वह व्यक्ति जो पर-पुरुष से उत्पन्न हुआ हो, पर किसी दूसरे के घर में पला हो तथा पराये के अन्न से पुष्ट हुआ हो। २. बदचलन स्त्री का लड़का। ३. वेश्या का लड़का। | 
			
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