| शब्द का अर्थ | 
					
				| बेदा					 : | पुं० [सं० बिदु] १. माथे पर लगाया जानेवाला चंदन आदि का गोल टीका। २. माथे पर पहनने का बंदी या बेंदी नाम का गहना। | 
			
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				| बेद					 : | पुं० १.=वेद। २. बेंत। ३.=मुश्क बेद। | 
			
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				| बेदक					 : | पुं० [सं० वैदिक] हिंदू। (डिं०) | 
			
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				| बेदन					 : | पुं० [सं० वेदन] १. पशुओं का एक प्रकार का संक्रामक भीषण ज्वर जिसमें रोगी पशु काँपने लगता है। और उसे पाखाने के साथ आँव निकलती है। २. दे० ‘वेदन’। | 
			
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				| बेदना					 : | स्त्री०=वेदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बेद-मजनूँ					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का वृक्ष जिसकी शाखाएँ बहुत झुकी हुई रहती हैं और जो इसी कारण बहुत मुरझाया और ठिठुरा हुआ जान पड़ता है। | 
			
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				| बेद-माल					 : | पुं० [देश०] लकड़ी की वह तख्ती जिस पर रंगड़कर सिकलीगर औज़ार चमकाते हैं। | 
			
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				| बेद-मुश्क					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का वृक्ष जो पश्चिम भारत और विशेषतः पंजाब में अधिकता से होता है। | 
			
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				| बेदरी					 : | वि०=बीदरी। | 
			
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				| बेद-लैला					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का पौधा जिसमें सुन्दर फूल लगते हैं। | 
			
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				| बेदवा					 : | पुं० [सं० वेद] वेदों का ज्ञाता और अनुयायी। (उपेक्षासूचक) | 
			
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				| बेदाग					 : | वि० [फा० बेदाग़] १. जिसमें या जिसपर कोई दाग या धब्बा न हो। साफ। २. (व्यक्ति, उसका चरित्र या स्वभाव) जिसमें कोई ऐब या दोष न हो। बे-ऐब। निर्दोष। ३. निरपराध। बेकसूर। कि० वि० बिना किसी प्रकार की त्रुटि या दोष के। जैसे—वेदाग निशाना लगाना। | 
			
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				| बेदाना					 : | पुं० [हिं० विहीदाना या फा० बे+ दाना] १. पतले छिलकेवाला एक प्रकार का बढ़िया अनार जिसके दानों में मिठास अधिक होती है। २. बिहीदाना नामक फल। २. उक्त फल के बीज जो रेचक और ठंढ़े होते हैं। ४. दारु-हल्दी। ५. एक प्रकार का छोटा शहतूत। ६. बहुत छोटे दानोंवाली बुँदिया नामक मिठाई। वि०=नादान (नासमझ)। वि० [फा० बेदानः] (फल) जिसमें बीच न हों। जैसे—बेदाना अमरूद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बेदारी					 : | स्त्री० [फा०] जाग्रत और सचेत होने की अवस्था या भाव। जाग्रति। | 
			
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				| बेदिल					 : | वि० [फा०] [भाव० बेदिली] उदास। खिन्न। | 
			
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				| बेदी					 : | स्त्री०=वेदी। पुं० [सं० वेद] वेदों पर श्रद्धा रखनेवाला व्यक्ति। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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