| शब्द का अर्थ | 
					
				| बूड़					 : | स्त्री० [हिं० बूड़ना] जल की इतनी गहराई जिसमें आदमी डूब सके। डुबाव। | 
			
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				| बूड़न					 : | स्त्री०=बुड़ (डुबाव)। | 
			
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				| बूड़ना					 : | अ० [सं० व्रुड=डूबना] १. निमज्जित होना। डुबना। २. किसी काम या बात या विषय में निमग्न या लीन होना। उदा०—अनबूड़े बूड़े तिरे जे बूड़े सब अंग।—बिहारी। संयो० कि०—जाना। | 
			
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				| बूड़ा					 : | पुं० [हिं० डूबना] १. वर्षा आदि के कारण होनेवाली जल की बाढ़। २. उतना गहरा पानी जिसमें आदमी डूब सकता हो।य़ डुबाव। कि० प्र०—आना। | 
			
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				| बूड़िया					 : | पुं० [हिं० बूड़ना] गहरे पानी में गोता लगाकर चीजें निकालने-वाला। गोताखोर। डुब्बा। | 
			
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				| बूड़					 : | पुं० [हिं० बूढ़ा] १. बीरबहूटी। २. बीरबहुटी की तरह का गहरा लाल रंग। वि०=बूढ़ा (वृद्ध)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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