| शब्द का अर्थ | 
					
				| बुर					 : | स्त्री० [सं० बुलि] स्त्री की योनि। भग। | 
			
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				| बुरकना					 : | स्त्री० [अनु०] चुटकी में चूर्ण आदि भर कर छितराना या छिड़कना। पुं० बच्चों के लिखने की वह दवात जिसमें खड़िया मिट्टी घोलकर रखी जाती थी। | 
			
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				| बुरका					 : | पुं० [अ० बुर्क] १. मुसलमान स्त्रियों का एक पहनावा जिससे वे सिर से लेकर एड़ी तक अपने सब अंग ढक लेती हैं। २. नकाब। ३. वह झिल्ली जिसमें जन्म के समय बच्चा लिपटा रहता है। खेड़ी। | 
			
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				| बुरकाना					 : | सं०=बुरकना। | 
			
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				| बुरकापोश					 : | वि० [अ० बुर्कः+फा० पोश] १. जो बुरका पहने हुए हो। २. जो बुरका पहनती हो। | 
			
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				| बुरकी					 : | स्त्री० [हिं० बुरकना] १. मंत्र-तंत्र आदि के समय प्रयुक्त होनेवाली धूल या राख। २. उक्त की सहायता से किया जानेवाला जादू-टोना। मुहा०—बुरकी मारना= मंत्र पढ़कर किसी पर कुछ धूल या राख फेंकना। उदा०—मैं आगे जनाखे के कुछ बोल नहीं सकती। क्या जानिए क्या उसने मारी है मुझे बुरकी।—रंगीन। | 
			
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				| बुरदू					 : | पुं० [अ० बोर्ड] १. पार्श्वय। बगल। २. जहाज का बगलवाना भाग। ३. जहाज का वह भाग जो तूफान या हवा के रुख पर नहीं, बल्कि पीछे की ओर पड़ता हो। (लश०) | 
			
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				| बुरबक					 : | वि० हि० बूढ़ा+बक] १. अवस्था ढलने के फलस्वरूप जो दूसरों की दृष्टि में मूर्खों का-सा आचरण करने लगा हो। २. बहुत बड़ा बेवकूफ। मूर्ख। | 
			
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				| बुरा					 : | वि० [सं० विरूप] [स्त्री० बुरी, भाव० बुराई] १. जड़ों वैसा न हो, जैसा उसे साधारण या उचित रूप में होना चाहिए। जो अच्छा या ठीक न हो। खराब। निकृष्ट। ‘अच्छा’ का विपर्याय’। २. (व्यक्ति) जिसमें कोई स्वभावजन्य दुर्गुण या दोष हो। खराब। दूषित। ३. (आचरण) जा धार्मिक, नैतिक या सामाजिक दृष्टि से परम अनुचित और निदनीय हो। जैसे—बुरा चाल-चलन। ४. जिसका रूप-रंग आकार-प्रकार देखकर मन में अरुचि, घृणा या विराग उत्पन्न हो। जैसे बुरी सूरत। ५. जो बहुत अधिक कष्ट या दुर्दशा में पड़ा हो। जैसे—आज-कल उनका बुरा हाल है। ६. जिसमें उग्रता, कठोरता, तीव्रता आदि बहुत बढ़ी हुई हो। जैसे—(क) किसी को बुरी तरह से कोसना या मारना-पीटना। (ख) लालच बुरी बला है। ७. जिसमें क्षति, हानि या अनिष्ट की आशंका हो। जैसे—(क) आवारा लड़कों के साथ घूमना या जूआ खेलना बुरा है। (ख) बुरे आदमी सदा दूसरों की बुराई ही करते हैं। ८. जो अमंगल-कारक या अशुभ हो अथवा सिद्ध हो सकता हो। जैसे—बुरी घड़ी, बुरी खबर, बुरी नजर, बुरी साइत। ९. जिसमें किसी प्रकार का अनौचित्य, खराबी या दोष हो। पद—बुरा काम=किसी के साथ स्थापित किया जानेवाला लैंगिक सम्बन्ध। संभोग। बुरा-भला=(क) हानि-लाभ। अच्छा और खराब परिणाम। जैसे—अरना बुरा-भला सोचकर सब काम करने चाहिए। (ख) उचित और अनुचित सभी तरह की बातें। मुख्यतः उक्त प्रकार की ऐसी बातें जो किसी की भर्त्सना करने के लिए जायँ। जैसे—वह नित्य अपने नौकरों को बुरा-भला कहते रहते हैं। बुरे-दिन=कष्ट, दुर्भाग्य या पतन का समय। जैसे—जब आदमी के बुरे दिन आते हैं, तब उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। बुरी वस्तु=गंदगी। मैला। मुहा०—(किसी से) बुरा बनना=किसी की दृष्टि में दोषी या द्वेवपूर्ण भाव रखनेवाला ठहरना या बनना। (किसी से) बुरा मानना=मन में द्वेश या बैर लगाना=अनुचित या अप्रिय जान पड़ना। | 
			
