| शब्द का अर्थ | 
					
				| बाड़					 : | स्त्री०=बाढ़। उदाहरण—यह संसार बाड़ का कांटा।—मीराँ। | 
			
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				| बाड़ना					 : | स० [हिं० बड़ना=घुसना या पैठना का स०] अन्दर प्रविष्ट करना। घुसाना। (पश्चिम) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बाड़व					 : | पुं० [सं० बड़वा+अण्] १. ब्राह्मण। २. घोड़ियों का झुंड। ३. बड़वानल। वि० बड़वा-संबंधी। | 
			
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				| बाड़व-अनल					 : | पुं०=बड़वानल। | 
			
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				| बाड़व-बह्नि					 : | स्त्री०=बड़वानल। | 
			
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				| बाड़ा					 : | पुं० [सं० बाट] १. चारों ओर से घिरा हुआ कुछ विस्तृत खाली स्थान। २. वह स्थान जहाँ पर पशु आदि घेरकर या बन्द करके रखे जाते हों। पशुशाला। | 
			
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				| बाड़ि					 : | स्त्री०=बाडिस। | 
			
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				| बाड़ी					 : | स्त्री० [सं० वारी] १. वाटिका। बारी। पुलवारी। २. घर। मकान। (पूरब) जैसे—ठाकुरबाड़ी। ३. कपास का खेत (पस्चिम)। स्त्री० [?] कपास। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बाड़ी-गार्ड					 : | पुं०=अंग-रक्षक। (दे० ) | 
			
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