| शब्द का अर्थ | 
					
				| बच					 : | स्त्री० [सं० बच] पर्वतीय प्रदेश के जलाशयों के तट पर होनेवाला एक प्रकार का पौधा जिसके अंगों का उपयोग ओषधि में होता है। पुं० [सं० वचः] वचन। बात। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बचका					 : | पुं०=बजका (पकवान)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बचकाना					 : | वि० [हिं० बच्चा-काना (प्रत्य)०] [स्त्री० अल्पा० बचकानी] १. बच्चों के पहनने या काम में आनेवाला। जैसे—बचकानी टोपी। २. बच्चों की तरह छोटे आकार-प्रकार का। जैसे—बचकाना पेड़। ३. बच्चों के स्वभाव का। जैसे—बचकानी बुद्धि। | 
			
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				| बचत					 : | स्त्री० [हिं० बचना] १. बचे हुए होने की अवस्था या भाव। जैसे—इस तरह करने से काम में समय की बहुत बचत होती है। २. व्यय आदि के बाद बच रहनेवाली धन-राशि। ३. लागत, व्यय आदि निकालने के बाद क्या बचा हुआ धन। मुनाफा। लाभ (सेविंग) ४. लाक्षणिक अर्थ में किसी प्रकार से होनेवाला छुटकारा या बचाव। जैसे—झूठ बोलने से तुम्हारी बचत नहीं हो सकेगी। | 
			
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				| बचता					 : | पुं० [हिं० बचना] [स्त्री० बचती] देन चुकाने उपयोग व्यय आदि करने के उपरान्त बचा हुआ धन। | 
			
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				| बचन					 : | पुं० [सं० वचन] १. मुँह से कही हुई बात। वचन। २. वाणी। ३. दृढ़ता, प्रतिज्ञा, शपथ आदि के रूप में कहीं हुई ऐसी बात जिसमें कभी अन्तर न पड़े। प्रतिज्ञा। जैसे—हम तो अपने वचन से बँधे हैं। क्रि० प्र०—छोड़ना। तोड़ना। देना। निभाना। पालना। लेना। मुहावरा—बचन देना-दृढ़ प्रतिज्ञापूर्वक यह कहना कि हम तुम्हारा अमुक काम अवश्य कर देगें। (किसी से) बचत बँधाना-दृढ़ प्रतिज्ञा कराना। उदाहरण—नन्द जसोदा बचन बँधायो ता कारण देही धरि आयो।—सूर। बचन माँगना=किसी से यह प्रार्थना करना कि आपने जो वचन दिया था उसका पालन करें। बचन हारना-प्रतिज्ञापूर्वक किसी से कही हुई बात या किसी को दिये हुए वचन का पालन कनरे के लिए विवश होना। ४. किसी से निवेदन या प्रार्थनापूर्वक कही जानेवाली बात। मुहावरा—(किसी के आगे) बचन डालना-किसी काम या बात के लिए प्रार्थना या याचना करना। | 
			
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				| बचन-विदग्धा					 : | स्त्री०=वचन-विदग्धा। | 
			
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				| बचना					 : | अ० [सं० वचन-न पाना] १. उपयोग, कार्य, व्यय आदि हो चुकने के बाद भी कुछ अंश पास या शेष रह जाना। अवशिष्ट होना। जैसे—(क) दस रुपयों में से तीन रूपये बचे हैं। (ख) दो कुरते बन जाने पर भी गज भर कपड़ा बचेगा। २. बंधन विपद, संकट आदि से किसी प्रकार अलग या दूर या सुरक्षिक रहना। जैसे—वह गिरने से बाल-बाल बच गया। ३. किसी कार्य में संलग्न न होना अथवा दूसरों द्वारा किये जानेवाले कार्यों के परिणाम, प्रतिक्रिया प्रभाव आदि से अछूता रहना। जैसे—(क) किसी के आक्षेप से बचना। (ख) झूठ बोलने से बचना। ४. किसी का सामना करने या किसी के सम्पर्क में आने से घबराना या संकोच करना और सहसा उसका सामना न करना या उसके सम्पर्क में न आना। जैसे—वह तगादा करनेवालों से बचता फिरता है। ५. किसी गिनती, वर्ग, समाज आदि के अन्तर्गत न आना या न होना। छूट या रह जाना। जैसे—इनके व्यंग्य वाणों से कोई बचा नहीं हैं। स० [सं० वचन] कथन करना। कहना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बचपन					 : | पुं० [हिं० बच्चा+पन (प्रत्यय)] १. बच्चा (अल्पवयस्क) होने की अवस्था या भाव। २. बाल्यावस्था। लड़कपन। ३. बालकों की तरह किया जानेवाला सयानों द्वारा कोई कार्य। बचपना। | 
			
