| शब्द का अर्थ | 
					
				| महँ					 : | अव्य० [सं० मध्य] में। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँई					 : | वि० [सं० महान] बड़ा। महान्। अव्य०=महँ (में)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँक					 : | स्त्री०=महक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँकना					 : | अ०=महकना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँगा					 : | वि० [सं० महार्घ] [स्त्री० भाव० महँगी] १. जिसका मूल्य उचित या साधारण से अधिक हो। महुमूल्य। २. जिसका मूल्य पहले की अपेक्षा अधिक हो। अपेक्षाकृत अधिक दामवाला। ३. जिसे प्राप्त करने के लिए आवश्यकता से अधिक व्यय करना, कष्ट उठाना या बदनामी या हानि सहनी पड़ी हो। जैसे—यह मंत्रित्व आपको बहुत महँगा पड़ा है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँगाई					 : | स्त्री० [हिं० महँगा] १. महँगी के कारण नौकरों को वेतन के अतिरिक्त दिया जानेवाला मासिक धन या भत्ता (डियरनेस एलाउन्स) २. दे० ‘महँगी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँगी					 : | स्त्री० [हिं० महँगा] १. महँगे होने की अवस्था या भाव। २. ऐसा समय जिसमें चीजों का भाव अधिक बढ़ गया हो। पहले की अपेक्षा अधिक मूल्य पर वस्तुएं बिकने की स्थित। ३. अकाल। दुर्भिक्ष। क्रि० प्र०—पड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महँड़ा					 : | पुं० [देश] भुना हुआ चना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महंत					 : | पुं० [सं० महत्=बड़ा] [भाव० मंहती] वह संन्यासी (या साधु) जो अपने समाज अथवा किसी मठ का प्रधान हो वि० =महत् (बहुत बड़ा)। | 
			
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				| महंताई					 : | स्त्री०=महंती। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महंति					 : | वि० =महत् (बहुत बड़ा) उदाहरण—मनसि विचारि एक ही महंति।—प्रिथीराज। | 
			
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				| महंती					 : | स्त्री० [हि० महंत+ई (प्रत्यय)] महंत का काम, पद या भाव। उदाहरण—भारी विपति महंती आई, लगन राम सों छूटी। | 
			
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				| महँदी					 : | स्त्री०=मेंहदी। | 
			
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				| मह					 : | वि० [सं] १. महा। बहुत बड़ा। महत्। २. अति। बहुत। अव्य०=महँ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महक					 : | स्त्री० [सं० महक्क] १. दूर तक फैलनेवाली सुगंध। जैसे—कमरा इत्र से या उद्यान फूलों से महक रहा था। २. (प्रिय या अप्रिय) गंध या वास। जैसे—जलते हुए कपड़े की महक। | 
			
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				| महकदार					 : | वि० [हिं० महक+फा० दार (प्रत्यय)] जिसमें महक या सुगंध हो। | 
			
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				| महकना					 : | पुं० [हिं० महक+ना (प्रत्यय)] महक या गंध देना। | 
			
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				| महकमा					 : | पुं० [अ० महकमः] १. कचहरी। न्यायालय। २. शासनिक दृष्टि से उसका कोई विशिष्ट विभाग। | 
			
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				| महकान					 : | स्त्री०=महक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महकाना					 : | स० [हिं० महक] १. महक या सुगंध से युक्त करना। २. महक या सुगंध चारों ओर फैलाना। | 
			
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				| महकाली					 : | स्त्री० [सं० महाकाली] पार्वती (डिं)। | 
			
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				| महकीला					 : | वि० [हिं० महक+ईला (प्रत्यय)] जो महक रहा हो। जिसमें से महक निकलती हो। | 
			
