| शब्द का अर्थ | 
					
				| ब्याज					 : | पुं० [सं० ब्याज] १. वह धन जो ऋण लेनेवाले को मूल धन के अतिरिक्त देना पड़ता है। उधार दिये हुए रुपयों का सूद। वृद्धि। क्रि० प्र०—जोड़ना।—फैलाना।—लगाना। २. दे० ‘ब्याज’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ब्याज खोर					 : | पुं० [हिं० ब्याज+फा० खोर] वह जो सूद पर रुपया कर्ज दे। ब्याद की कमाई खानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ब्याजू					 : | वि० [हिं० ब्याज] १. ब्याज संबंधी। २. ब्याज अर्थात् सूद पर लगाया हुआ। (धन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |