| शब्द का अर्थ | 
					
				| मदिर					 : | स्त्री० [सं०√मद्+किरच्] लाल खैर। वि० मद से भरा हुआ। उदा०—गूँजते हुए मदिर धुन में वासना के गीत।—प्रसाद। | 
			
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				| मदिरा					 : | स्त्री० [सं० मदिर+टाप्] १. कुछ विशिष्ट प्रकार के अन्नों, फलों, रसों आदि को सड़ाकर उनका भभके से खींचकर निकाला जानेवाला नशीला रस। २. शराब। २. कामदेव की पत्नी। रति। ३. बाइस अक्षरों का एक वर्णिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में सात भगण और अंत में एक गुरु होता है। इसे मालिनी, उमा और दिवा भी कहते हैं। | 
			
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				| मदिराक्ष					 : | वि० [मदिर-अक्ष, ब० स०+अच्] [स्त्री० मदिराक्षी] मस्त आँखोंवाला। मत्तलोचन। | 
			
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				| मदिराभा					 : | स्त्री० [मदिरा-आभा, ष० त०] मदिरा की आभा या आभास। जैसे—स्वर्णोदय सी अंतर्मन में मदिरामा भरती तुम क्षण में।—पंत। | 
			
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				| मदिरायत					 : | वि० [सं० मदिरायतन] मद से भरा हुआ। मदिर। जैसे—मदिरायत नयन। | 
			
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				| मदिरालय					 : | पुं० [मदिरा-आलय, ष० त०] शराबखाना। कलवरिया। | 
			
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				| मदिरालस					 : | वि० [सं० मदिरा-अलस, तृ० त०] [स्त्री० मदिरालसा] अधिक शराब पीने के बाद जिसे बहुत आलस्य आ रहा हो। | 
			
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