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				| महकूम					 : | वि० [अ० महकूम] १. जिसे हुकुम दिया गया हो। २. शासित। पुं० प्रजा। रिआया। पुं० [?] सूर्य। (डिं०) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महज					 : | अव्य० [अ० महज़] १. केवल। निरा। जैसे—यह तो महज पानी है। २. केवल। मात्र। सिर्फ। जैसे—यह तौ महज पागलपन है। | 
			
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				| महजर					 : | पुं० [अ० महजर] लोगों के हाजिर होने का स्थान। | 
			
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				| महजरनामा					 : | पुं० [महजर+फा० नामः] १. वह प्रार्थना पत्र जो बहुत से आदमियों की ओर से दिया जाय। २. वह साक्ष्य पत्र जिसमें बहुत से गवाहों की गवाही हो। | 
			
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				| महजित					 : | स्त्री०=मसजिद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महज्जन					 : | पुं० =महाजन। | 
			
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				| महटिआना					 : | स० [हिं० मिट्टी+आना (प्रत्यय)] सुनी अनसुनी करना। | 
			
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				| महण					 : | पुं० [सं० महावर्ण] समुद्र। सागर उदाहरण—महण मथे मूँ लीघ महमहण।—प्रिथीराज। | 
			
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				| महत्					 : | वि० [सं०√मह्+अति] १. बहुत बड़ा। महान। २. सर्वश्रेष्ठ। पुं० १. दार्शनिक क्षेत्रों में प्रकृति का आरम्भिक या मूल विकार। महत्तत्व। २. ब्रह्म। ३. राज्य। ४. जल। पानी। पुं० =महत्त्व। | 
			
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				| महतम					 : | पुं० [सं० महत्तम] मालिक। स्वामी। | 
			
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				| महतमाइन					 : | स्त्री० [हिं० महत्तम] मालकिन। स्वामिनी। | 
			
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				| महतवान					 : | पुं० [देश०] करघे में पीछे की ओर लगी हुई वह खूँटी जिसमें ताने को पीछे की ओर खीचें रखनेवाली डोरी लपेटकर बाँधी जाती है। हथेला। पिंडा। | 
			
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				| महता					 : | पुं० [सं० महत्] गाँव का मुखिया। महतो। स्त्री० [सं० महत्ता] १. महत्ता। २. अभिमान। ३. एक प्राचीन नदी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महताब					 : | पुं० [फा० माहताब] १. चंद्रमा। २. एक तरह का जंगली कौआ। मतूरी। स्त्री० १. चन्द्रिका। चाँदनी। २. महताबी नाम की आतिशबाजी। ३. जहाज पर रात में संकेत के लिए जलायी जानेवाली एक प्रकार की नीली रोशनी। | 
			
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				| महताबी					 : | स्त्री० [फा०] १. मोमबत्ती के आकार की एक तरह की आतिशबाजी जिसके जलने से तेज सफेद प्रकाश होता है। २. प्रासादों आदि के आगे के बाग के बीच का गोल चबूतरा जिस पर बैठकर चाँदनी का आनन्द लिया जाता है। ३. चकोतरा। (पूरब)। | 
			
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				| महताम					 : | वि० [सं० महत्तम] श्रेष्ठ। बड़ा। उदाहरण—आय रह्यो महताम।—जटमल। | 
			
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				| महतारा					 : | पुं० [हिं० महतारी (माता)का पुं०] पिता। बाप। (क्व०) उदाहरण—अवतारी सब अवतारन को महतारी महतारो। | 
			
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				| महतारी					 : | स्त्री० [सं० माता] माता। माँ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महती					 : | स्त्री० [सं० महत्+ङीष्] १. नारद की वीणा का नाम। २. बृहती। बन-भंटा। ३. महत्त्व। महिमा। ४. कुश द्वीप की एक नदी। ५. एक प्रकार का रोग जिसमें हिचकी आती है और उसके फलस्वरूप छाती में पीड़ा होती है। ६. योनि के फैलने का रोग (वैद्यक)। | 
			
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				| महती-द्वादशी					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स अथवा न्यस्त पद] श्रवण नक्षत्र में पडऩेवाली भाद्र शुक्ल द्वादशी। | 
			
