| शब्द का अर्थ | 
					
				| बृहत					 : | वि० [सं०√ वृह (बृद्धि)+ अति नि० सिद्घि] १. बहुत बड़ा या भारी। विशाल। २. दृढ़ पक्का। मजबूत। ३. बलवान। ४. (स्वर) ऊँचा या भारी। ५. पर्याप्त। यथेष्टा। ६. घना। निविड़। पुं० एक मरुत् का नाम। | 
			
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				| बृहतिका					 : | स्त्री० [सं० वृहती+ कन्+ टाप्-ह्नस्व] उपरना। दुपट्टा। | 
			
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				| बृहती					 : | स्त्री० [सं० वृहत्+ङीष्] १. कटाई। बरहंटा। बनभंटा। २. भटकैटया ३. वाक्य। ४. उत्तरीय वस्त्र। उपरना। ५. विश्वावसु गंघर्व की वीणा का नाम। ५. सुश्रुत के अनुसार एक मर्मस्थान जो रीढ़ के दोनों ओर पीठ के बीच में है। ६. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में नौ अक्षर होते हैं। | 
			
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				| बृहतीपति					 : | पुं० [सं० ष० च०] बृहस्पति। | 
			
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				| बृहत्कंद					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णुकंद। २. गाजर। | 
			
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				| बृहत्केतु					 : | पुं० [सं० ब० स०] अग्नि] | 
			
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				| बृहत्तर					 : | वि० [सं० बृहत्+तरप्] १. किसी बड़े या बृहत् की तुलना में और भी बड़ा। जिसमें मूल क्षेत्र के अतिरिक्त आसपास के क्षेत्र भी मिले हों। जैसे—बृहत्तर भारत। | 
			
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				| बृहत्ताल					 : | पुं० [कर्म० स०] हिताल। | 
			
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				| बृहत्तृण					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] बाँस। | 
			
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				| बृहत्त्वक् (च्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] नीम का वृक्ष। | 
			
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				| बृहत्त्पत्र					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. हाथी कंद। २. सफेद लोध। ३. कासमर्द। | 
			
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				| बृहत्पर्ण					 : | पुं० [सं० ब० स०] सफेद लोध | 
			
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				| बृहत्पाद					 : | पुं० [सं० ब० स०] वटवृक्ष। का पेड़। | 
			
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				| बृहत्पीलु					 : | पुं० [सं० कर्म० सं०] महापीलु। पहाड़ी अखरोट। | 
			
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				| बृहत्पुष्प					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. पेठा। २. केले का पौधा। | 
			
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				| बृहतुष्पी					 : | स्त्री० [सं० ब० स० , डीष्] सन का पेड़। सनई। | 
			
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				| बृहत्फल					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. चिचिड़ा। चिचड़ा। २. कुम्हड़ा। ३. कटहल। ४. जामुन। ५. तितलौकी। ६. महेन्द्र-वारुणी। | 
			
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