| शब्द का अर्थ | 
					
				| मरम					 : | पुं०=मर्म। | 
			
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				| मरमर					 : | पुं० [फा० मर्मर] एक तरह का सफेद पत्थर। | 
			
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				| मरमरा					 : | वि० [अनु०] जो सहज में टूट जाय। जरा-सा दबाने पर मरमर का शब्द करके टूट जानेवाला। पुं० एक प्रकार का पक्षी। पुं० [हिं० मल या अनु०] वह पानी जो थोड़ा खारा हो। | 
			
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				| मरमली					 : | स्त्री० [देश०] छोटे आकार का एक वृक्ष जिसकी लकड़ी कड़ी और बहुत टिकाऊ होती है। | 
			
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				| मरमराना					 : | अ० [अनु०] टूटने के समय दाब पा कर मरमर शब्द करना। स० इस प्रकार तोड़ना या दबाना कि मरमर शब्द हो। | 
			
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				| मरमी					 : | वि० [सं० मर्म] किसी का मर्म जाननेवाला। मर्मज्ञ। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| मरम्म					 : | पुं०=मर्स। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| मरम्मत					 : | स्त्री० [अ,] १. क्षत, टूटी-फूटी अथवा बिगड़ी हुई वस्तु को फिर से ठीक करके अच्छी स्थिति में लाने का काम (रिपेयर्स)। २. लाक्षणिक अर्थ में, वह मार-पीट जो किसी को सीधे रास्ते पर लाने के लिए की जाय। | 
			
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				| मरम्मत-तलब					 : | वि० [अ०] जिसमें मरम्मत की आवश्यकता हो। मरम्मत किये जाने के योग्य। | 
			
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				| मरम्मती					 : | वि० [हिं० मरम्मत] १. (पदार्थ) जिसकी मरम्मत करने की आवश्यकता हो। मरम्मत-तलब। २. (पदार्थ) जिसकी मरम्मत की जा चुकी हो। | 
			
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