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				| महतु					 : | पुं० =महत्त्व। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महतो					 : | पुं० [हिं० महता] १. मालिक। स्वामी। २. सरकार। ३. कुछ गयावाला पंडों की एक उपाधि। ४. कहार। (बिहार)। ५. गाँव का मुखिया। ६. किसी मंडली या समाज का मुखिया। | 
			
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				| महत्कथ					 : | पुं० [सं० महती-कथा, ब० स०] खुशामदी। | 
			
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				| महत्तत्त्व					 : | पुं० [सं० महत्त-तत्व, कर्म० स०] १. दार्शनिक क्षेत्र में प्रकृति का पहला बिकार या कार्य। विशेष—सांख्यकार ने कहा है कि पहले-पहल जब तक जगत सुषुप्तावस्था से उठा, या जागा था, तब सबसे पहले इसी महत्तत्त्व का आविर्भाव हुआ था। इसी को दार्शनिक परिभाषा में बुद्धि-तत्त्व भी कहते हैं। २. कुछ तांत्रिकों के अनुसार संसार के सात त्तत्वों में से सबसे अधिक सूक्ष्म तत्त्व। ३. जीवात्मा। | 
			
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				| महत्तनु					 : | पुं० =महत्तत्व।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महत्तम					 : | वि० [सं० महत्+तमप्] १. जिसका महत्व सबसे अधिक आँका, माना या समझा जाता हो। २. सबसे बड़ा। (ग्रेटेस्ट)। | 
			
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				| महत्तम-समापवर्त्तक					 : | पुं० [कर्म० स०] गणित में वह बड़ी से बड़ी संख्या जिसका भाग दो या अन्य संख्याओं में पूरा-पूरा हो सके। | 
			
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				| महत्तर					 : | वि० [सं० महत्+तरप्] किसी की अपेक्षा अधिक महत्व वाला। पुं० शूद्र। | 
			
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				| महत्तरक					 : | पुं० [सं० महत्तर+कन्] दरबारी। मुसाहब। | 
			
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				| महत्ता					 : | स्त्री० [सं० महत्त+तल्+टाप्] महत्त्व। | 
			
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				| महत्त्व					 : | पुं० [सं० महत्+त्व] १. महत् या महा अर्थात् सबसे बड़े होने की अवस्था या भाव। २. बड़प्पन। बड़ाई। श्रेष्टता। ३. किसी काम, बात या चीज की वह अवस्था जिसमें वह अर्थ, उपयोग, परिणाम, प्रभाव, मूल्य आदि के विचार से औरों से बहुत बढ़कर मानी या समझी जाती है। (इम्पार्टेन्स) जैसे—महत्त्व का विचार, महत्त्व का समाचार आदि। | 
			
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				| महत्त्वपूर्ण					 : | वि० [सं० तृ० त०] जिसका कुछ या अधिक महत्त्व हो। | 
			
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				| महत्त्वाकांक्षा					 : | स्त्री० [सं० महत्त्व-आकांक्षा, ष० त०] दे० ‘उच्चाकांक्षा’। | 
			
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				| महदी					 : | वि० [अ० महदी] १. जिसे दीक्षा मिली हो। दीक्षित। २. धर्मनेता। पुं० बारहवें इमाम। (मुसलमान) | 
			
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				| महदूद					 : | वि० [अ० महदूद] १. जिसकी हद बँधी हो। सीमाबद्ध। सीमित। २. घिरा हुआ। ३. कुछ। चंद। | 
			
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				| महदूम					 : | वि० [अ० महदूम] १. नष्ट। २. ध्वस्त। | 
			
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				| महदेश्वर					 : | पुं० [हिं०] मैसूर में होनेवाली बैलों की एक जाति। | 
			
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				| महद्वारुणी					 : | स्त्री०=महेंद्रवाणी (लता)। | 
			
