| शब्द का अर्थ | 
					
				| ब्रह्मांड					 : | पुं० [सं० ब्रह्मान्-अंड, ष० त०] १. चौदहों भुवनों का समूह जो अंडाकार माना गया है। संपूर्ण विश्व जिसके अनेक लोक है। विश्व गोलक। २. मत्स्य-पुराणानुसार एक महादान जिसमें सोने का विश्व गोलक (जिसमें लोक लोकपाल आदि बने रहते हैं) दान दिया जाता है। ३. कपाल। खोपड़ी। मुहावरा—ब्रह्मांड चटकना=(क) खोपड़ी फटना। (ख) बहुत अधिक ताप आदि के कारण सिर में बहुत पीड़ा होना। | 
			
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				| ब्रह्मांडीय					 : | वि० [सं०] समस्त ब्रह्मांड में होने या उससे संबंध रखनेवाला विश्वक (कास्मिक)। | 
			
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