| शब्द का अर्थ | 
					
				| बिना					 : | अव्य० [सं० बिना] १. न रहने या होने की दशा में। २. बगैर। जैसे—रुपये के बिना काम न चलेगा। ३. अतिरिक्त। सिवा। उदाहरण—राम बिना कछु जानत नाहीं। स्त्री० [अ०] १. नींव। बुनियाद। २. कारण। सबब। जैसे—यहीं तो सारे झगड़े की बिना है। | 
			
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				| बिनाई					 : | स्त्री० [हिं० बिना या बीनना] १. बीनने या चुनने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. दे० ‘बुनाई’। स्त्री० [अ० बीनाई] आँखों की ज्योति। | 
			
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				| बिनाती					 : | स्त्री०=बिनती। | 
			
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				| बिनाना					 : | स०=बुनवाना। | 
			
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				| बिनानी					 : | वि० [सं० विज्ञानी] अज्ञानी। अनजान। स्त्री० [सं० विज्ञान] विशिष्ट रूप में किया जानेवाला चिन्तन या विचार। | 
			
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				| बिनावट					 : | स्त्री०=बुनावट। | 
			
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				| बिनास					 : | स्त्री० [सं० पीनसः] नाक से खून गिरना या जाना। नकसीर। क्रि० प्र०—फूटना। पुं०=विनाश। | 
			
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				| बिनासना					 : | स० [सं० विनष्ट] १. विनष्ट करना। बरबाद करना। २. संहार करना। | 
			
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				| बिनाह					 : | पुं०=विनाश। उदाहरण—साकत संग न कीजिए जाते होइ बिनाह।—कबीर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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