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				| महन					 : | पुं० =मथना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महना					 : | स०=मथना। पुं० [हिं० मथना] बड़ी मथानी। पं०=मेहना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महना-मत्थन					 : | पुं० [हिं० महना=मथना] १. बार-बार किसी बात पर तर्क करते चलना। २. व्यर्थ की बहुत अधिक तकरार या हुज्जत। | 
			
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				| महनिया					 : | पुं० [हिं० महना=मथना+इया (प्रत्यय)] मथनेवाला। | 
			
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				| महनीय					 : | वि० [सं०√मह्+अनीयर] [भाव० महनीयता] १. महान। २. पूजनीय। पूज्य। मान्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महनु					 : | पुं० [हिं० महना] १. मंथन करनेवाला। २. विनाशक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महफा					 : | पुं० [?] एक प्रकार की पालकी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महफिल					 : | स्त्री० [अ० महफ़िल] १. मजलिस सभा। समाज। २. वह समाज या स्थान जिसमें नाच-रंग हो रहा हो। क्रि० प्र०—जमना।—लगना। ३. इस्लामी धार्मिक क्षेत्र में, उपासना या साधना का स्थान। ४. सूफियों की परिभाषा में संसार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महफूज					 : | वि० [अ० महफूज] १. जिसकी हिफाजत की गयी हो। २. आवश्यकता के लिए बचाकर रखा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महबूब					 : | पुं० [अ० महबूब] [स्त्री० महबूबा] वह जिससे प्रेम किया जाय। प्रेमपात्र। प्रिय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महबूबा					 : | स्त्री० [अं० महबूबा] प्रेमपात्री। प्रेयसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमंत					 : | वि० [सं० महा+मत्त] १. मस्त। २. उन्मत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमद					 : | पुं० =मुहम्मद। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमदी					 : | वि० [अ० मुहम्मदी] मुसलमान संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महमह					 : | क्रि० वि० [हिं० महकना] मह-मह करते हुए। सुगंधि के साथ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महमहण					 : | तुं० [सं० महीमथन] विष्णु। (डि०)। उदाहरण—महण मथे मूँ लीध महमथण।—प्रिथीराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमहा					 : | वि० [हिं० महमह] महकदार सुगंधित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमहाना					 : | अ० [हिं० महमह अथवा महकना] गमकना। सुगंधि देना। स० महक या सुगंधि से युक्त करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमा					 : | स्त्री०=महिमा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमान					 : | पुं० =मेहमान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमानी					 : | स्त्री०=मेहमानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमाय					 : | स्त्री० [सं० महामाया] पार्वती (डिं०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमिल					 : | पुं० [अ० महमिल] वह कजावा जिसमें स्त्रियाँ बैठती हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमूद					 : | वि० [अ० महमूद] जिसकी हमद् अर्थात् प्रशंसा की गयी हो। प्रशंसित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महमूदी					 : | स्त्री० [फा० महमूदी] एक तरह की मलमल। वि० महमूद सम्बन्धी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महमेज					 : | स्त्री० [फा० मेहमेज] जूते की एड़ी में लगायी जानेवाली नाल। (घुड़सवारी के समय इसी से घोडे के पेट में आघात करके उसे एड़ लगायी जाती है)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महम्मद					 : | पुं० =मुहम्मद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महम्मदी					 : | वि० पुं० =मुहम्मदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महर					 : | पुं० [सं० महत्] [स्त्री० महरि] १. ब्रज में बोला जानेवाला एक आदरसूचक शब्द जिसका प्रयोग विशेषतः जमींदारों और वैश्यों आदि के संबंध में होता है। २. एक प्रकार का पक्षी। ३. दे० ‘महरा’। वि० =महमहा (सुगंधित)। पुं० [फा०] वह रकम जो निकाह के समय दुल्हिन को देनी निश्चित की जाती है। (मुसलमान)। क्रि० प्र०—बँधना।