| शब्द का अर्थ | 
					
				| मंडर					 : | पुं०=मंडल। | 
			
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				| मँडरना					 : | अ० [सं० मंडल] चारों ओर से घिरना। स० चारों ओर से घेरना। | 
			
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				| मँडराई					 : | स्त्री० [सं० मंडल] पक्षियों आदि का घेरा बाँध या मंडल बनाकर आकाश में उड़ने की क्रिया या भाव। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| मँडराना					 : | अ० [सं० मंडल] १. मंडल या घेरा बाँधकर छा जाना। २. पक्षियों, फतिंगों आदि का किसी चीज के ऊपर तथा चारों ओर चक्कर लगाते हुए उड़ना। ३. लाक्षणिक अर्थ में लोभ या स्वार्थवश किसी के पास रह-रहकर या घूम-घूम कर पहुँचना। किसी व्यक्ति या स्थान के आसपास घूमते या चक्कर लगाते रहना। | 
			
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				| मंडरी					 : | स्त्री० [देश०] पयाल की बनी हुई गोंदारी या चटाई। | 
			
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