| शब्द का अर्थ | 
					
				| बेउँगा					 : | पुं० [देश०] बाँस का वह चोंगा जिसे कंबल की पट्टियाँ बुनते समय ताने की साथी अलग करने के लिए रखते है। | 
			
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				| बेउ					 : | वि० [सं० द्वि+अपि] दोनों। उदाहरण-बाहाँ तिकरि पसारी बेउ। -प्रिथीराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बेउज्र					 : | वि० [फा० बे+उज्ज्] जो उडज्ज या आपत्ति न करता हो। | 
			
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				| बेउसूल					 : | कि० वि० [फा०+अ०] बिना किसी सिद्धांत के। वि० जिसका कोई उसूल या सिद्धांत न हो। सिद्धांतहीन। | 
			
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