—बाँधना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महरबान					 : | पुं० =मेहरबान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महरम					 : | पुं० [अ० मह्रम] १. कन्या की दृष्टि से ऐसा व्यक्ति जिससे उसका विवाह न हो सकता हो। २. वह जो भीतरी रहस्य से परिचित हो। हार्दिक मित्र। स्त्री० [?] १. अंगिया। २. अंगिया की कटोरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महरा					 : | पुं० [हिं० महता] [स्त्री० महरी] १. कहार। २. मुखिया। सरदार। ३. पूज्य या श्रेष्ठ व्यक्ति। वि० १. प्रधान। मुख्य। २. पूज्य या श्रेष्ठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महराई					 : | स्त्री० [हिं० महर+आई (प्रत्यय)] १. महर होने की अवस्था या भाव। २. प्रधानता। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महराज					 : | पुं० =महाराज। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महराजा					 : | पुं० =महाराज। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महराण					 : | पुं० [सं० महार्णव] समुद्र। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महराना					 : | पुं० [हिं० महर+आना (प्रत्यय)] महरों के रहने की जगह, महल्ला या गाँव। पुं० =महाराणा। अ०=मेहराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महराब					 : | स्त्री०=मेहराब। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महरि					 : | स्त्री० [हिं० महर] १. एक प्रकार का आदरसूचक शब्द जिसका व्यवहार ब्रज में किसी प्रतिष्ठित स्त्री, विशेषतः सास के लिए होती है। २. घर की मालकिन। गृह-स्वामिनी। ३. ग्वालिन (चिड़िया)। स्त्री०=मेहर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महरी					 : | स्त्री० [देश] ग्वालिन। चिड़िया। स्त्री० हिं० ‘महरा’ का स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महरुआ					 : | पुं० [देश] जस्ता। (सुनार) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महरू					 : | पुं० [देश] १. चंडू पीने की नली। २. एक प्रकार का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महरूम					 : | वि० [अ० मह्रूम] १. जिसे की चीज न मिल सकी हो। जो कुछ पाने से रह गया हो। वंचित। २. अभागा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महरूमी					 : | स्त्री० [अ० मह्रूमी] १. महरूम होने की अवस्था या भाव। २. बदकिस्मती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महरेटा					 : | पुं० [हिं० महर+एटा (प्रत्यय)] [स्त्री० महरेटी] १. महर अर्थात् मुखिया या सरदार का बेटा। २. श्रीकृष्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महरेटी					 : | स्त्री० [हिं० महरेटा] वृषभानु महर की लड़की राधिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महर्घ					 : | वि० =महार्घ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महर्घता					 : | स्त्री०=महार्घता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महर्लोक					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] पुराणानुसार भू, भ्रुवः आदि चौदह लोकों में से एक। विशेष—अरविन्द दर्शन में यह लोक ऊपर के तीन लोकों—सत् चित् और आनन्द तथा नीचे के तीन लोकों, भू, भ्रुवः स्वः के मध्य में माना गया है, और इसी में प्रति-मानस (देवों) का निवास माना गया है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महर्षभी					 : | स्त्री० [सं० महती-ऋषभी, कर्म० स०] कौंछ। केवाँच। | 
			
