| शब्द का अर्थ | 
					
				| बायँ					 : | वि० [सं० वाम] १. (निशना) जो अपने ठीक लक्ष्य पर न लगा हो। चूका हुआ। मुहा०—बायें देना=(क) किसी के वार करने पर इस प्रकार इधर-उधर हो जाना कि आघात न लगने पावे। (ख) उपेक्षापूर्वक छोड़ देना। ध्यान न देना। जाने देना। (ग) किसी के चारों ओर चक्कर या फेरा लगाना। २. दे० ‘बायाँ’। स्त्री० [अनु०] पशुओं आदि के मुँह के निकलनेवाला बाँ बाँ या बाँये बाँये शब्द | 
			
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				| बाय					 : | स्त्री० [सं० वाय] १. वाय हवा। २. शरीर में होनेवाला वात का प्रकोप। बाई। स्त्री०= बावली (वापी)। उदा०—अति अगाध अति औथरौ नदी, कूप, सर, बाय।—बिहारी। | 
			
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				| बायक					 : | पुं० [सं० वाचक] १. वाचक। २. वक्ता। ३. पढ़नेवाला। पाठक। ४. दूत। | 
			
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				| बायकाट					 : | अव्य० [अं०] बहिष्कार। (देखें) | 
			
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				| बायद व शायद					 : | अन्य० [फा०] ऐसा अच्छा जैसा होना चाहिए, फिर भी जैसा बहुत कम होता या सिर्फ कभी कभी दिखाई देता हो। जैसे—उसने ऐसे अनोखे करतब दिखाये कि बायद व शायद। | 
			
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				| बायन					 : | पुं० [सं० वायन] १. वह मिठाई या पकवान आदि जो लोग उत्सव आदि के उपलक्ष में अपने इष्ट-मित्रों के यहाँ भेजते हैं। बैना। २. उपहार। भेंट। ३. किसी काम या बात का निश्चय करने के लिए उसके सम्बन्ध में पहले से दिया जानेवाला धन। पेशगी। बयाना। कि० प्र०—देना।—पाना—मिलना—लेना। मुहा०—बायन देना= किसी के साथ कोई ऐसा व्यवहार करना, जिसका बदला उसे आगे चलकर चुकाना पड़े। उदा०—भले भवन अब बायन दीन्हा।—तुलसी। | 
			
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				| बायबरंग					 : | स्त्री०=बायबिडंग। | 
			
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				| बायबिडंग					 : | स्त्री० [सं० बिडंग] एक लचचा जो हिमालय पर्वत, लंका और बरमा में होती है। | 
			
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				| बायबिल					 : | स्त्री०=बाइबिल। | 
			
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				| बायबी					 : | विं० [सं० वायवीय] ऐसा अपरिचित या बाहरी जिससे किसी प्रकार की आत्मीयता या संबंध न हो। | 
			
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				| बायरा					 : | पुं० [देश०] कुश्ती का एक पेंच। | 
			
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				| बायल					 : | वि० [हिं, बायाँ, बयँ] १. (प्रहार या वार) जो खाली गया या निष्फल हुआ हो। कि० प्र०—जाना।—देना। २. (जूए का दाँव) जो खाली गया हो और किसी का न आया हो। कि० प्र०—जाना। बायलर | 
			
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				| बायल					 : | वि, [हिं, बाय+ला (प्रत्य०)] [स्त्री० बायली] शरीर में वायु का विकार उत्पन्न करने या बढ़ानेवाला। जैसे—किसी को बैंगन बायला किसी को बैंगन पथ्य। (कहा०) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बायली					 : | वि०=बायबी। | 
			
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				| बायव्य					 : | पुं०=वायव्य। | 
			
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				| बायस					 : | पुं०=वायस। | 
			
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				| बायाँ					 : | वि० [सं० वाम] [स्त्री० बाईं] १. शरीर के उस पक्ष से संबंध रखनेवाला अथवा होनेवाला जो शरीरिक दृष्टि से अपने विपरीत पक्ष से कुछ दुर्बल और कम कर्मशील होता है। ‘दाहिना’ का विपर्याय। जैसे—बायाँ हाथ, बाई आँख। 2, जिस ओर उक्त पक्ष हो, उस ओर में स्थित होनेवाला। मुहा०—बायाँ देना=(क) किनारे से निकल जाना। (ख) उपेक्षा पूर्वक छोड़ देना। ३. मकानों आदि के संबंध में, उनके मुख्य द्वार की ओर पीठ करके खड़े होने पर बायें हाथ की ओर का। ४. चित्र के उस पार्श्व से संबंध रखनेवाला जिस ओर द्रष्टा का बायाँ हाथ हो (चित्र का वस्तुतः यह दाहिना पक्ष होता है)। ५. उलटा। ‘सीधा’ का विपर्याय। ६. प्रतिकूल। विरुद्ध। कूल। विरुद्ध। पुं० तबले के साथ प्रायः वाएँ हाथ से बजाया जानेवाला उसका जोड़ डुग्गी। | 
			
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				| बायें					 : | अव्य, [हिं० बायाँ] १. जिस ओर बायाँ हाथ पड़ता हो उस ओर। बाईं ओर। बाईं तरफ। २. विपरीत पक्ष में। ३. प्रतिकूल या विरुद्ध रुप में। 4. अप्रसन्न और असन्तुष्ट रहकर या होकर। | 
			
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