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				| बुराई					 : | स्त्री० [हिं० बुरा+ई (प्रत्य०)] १. वह तत्त्व जिसके फलस्वरूप किसी चीज को बुरा कहा जाता है। २. किसी को बुरा कहने की किया या भाव। ३. अनुचित या निन्दनीय आचरण अथवा व्यवहार। जैसे—जो तुम्हारे साथ बुराई करे, उसके साथ भी भलाई करो। ४. आपस में होनेवाला द्वेष, मनोमालिन्य या वैर-भाव। जैसे—दोनों भाइयों में बुराई पड़ गई है। कि० प्र०—पड़ना। ५. अवगुण। दोष। ऐब। जैसे—उसमें बुराई यही है कि वह बहुत झूठ बोलता है। ६. किसी से की जानेवाली किसी की निन्दा या शिकायत। जैसे—वह जगह जगह तुम्हारी बुरारी करता फिरता है। | 
			
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				| बुराई-भलाई					 : | स्त्री० [हिं०] १. अच्छी और बुरी घटनाएँ। नेकी-बंदी। जैसे—वह सबकी बुराई-भलाई में साथ देते हैं। २. किसी की निन्दा या शिकायत और किसी की प्रशंसा या तारीफ। जैसे—तुम्हें किसी की बुराई-भलाई करने से क्या मतलब। | 
			
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				| बुराक					 : | पुं० [अ० बुराक०] वह घोड़ा जिस पर रसूल चढ़कर आकाश में गए थे। | 
			
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				| बुरादा					 : | पुं० [फा० बुराद | 
			
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				| बुरापन					 : | पु०=बुराई। | 
			
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				| बुरुज					 : | पुं० बुर्ज। | 
			
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				| बुरुड़					 : | पुं० [देश०] एक जाति जो टोकरे, चटाइयाँ आदि बनाने का काम करती थी। | 
			
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				| बुरुल					 : | पुं०=रावरखा (वृक्ष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बुरुश					 : | पुं० [अं० ब्रुश] १. तारों, बालों अथवा किसी चीज का बना हुआ वह उपकरण जिससे रगड़कर कोई चीज साफ की जाती अथवा पोती जाती है। २. तूलिका। | 
			
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				| बुरुल					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का बहुत बड़ा वृक्ष। | 
			
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				| बुरैया					 : | पुं० [हिं० बुरा] १. बुरा काम करनेवाला आदमी। २. दुष्ट। पाजी। ३. वह जो दूसरों की बुराई या निन्दा करता फिरे। ४. दुश्मन। शत्रु। (पूरब) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बुर्ज					 : | पुं० [अ०] १. किले आदि की दीवारों में कोनों पर ऊपर की ओर निकला हुआ गोल या पहलदार भाग जिसमें बीच में बैठने आदि के लिए थोड़ा सा स्थान होता है। गरगज। २. उक्त आकार प्रकार की मीनार का ऊपरी भाग। ३. गुंबद। ४. गुब्बारा। ५. फलित ज्योतिष का राशि-चक्र। | 
			
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				| बुर्जतोप					 : | स्त्री० [हिं०] वह तोप जो मुख्यतः किले के बुर्ज पर रखकर चलाई जाती है। | 
			
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				| बुर्जी					 : | स्त्री० [बुर्ज का अल्पा० रूप] छोटा बुर्ज। | 
			
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				| बुर्द					 : | स्त्री० [फा०] १. ऊपरी आमदनी। ऊपरी लाभ। २. प्रतियोगिता। होड़। ३. प्रतियोगिता आदि में लगाई जानेवाली बाजी या शर्त। ४. शतरंज के खेल में किसी पक्ष की वह स्थिति जिसमें उसके बादशाह को छोड़कर अन्य मोहरे मारे जाते हैं। यह स्थिति आधी मात की सूचक होती है। वि० १. डूबा हुआ। २. नष्ट-भ्रष्ट। चौपट। बरबाद। जैसे—उसने जुए में सारा घर बुर्द कर दिया। | 
			
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				| बुर्दबार					 : | वि० [फा०] [भाव० बुर्दबारी] १. शान्तिप्रिय। २. सहन-शील। | 
			
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				| बुर्दाफरोश					 : | पुं० [फा० बर्दः फ़रोश] [भाव० बुर्दा फरोशी] १. वह जो मनुष्य बेचने का व्यापार करता हो। २. वह व्यक्ति जो जवान स्त्रियों को भगाता और दूसरों के हाथ बेचकर धन कमाता हो। | 
			
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				| बुर्राक					 : | वि० [फा०] १. चमकता हुआ। चमकीला। २. बहुत ही साफ और स्वच्छ। जैसे—बुर्राक कपड़े। ३. बहुत ही तीव्र गतिवाला। ४. चतुर। चालाक। | 
			
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				| बुर्री					 : | स्त्री० [हिं० बरकना] बोने का वह ढंग जिसमें बीज हल की जोत में डाल दिये जाते हैं और उसमें से आपसे आप गिरते चलते हैं। | 
			
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				| बुर्श					 : | पुं०=बुरुश। | 
			
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