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				| महर्षि					 : | पुं० [सं० महत्-ऋषि, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा ऋषि। ऋषीश्वर। जैसे—वेदव्यास २. संगीत में एक प्रकार का राग जो भैरव के आठ पुत्रों में से एक कहा गया है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महर्षिका					 : | स्त्री० [हिं० महर्षि+कन्+टाप्] भटकटैया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महल					 : | पुं० [अ०] १. राजाओं, रईसों आदि के रहने का बहुत बड़ा मकान। भवन। प्रासाद। २. अंतःपुर। रनिवास। ३. बहुत बड़ा और सजा हुआ कमरा। ४. अवसर। मौका। ५. बड़ी मधुमक्खी। सारंग। ६. पत्नी। बीबी। | 
			
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				| महलम					 : | पुं० [अ, मह्लम] वह जिसके पास ईश्वर कोई विशेष सन्देश भेजे। उदाहरण—विद्यापति छवि मान मलहम जुगपति चिरे जीवे जीवयु।—विद्यापति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महल-सरा					 : | स्त्री० [अ० महल+फा० सरा] अंतःपुर। जनानाखाना। रनिवास। | 
			
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				| महलाठ					 : | पुं० [देश] एक प्रकार का पक्षी जिसकी दुम लम्बी, ठोर काली, छाती, खैरी पीठ खाकी रंग की और पैर काले होते हैं। इसे कोकैया और मुटरी भी कहते हैं। | 
			
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				| महली					 : | पुं० [हिं० महल] १. वह जनखा, जो महलों में पहरा देता तथा बेगमों की सेवा करता हो। २. कंचुकी। | 
			
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				| महली-पटैला					 : | पुं० [हिं० महल+पटैला] एक प्रकार की बड़ी नाव जिस पर केवल, लकड़ी, पत्थर आदि लादे जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महल्ला					 : | पुं० [अ० महल्लः] शहर का कोई विभाग जिसमें बहुत से मकान तथा कई गलियाँ होती है टोला। पाड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महल्लेदार					 : | पुं० [अ, महल्लः+फा० दार (प्रत्यय)] १. महल्ले का चौधरी या प्रधान। २. चमार, भंगी, मेहतर आदि जो अलग-अलग महल्लों में सफाई करते हैं। | 
			
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				| महल्लेदारी					 : | स्त्री० [हिं० महल्लेदार] एक ही महल्ले में रहनेवालों में होनेवाला बरताव या लेन-देन। | 
			
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				| महशर					 : | पुं० [अ० महसर] १. कयामत। प्रलय। २. कयामत का दिन। | 
			
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				| महसार					 : | स्त्री०=महासीर (मछली)। | 
			
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				| महसिल					 : | पुं० [अ० मुहस्सिल] तहसील वसूल करनेवाला। उगाहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महसीर					 : | स्त्री०=महासीर (मछली)। | 
			
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				| महसूद					 : | वि० [अ० महसूद] १. जिससे हसद या ईर्ष्या की गयी हो। २. ईर्ष्या किये जाने योग्य। | 
			
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				| महसूर					 : | वि० [अ० महसूर] घेरे में पड़ा हुआ। घिरा हुआ। | 
			
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				| महसूल					 : | पुं० [अ० महसूल] १. किसी चीज पर लगनेवाला किसी प्रकार का कर या शुल्क। २. कोई चीज कहीं भेजने का किराया या भाड़ा। ३. जमीन की मालगुजारी या लगान। | 
			
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				| महसूली					 : | वि० [अ० महसूली] जिस पर किसी प्रकार का महसूल लगा हो या लग सकता हो। महसूल के योग्य। स्त्री० भूमि जिस पर लगान देना पड़ता हो। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महसूस					 : | वि० [अ० महसूस] जिसका एहसास (अर्थात् किसी ज्ञानेन्द्रिय के द्वारा ज्ञान) हुआ हो। जैसे—किसी चीज या बात की कमी महसूस होना। | 
			
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				| महाँ					 : | अव्य०=महँ। वि० =महा। | 
			
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				| महा					 : | वि० [सं०] १. बहुत अधिक। अत्यन्त। २. बड़ा। महान्। ३. सबसे बढ़कर। सर्वश्रेष्ठ। पं० [हिं० महना=मथना] मठा। छाछ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाई					 : | स्त्री० [सं० मथन, हिं० महना+आई (प्रत्यय)] १. महने अर्थात् मथने की क्रिया, भाव या पारिश्रमिक। २. नील की मथाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाउत					 : | पुं० =महावत। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाउर					 : | पुं० =महावर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महाकंद					 : | पुं० [सं० महत्-कंद० कर्म० स०] १. लहसुन। २. प्याज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाकंबु					 : | पुं० [सं० महत्-कंबु, ब० स०] शिव। | 
			
