| शब्द का अर्थ | 
					
				| बवँड़ना					 : | अ० [सं० व्यावर्तन, प्रा० व्यावट्टन] व्यर्थ इधर-उधर घूमना। मारा-मारा फिरना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवँड़ा					 : | पुं०=बवंडर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवँडियाना					 : | अ०=बवँड़ना (भटकना)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवंडर					 : | पुं० [सं० वायु-मंडल] १. हवा का वह तेज झोंका जो चक्कर खाता हुआ चलता है जिसमें पडी हुई धूल खम्भे के रूप में ऊपर उठती हई दिखायी पड़ती है। चक्रवात। बगूला। क्रि० प्र०—उठना।—चलना। २. आँधी। तूफान। ३. व्यर्थ का बहुत बड़ा उपद्रव। क्रि० प्र०—खड़ा होना। | 
			
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				| बव					 : | पुं० [सं०] गणित ज्योतिष में, एक करण का नाम। | 
			
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				| बवधूरा					 : | पुं०=बवंडर (बगूला)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवन					 : | पुं० १.=वपन। २.=वमन। | 
			
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				| बवना					 : | स० [संवपन] १. जमने के लिए जमीन पर बीज डालना। बोना। २. छितराना। बिखेरना। अ० छितरना। बिखरना। पुं०=बौना (वामन) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवरा					 : | वि० [स्त्री० बवरी]=बावला (पागल)। उदाहरण—आसनु पवनु दूरि कर बवरे।—कबीर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवाल					 : | पुं०=बवाल। (देखें)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बवासीर					 : | स्त्री० [अ० बवासिर] गुद्रेंद्रिय में मस्से निकनले का एक रोग जो खूनी और बादी दो प्रकार का होता है। (पाइल्स)। | 
			
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