| शब्द का अर्थ | 
					
				| बकर					 : | पुं० [अ० बकर] गाय का बैल। | 
			
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				| बकर-ईद					 : | स्त्री०=बकरीद। | 
			
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				| बकर-कसाव					 : | पुं० [हिं० बकरी+अ० कस्साव-कसाई] [स्त्री० बकर-कसायिन] बकरों का मांस बेचनेवाला पुरुष। कसाई। | 
			
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				| बकरना					 : | स० [हिं० बकार अथवा बकना] १. आप से आप बकना। बड़बड़ाना। २. अपने अपराध या दोष की बातें विवश होकर कहना। | 
			
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				| बकरम					 : | पुं० [अ० बकरम्] गोंद आदि लगाकर कड़ा किया हुआ वह करारा कपडा जो पहनने के कपड़ों के कालर, आस्तीन आदि में कडा़ई लाने के लिए अन्दर लगाया जाता है। | 
			
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				| बकरवाना					 : | स० [हिं० बकरना का प्रे०] किसी को बकरने में प्रवृत्त करना। | 
			
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				| बकरा					 : | पुं० [सं० बर्कार] [स्त्री० बकरी] एक प्रसिद्ध नर-पशु जिसके सींग तिकोने, गठीले और ऐंठनदार तथा पीठ की और झुके हुए होते हैं। पूँछ छोटी होती है और शरीर से एक प्रकार की गंध आती है। अज। छाग। | 
			
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				| बकराना					 : | स०=बकरवाना। | 
			
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				| बकराना					 : | स० [हिं० बकुरना का प्रे० रूप] अपराध या दोष कबूल कराना या मुँह से कहलाना। | 
			
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