शब्द का अर्थ
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भाग्य :
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वि० [सं०√भज्+ण्यत्, कुत्व] जिसके भाग अर्थात् हिस्से हो सकते हों या होने को हों। भागार्ह। पुं० १. वह ईश्वरीय या दैवी विधान जिसके संबंध में यह माना जाता है कि प्राणियों, विशेषतः मनुष्यों के जीवन में जो घटनाएँ घटती हैं, वे पूर्व-निश्चित और अवश्यंभावी होती हैं और उन्हीं के फलस्वरूप मनुष्यों को सब प्रकार के सुख-दुःख प्राप्त होते हैं और उनके जीवन का क्रम चलता है। किस्मत। तक़दीर। नसीब। विशेष—साधारणतः लोक में इसका निवास मनुष्य के ललाट में माना जाता है। क्रि० प्र०—खुलना।—चमकना।—फूटना। पद—भाग्य का साँढ़=बहुत बड़ा भाग्यवान्। (परिहास और व्यंग्य) मुहा० के लिए देखें ‘किस्मत’ के मुहा०। २. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
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भाग्यदा :
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स्त्री० [सं० भाग्य√दा (देना)+क+टाप्] चिट्ठी निकालकर टिकट खरीदनेवालों में इनाम बाँटने की पद्धति जिसमें केवल भाग्य से ही लोगों को धन मिलता है। (लॉटरी) |
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भाग्य-पत्रक :
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पुं० [सं० मध्य० स०] आकस्मिक रूप से उठाई या चुनी हुई दो या अधिक परचियों में सो कोई एक जिस पर कुछ लिखा रहता और जिसके अनुसार धन-संपत्ति आदि का बँटवारा, कोई नियुक्ति या निश्चय किया जाता है। (लाट) |
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भाग्य-भाव :
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पुं० [ष० त०] जन्म-कुंडली में जन्म-लग्न से नवाँ स्थान जहाँ से मनुष्य के भाग्य के शुभाशुभ का विचार किया जाता है। (फलित-ज्योतिष) |
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भाग्य-योग :
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पुं० [सं० ष० त०] ऐसा अवसर या समय जिसमें किसी का भाग्य खुलता या चमकता हो। |
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भाग्य-लिपि :
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स्त्री० [सं० ष० त०] भाग्य में लिखी हुई बातें। |
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भाग्य-वश :
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अव्य० [सं० ष० त०] भाग्य या किस्मत से ही (बुद्धि बल या प्रयत्न से नहीं।)। |
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भाग्य-वशात् :
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अव्य० [सं० ष० त०]=भाग्य-वश। |
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भाग्य-वाद :
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पुं० [सं० ष० त०] यह विचार-धारा या सिद्धान्त कि भाग्य में जो कुछ बदा या लिखा है वह अवश्य होगा और जितना बदा या लिखा है उतना नियत समय पर अवश्य प्राप्त होगा। |
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भाग्यवादी (दिन्) :
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वि० [सं० भाग्यवाद+इनि] भाग्यवाद-संबंधी। पुं० वह जो भाग्य पर भरोसा रखता हो। |
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भाग्यवान् (वत्) :
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वि० [सं०=भाग्य+मतुप्] जो भाग्य का धनी हो। अच्छे भाग्यवाला। भाग्यशाली। |
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भाग्य-विधाता (तृ) :
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पुं० [सं० ष० त०] किसी के भाग्य का विधान अर्थात् भला-बुरा निश्चित करनेवाला। |
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भाग्य-विप्लव :
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पुं० [सं० ष० त०] अच्छे भाग्य का बिगड़कर बुरा होना। दुर्भाग्य। |
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भाग्यशाली (लिन्) :
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वि० [सं० भाग्य√शाल्+णिनि] भाग्यवान्। (दे०) |
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भाग्य-संपद् :
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स्त्री० [ष० त०] अच्छा भाग्य। सौभाग्य। |
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भाग्य-हीन :
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वि० [सं० तृ० त०] अभागा। बद-किस्मत। |
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भाग्योदय :
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पुं० [सं० भाग्य-उदय, ष० त०] भाग्य का खुलना। सौभाग्य का समय आना। |
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