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				| बचपना					 : | पुं० [हिं० बचपन] १. बचपन। २. सयाने व्यक्तियों द्वारा किया जानेवाला कोई ऐसा असोभनीय कार्य जो उनकी बुद्धि की अपरिपक्वता का सूचक होता है। | 
			
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				| बचवा					 : | पुं० [हिं० बच्चा] १. बालक। बच्चा। २. हाथ में पहनने की अँगूठी में लगे हुए छोटे घुँघरू। उदाहरण—उँगली तेरी छल्ला सोभे, बचवे की बहार। (झूमर)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बचवैया					 : | वि० [हिं० बचाना+वैया (प्रत्यय)] बचानेवाला। रक्षक। | 
			
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				| बचा					 : | पुं० [सं० वत्स, पा० बच्छ, हिं० वच्चा] [स्त्री० बच्ची] १. लड़का। बालक। २. एक प्रकार का तुच्छतासूचक सम्बोधन। जैसे—अच्छा बचा, तुमसे भी किसी दिन समझ लूँगा। | 
			
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				| बचाना					 : | स० [हिं० बचना का स०] १. ऐसी क्रिया करना जिससे कुछ या कोई बचे। २. उपयोग, व्यय आदि के उपरांत भी कुछ अवशिष्ट रखना। जैसे—वह दो चार रुपए, रोज बचा लेता है। ३. किसी प्रकार केकष्ट, बंधन संकट आदि से किसी प्रकार अलग करके मुक्त या सुरक्षित करना। जैसे—जुरमाने, रोग या सजा से बचाना। ४. दुष्कर्म, दूषित प्रभाव आदि से अलग और सुरक्षित रखना। जैसे—किसी को कुमार्ग में पड़ने से बचाना। ५. आघात, आक्रमण आदि से सुरक्षा करना। ६. सामना न होने देना या सम्पर्क में न आने देना। जैसे—(क) किसी से आँख बचाना। (ख) किसी का सामना बचाना। | 
			
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				| बचाव					 : | पुं० [हिं० बचना] १. कष्ट, संकट आदि में बचे हुए होने की अवस्था या भाव। जैसे—इस पेड़ के नीचे धूप (या वर्षा) से बचाव किया जानेवाला उपाय या प्रयत्न। २. कष्ट, संकट आदि से बचने के लिए किया जानेवाला उपाय या प्रत्यत्न। ३. बचत। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बचिया					 : | स्त्री० [हिं० बच्चा-छोटा] कसीदे के काम में छोटी-छोटी बूटियाँ। | 
			
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				| बचुआ					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार की मछली। पुं०=बच्चा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बचून					 : | पुं० [हिं० बच्चा] भालू का बच्चा। (कलंदर) | 
			
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				| बचो					 : | पुं० [देश०] एक तरह की लता। | 
			
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				| बच्चा					 : | पुं० [सं० वत्स, प्रा० बच्छ, फा० बच्चः] [स्त्री० बच्ची] १. किसी प्राणी का नवजात शिशु। जैसे—कुत्ते या बिल्ली का बच्चा, आदमी का बच्चा। २. मनुष्य जाति का कम अवस्थावाला प्राणी। बालक। पद—बच्चे-कच्चे=छोटे-छोटे। बाल बच्चे। मुहावरा—बच्चा देना=गर्भ से संतान उत्पन्न करना। प्रसव करना। पद—बच्चों का खेल-बहुत ही तुच्छ, सहज या साधारण काम। वि० १. कम उमरवाला। २. नादान। ३. अनुभवहीन। | 
			
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				| बच्चाकश					 : | वि० [फा०] बहुत बच्चे जननेवाली (स्त्री)। (विनोद) बच्चाकश | 
			
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				| बच्ची					 : | स्त्री० [हिं० बच्चा का स्त्री० रूप] १. छोटी लड़की। २. छोटी घोड़िया जो छत या छाजन में बड़ी घोड़िया के नीचे लगायी जाती है। ३. वे बाल जो होंठ के नीचे बीच में जमते हैं ४. दे० ‘बचिया’। | 
			
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				| बच्चेदानी					 : | स्त्री०=बच्चादान (गर्भाशय)। | 
			
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				| बच्छ					 : | पुं० [सं० वत्स, प्रा० बच्छ] १. बच्चा। २. बेटा। ३. बछड़ा। | 
			
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				| बच्छनाग					 : | पुं०=बछनाग। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बच्छल					 : | वि०=वत्सल। | 
			
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				| बच्छस					 : | पुं० [सं० वक्षस्] वक्षःस्थल। छाती। | 
			
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				| बच्छा					 : | पुं० [सं० वत्स, प्रा० बच्छ] [स्त्री० बछिया] १. गाय का बच्चा। बछवा। बछड़ा। २. किसी पशु का बच्चा। (क्व०) | 
			
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