| शब्द का अर्थ | 
					
				| बूक					 : | पुं० [देश०] ऊँची पहाड़ियों पर होनेंवाला माजूफल की जाति का एक वृक्ष। पु० [हिं० बकोटा] हाथ के पंजों की वह स्थिति जो उँगलियों को बिना हथेली से लगाये किसी वस्तु को पकड़ने, उठाने या लेने के समय होती है। चंगुल। बकोटा। पुं० [सं० वक्ष] १. कलेजा। हृदय। २. छाती। वक्षःस्थल। स्त्री०=बुक (कपड़ा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बूकना					 : | स० वृक्ण=तोड़ा-फोड़ा हुआ] १. सिल और बट्टे की सहायता से किसी चीज को महीन पीसना। पीसकर चूर्ण करना। २. अनावश्यक और हास्यास्पद रूप में अपने किसी गुण, योग्यता आदि का प्रदर्शन करना। बधारना। जैसे—अंगरेजी या संस्कृत बूकना, कानून या कारीगरी बूकना। | 
			
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				| बूका					 : | पुं० [देश०] वह भूमि जो नदी के हटने से निकल आती है। गंगबरार। पुं०=बुक्का। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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