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			| शब्द का अर्थ |  
				| ब्रह्म-वैवर्त					 : | पुं० [सं० ष० त०+अच्] १. वह प्रतीत जो ब्रह्म के कारण हो। जैसे—जगत की प्रतीति। २. जगत् जिसकी प्रतीति और सृष्टि ब्रह्म के द्वारा होती है। ३. श्रीकृष्ण। ४. अठारह पुराणों में से एक पुराण जो श्रीकृष्ण भक्ति के सम्बन्ध में हैं। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |