| शब्द का अर्थ | 
					
				| मध्व					 : | पुं० दे० ‘मध्वाचार्य’। पुं०=मधु। | 
			
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				| मध्वक					 : | पुं० [सं० मध्व+कन्] मधुमक्खी। | 
			
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				| मध्वल्					 : | पुं० [सं० मधु√अल् (पर्याप्त)+अण्] बार-बार और बहुत शराब पीना। | 
			
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				| मध्वाचार्य्य					 : | पुं० [सं० मध्व-आचार्य, कर्म० स०] दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध वैष्णव आचार्य जिन्होंने माध्व या मध्वाचारि नामक संप्रदाय का प्रावर्तन किया था। इनका समय ईसवी बारहवीं शताब्दी के लगभग माना जाता है। | 
			
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				| मध्वाधार					 : | पुं० [सं० मधु-आधार, ष० त०] मधुमक्खियों का छत्ता। | 
			
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				| मध्वावास					 : | पुं० [सं० मधु-आवास, ष० त०] आम का पेड़। | 
			
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				| मध्वासव					 : | पुं० [सं० मधू-आसाब, तृ० त०] महुए के रस के पाँस से बनाई जानेवाली मदिरा। | 
			
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				| मध्वासवनिक					 : | पुं० [सं० मध्वासवन+ठन्—इक] शराब बनाने तथा बेचनेवाला। कलवार। | 
			
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				| मध्विजा					 : | स्त्री० [सं० मधु√ईज् (प्राप्त होना)+क, पृषो० ह्रस्व,+टाप्] मद्य। | 
			
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