| शब्द का अर्थ | 
					
				| बोर					 : | पुं० [हिं० बोरना] १. पानी आदि में बोरने अर्थात् डुबाने की क्रिया या भाव। जैसे—दो बोर की रंगाई। २. गोता। डुबकी। क्रि० प्र०—देना। पुं० [सं० वर्तुल] १. चाँदी या सोने का बना हुआ गोल और कँगूरेदार घुँघरू जो आभूषणों में गूँथा जाता है। जैसे—पाजेब के बोर। २. सिर पर पहनने का एक गहना जिसमें मीनाकारी का काम होता है। इसे बीजू भी कहते हैं। पुं० [?] १. गड्ढा। २. आहार। भोजन। (पूरब) २. घमंड। दर्प। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बोरका					 : | पुं० [हिं० बोरना] १. मि्टटी की वह दवात जिसमें लड़के घड़िया घोलकर रखते हैं। २. दवात। पुं०=बुरका। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बोरना					 : | स० [हिं० बूड़ना] १. जल या किसी तरल पदार्थ मे निमग्न करना। डुबाना। २. अच्छी तरह से तर करना। भिगोना। ३. बुरी तरह से चौपट या नष्ट करना। जैसे—कुल का नाम बोरना। ४. किसी चीज या बात में पूरी तरह से युक्त करना। उदाहरण—कपट बोरि बानी मृदुल बोलेउ जुगुति समेत।—तुलसी। | 
			
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				| बोरसी					 : | स्त्री० [हिं० गोरसी] मिट्टी का बरतन जिसमें आग रखकर जलाते हैं। अँगीठी। | 
			
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				| बोरा					 : | पुं० [सं० पुर=दोना या पत्र] [स्त्री० अल्पा० बोरी] १. टाट का बना हुआ थैला जिसमें अनाज आदि कहीं ले जाने के लिए रखते हैं। पुं० [सं० वर्तुल] घुँघरू (दे० ‘बोर’)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बोराबंदी					 : | स्त्री० [हिं० बोरा+बंद (करना)] १. अनाज बोरों आदि में भरकर बन्द करने का काम। २. अनाज आदि की बिक्री का वह प्रकार जिसमें पूरे और भरे हुए बोरे ही बेचे जाते हैं, खोलकर फुटकर रूप में नहीं। | 
			
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				| बोरिका					 : | पुं०=बोरका। | 
			
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				| बोरिया					 : | पुं० [फा०] १. चटाई। २. बिस्तर। बिछौना। पद—बोरिया-बंधन=घर गृहस्थी का बहुत थोड़ा सा सामान। मुहावरा—(कहीं से) बोरिया या बोरिया-बंधना उठाना= चलने की तैयारी करना। प्रस्थान करना। स्त्री० बोरी छोटा बोरा)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| बोरी					 : | स्त्री० [हिं० बोरा] टाट की छोटी थैली। छोटा बोरा। | 
			
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				| बोरी					 : | स्त्री० [सं० बोरव] एक प्रकारका मोटा धान जो नदी के किनारे की सीड़ में बोया जाता है। | 
			
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				| बोरी-बाँस					 : | पुं० [देश० बोरो+हिं० बाँस] एक प्रकार का बाँस जो पूर्वी बंगाल में होता है। | 
			
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				| बोर्जुआ					 : | पुं० [जर०] मध्यवर्ग का ऐसा व्यक्ति जो पुरानी प्रथाएँ मानता हो और अपने आपको निम्नवर्ग की तुलना में बहुत प्रतिष्ठित समझता हो तथा लोभी और स्वार्थी हो। | 
			
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				| बोर्ड					 : | पुं० [अं०] १. किसी स्थायी कार्य के लिए बनी हुई समिति। जैसे—म्युनिसिपिल बोर्ड। २. माल के मामलों के फैसले या प्रबन्ध के लिए बनी हुई समिति या कमेटी। ३. कागज की मोटी दफ्ती। गत्ता। | 
			
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