| शब्द का अर्थ | 
					
				| बीजांक प्रक्रिया					 : | स्त्री० [सं० वीजांक प्रक्रिया] गुप्त रूप से पत्र आदिलिखने या समाचार भेजने की वह प्रकिया जिसमें अभिप्रेत अक्षरों के स्थान पर सांकेतिक रूप से कुछ दूसरे ही अक्षर, जिन्ह आदि अंकित किये अथवा कुछ विशिष्ट और असाधारण कम से रखे जाते हैं। (साइफ़र प्रोसिज्योर) | 
			
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				| बीजांकुर					 : | पुंय [सं० वीजांकुर] बीज से निकलनेवाला अंकुर। | 
			
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				| बीजांकुर न्याय					 : | पुं० [सं० वीजांकुर न्याय] तर्कशास्त्र में वह स्थिति जिसमें यह पता न चले कि दो तत्त्वों में से कौन किसका कारण या मूल है। जैसे—पहले बीज हुआ या वृक्ष अथवा पहले अंडा बना या चिड़िया। | 
			
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				| बीजांड					 : | पुं० [सं० वीज+अंड] १. जीव-विज्ञान में भ्रूण का वह आरम्भिक और मूल रूप जिसके विकसित होने पर भ्रूण का रूप बनता है। २. वनस्पति विज्ञान में, बीज का आरम्भिक और मूल रूप। (ओव्यूल) | 
			
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				| बीजा					 : | वि० सं० द्वितीया, पा० द्वितियों, प्रा० दुओ पु० हि० दूज्जा] दूसरा। पुं०=बीज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बीजाक्षर					 : | पुं० [सं० वीजाक्षर] किसी बीज मंत्र का पहला अक्षर। | 
			
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				| बीजाख्य					 : | पुं० [सं० वीजाख्य] जमालगोटा। | 
			
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				| बीजारोपण					 : | वि० [सं० वीज-आरोपण] १. खेत में बीज बोना। २. छोटे रूप में कोई ऐसा काम करना जिसका आगे चलकर बहुत बड़ा परिणाम हो। | 
			
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				| बीजाश्व					 : | पुं० [सं० वीज-अश्व] कोतल घोड़ा। | 
			
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