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				| महाकच्छ					 : | पुं० [सं० महत्-कच्छ, ब० स०] १. समुद्र। सागर। २. वरूण देवता। ३. पर्वत। पहाड़। ४. एक प्राचीन देश। | 
			
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				| महाकपि					 : | पुं० [सं० महत्-कपि, कर्म० स०] १. शिव का एक अनुचर। २. एक बोधिसत्व का नाम। | 
			
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				| महाकपित्थ					 : | पुं० [सं० महत्-कपित्थ, कर्म० स०] १. बेल का वृक्ष। २. लाल लहसुन। | 
			
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				| महाकपोत					 : | पुं० [सं० महत्-कपोत, कर्म० स०] एक तरह का जहरीला साँप। | 
			
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				| महाकरंज					 : | पुं० [सं० महत्-करंज, कर्म० स०] एक प्रकार का बड़ा करंज। | 
			
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				| महाकर					 : | पुं० [सं० महत्-कर, ब० स०] एक बोधिसत्त्व का नाम। वि० १. लम्बे हाथोंवाला। २. अधिक आय करनेवाला। | 
			
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				| महाकर्ण					 : | पुं० [सं० महत्-कर्ण, ब० स०] १. शिव २. नाग। | 
			
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				| महाकर्णा					 : | स्त्री० [सं० महाकर्ण+टाप्] कार्तिकेय की एक मातृका। | 
			
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				| महाकर्णिकार					 : | पुं० [सं० महत्-कर्णिकार, कर्म० स०] अमलतास। | 
			
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				| महाकल्प					 : | पुं० [सं० महत्-कल्प, कर्म० स०] ब्रह्मा कल्प। (पुराण)। | 
			
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				| महाकांत					 : | पुं० [सं० महत्-कांत, कर्म० स०] शिव। | 
			
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				| महाकांता					 : | स्त्री० [सं० महती-कांता, कर्म० स०] पृथ्वी। | 
			
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				| महाकाय					 : | पुं० [सं० महत्-काय० ब० स०] १. शिवजी का नंदी नामक गण और द्वारपाल। २. विष्णु। ३. हाथी। वि० बहुत बड़ी काया या शरीरवाला। | 
			
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				| महाकार्तिकी					 : | स्त्री० [सं० महती-कार्तिकी, कर्म० स०] कार्तिक की वह पूर्णिमा जो रोहिणी नक्षत्र में हो। | 
			
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				| महाकाल					 : | पुं० [सं० महत्-काल, कर्म० स०] १. सृष्टि और प्राणियों का अंत करने वाले, महादेव या शिव का एक रूप। २. सारा समय जो विष्णु के समान अनंत और अखंड है ३. शिव का एक गण जो कुछ पुराणों में शिव का पुत्र कहा गया है। ४. प्राचीन भारत में सूर्योंदय का प्रामाणिक और मानक काल जो उज्यिनी के सूर्योदय काल के अनुरूप और उसके आधार पर माना जाता था। ५. उक्त के आधार पर उज्जयिनी में स्थित शिव का एक प्रसिद्ध मन्दिर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाकाली					 : | स्त्री० [सं० महाकाल+ङीष्] १. महाकाल-स्वरूप शिव की पत्नी जिसके पाँच मुख और आठ भुजाएँ मानी जाती है। २. दुर्गा की एक प्रसिद्ध मूर्ति या रूप। ३. शक्ति की एक अनुचरी। ४. जैनों के अनुसार सोलह विद्या-देवियों में से एक जो अवसर्पिणी के पाँचवें अर्हत् की देवी हैं। | 
			
