| शब्द का अर्थ | 
					
				| मठर					 : | वि० [सं० मन् (जानना)+अरन्, न्=ठ्] जो नशे में हो। मद-मत्त। पुं० एक प्राचीन ऋषि। | 
			
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				| मठरना					 : | पुं० [?] कसेरों, सुनारों आदि का एक औजार जिससे वे धातु के पत्तरों या चद्दरों को पीटते हैं। अ० पत्तर, चद्दर आदि का उक्त उपकरण से पीटा जाना। स० दे० ‘मठारना’। | 
			
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				| मठरी (ली)					 : | स्त्री० [सं० मेठ] =मुट्ठ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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