| शब्द का अर्थ | 
					
				| बहुत					 : | वि० [सं० प्रभूत; प्रा० पहुत्त] १. जो गिनती में दो-चार से अधिक हो। ज्यादा। ‘थोड़ा’ का विपर्याय। जैसे—आज बहुत दिनों पर आप से भेंट हुई है। २. परिणाम, मात्रा आदि में आवश्यक या उचित से अधिक। जैसे—बहुत बोलना अच्छा नहीं होता। पद—बहुत अच्छा=(क) स्वीकृति सूचक वाक्य। एवमस्तु। ऐसा ही होगा। (ख) डराने-धमकाने के लिए कहा जानेवाला शब्द। जैसे—बहुत अच्छा ! तुमसे भी किसी दिन समझ लूँगा। बहुत करके=(क) अधिकतर अवसरों पर या अधिकतर अवस्थाओं में। प्रायः। बहुधा। (ख) बहुत संभव है कि। संभवतः। जैसे—बहुत करके तो वह कल चला ही जाएगा।। बहुत कुछ=विशेष, अधिक या यथेष्ट न होने पर भी, आवश्यक अथवा उचित मात्रा या मान में अथवा उससे कुछ ही कम। जैसे—इस झगड़े में उन्हें सब तो नहीं, फिर भी बहुत-कुछ मिल गया। बहुत हो लिये=तुम जितना कर सकते थे बहुत कर चुके, अब रहने दो, क्योंकि तुमसे यह काम नहीं होगा। ३. जितना होना चाहिए, उतना या उससे कुछ अधिक। यथेष्ट। जैसे—मेरे लिए तो आध सेर दूध भी बहुत होगा। पद—बहुत खूब=(क) वाह ! क्या कहना है। (किसी अनोखी बात पर) (ख) दे० ऊपर ‘बहुत अच्छा’। क्रि० वि० अधिक परिमाण या मात्रा में। ज्यादा। जैसे—बहुत बिगड़ा और उठकर चला गया। | 
			
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				| बहुतक					 : | वि० [हिं० बहुत+एक अथवा क] बहुत से। बहुतेरे। | 
			
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				| बहुताँ					 : | वि०=बहुत। | 
			
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				| बहुता					 : | स्त्री० बहु (बहुत) होने की अवस्था या भाव। बहुत्व। वि०=बहुत। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बहुताइत					 : | स्त्री०=बहुतायत। | 
			
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				| बहुताई					 : | स्त्री० [हिं० बहुत+आई (प्रत्यय)] बहुत होने की अवस्था या भाव। बहुतायत। अधिकता। ज्यादती। | 
			
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				| बहुतात					 : | स्त्री०=बहुतायत। | 
			
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				| बहुतायत					 : | स्त्री० [हिं० बहुत+आयत (प्रत्यय)] बहुत होने की अवस्था या भाव। अधिकता। ज्यादती। | 
			
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				| बहुतिक्ता					 : | स्त्री० [सं० ब० स०] काकमाची। मकोय। | 
			
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				| बहुतेरा					 : | वि० [हिं० बहुत+ऐरा (प्रत्यय)] [स्त्री० बहुतेरी] १. मान या मात्रा में बहुत अधिक। २. प्रचुर। यथेष्ठ। क्रि० वि० बहुत तरह से। अनेक प्रकार से। | 
			
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				| बहुतेरे					 : | वि० [हिं० बहुतेरे] संख्या में अधिक। बहुत से। अनेक। | 
			
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				| बहुत्व					 : | पुं० [सं० बहु+त्व] बहुत होने की अवस्था या भाव। आधिक्य। अधिकता। | 
			
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				| बहुत्वक् (च्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] भोजपत्र। | 
			
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				| बहुत्ववाद					 : | पुं० [सं० ] [वि० बहुत्ववादी]=बहुकवाद। | 
			
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