| शब्द का अर्थ | 
					
				| बेख					 : | स्त्री० [फा०] जड़। मूल। पुं० १.=बेष। २.=स्वाँग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बेखटक					 : | वि० [हिं० बे+हि० खटका] बिना किसी प्रकार के खटके के। बिना किसी प्रकार की रुकावट या असमंजस के। निस्संकोच। अव्य०=बेखटके। | 
			
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				| बेखटके					 : | अव्य० [हिं० बेखटत] बिना आशंका या खटके के। फलतः निर्भय होकर। | 
			
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				| बेखबर					 : | वि० [फा० बे+खबर] [भाव० बेखबरी] १. जिसको किसी बात की खबर न हो। अनजान। नावाफिक। २. जिसे कुछ भी खबर न हो। बेसुध। बेहोश। जैस—सब लोग बेखबर सोये थे। | 
			
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				| बेखबरी					 : | स्त्री० [फा० बें०+अ० खबरी] १. बेखबर होगे की अवस्था या भाव। अज्ञानता। २. बेहोशी। | 
			
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				| बेखुद					 : | वि० [फा० बेखुद] [भाव० बेखुदी] जो आपे में न हो। अपनी सुध-बुध भूला हुआ। | 
			
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				| बेखुदी					 : | स्त्री० [फा०] बेखुद होने की अवस्था या भाव। आपे में न होना। | 
			
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				| बेखुर					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का पक्षी जिसका शिकार किया जाता है। | 
			
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				| बेखौफ					 : | वि० [फा० बे+अ० खौफ़] जिसे खौफ या भय न हो। निर्भय। | 
			
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