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				| महाकाव्य					 : | पुं० [सं० महत्-काव्य, कर्म० स०] बहुत बड़ा और विस्तृत काव्य-ग्रंथ। विशेष—भारतीय साहित्य में पहले महाकाव्य वह कहलाता था जिसमें किसी व्यक्ति के आदि से अन्त तक के पूरे जीवन का विस्तृत विवरण होता था। पर बाद में साहित्यकारों ने इसके सम्बन्ध मे कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगा दिये थे, यथा—यह श्रृंखला-बद्ध होने के सिवा सर्ग-बद्ध भी होना चाहिए, इसके नायक देवता, राजा या धीरोदात्त क्षत्रिय होना चाहिए, इसमें वीर, शान्त तथा श्रृंगार रसों में से कोई एक रस प्रधान होना चाहिए, बीच-बीच में प्रसंगवश और रस भी होने चाहिए, अनेक प्रकार के प्राकृतिक दृश्यों और शोभाओं मानव या लौकिक जीवन के भिन्न-भिन्न अंगो, कार्यों, घटनाओं आदि का भी वर्णन होना चाहिए, आदि आदि। इस दृष्टि से महाभारत और रामायण तो महाकाव्य हैं ही, कालिदास कृत रघुवंश, माघ-कृत शिशुपाल वध, भारवि-कृत, किरातार्जुनीय और हर्ष-कृत नैषध-चरित भी महाकाव्य की श्रेणी में आ जाते हैं। पर आज-कल वह बहुत बड़ा काव्य भी महाकाव्य मान लिया जाता है जो कवित्य की दृष्टि से बहुत उच्च कोटि का हो और जिसमें बहुत से विषयों का सुन्दर रूप में वर्णन हो। | 
			
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				| महाकाश					 : | पुं० [सं० महत्-आकाश, कर्म० स०] १. पूरा आकाश। २. [ब० स०] एक पर्वत का नाम। | 
			
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				| महा कुमार					 : | पुं० [सं० महत्-कुमार, कर्म० स०] युवराज। | 
			
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				| महाकुमुदा					 : | स्त्री० [सं० महती-कुमुदी, कर्म० स०] गंभारी। | 
			
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				| महाकुल					 : | पुं० [सं० महत्-कुल, कर्म० स०] उच्च कुल। वि० [ब० स] महाकुलीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाकुलीन					 : | वि० [सं० महाकुल+ख-ईय] ऊँचे कुल में जन्मा हुआ। | 
			
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				| महाकुष्ठ					 : | पुं० [सं० महत्-कुष्ठ, कर्म० स०] कुष्ठ का वह भेद जिसमें हाथ-पैर की उँगलियाँ गलने तथा गलकर गिरने लगती हैं गलित। कुष्ठ। | 
			
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				| महाकृच्छ					 : | पुं० [सं० महत्-कृच्छ्र, कर्म० स०] १. विष्णु का एक नाम। २. घोर तपस्या। | 
			
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				| महाकृष्ण					 : | पं० [सं० महत्-कृष्ण, कर्म० स०] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का बहुत जहरीला साँप। पुं० शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाकोश					 : | पुं० [सं० महत्-कोश, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाकोशातकी					 : | स्त्री० [सं० महती-कौशातकी, कर्म० स०] निनुआँ या घीआ नाम की तरकारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाक्रतु					 : | पुं० [सं० महत्-क्रुत, कर्म० स०] बहुत बड़ा यज्ञ। राजसूय यज्ञ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाक्रोध					 : | पुं० [सं० महत्-क्रोध, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाक्ष					 : | पुं० [सं० महत्-अक्षि-ब० स० षच्] १. शिव। २. विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाक्षीर					 : | पुं० [सं० महत्-क्षीर, ब० स०] ईख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाखर्व					 : | पुं० [सं० महत्-खर्व, कर्म० स०] सौ खर्व की संख्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागंगा					 : | स्त्री० [सं० , कर्म० स०] एक प्राचीन नदी (महा०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागंध					 : | पुं० [सं० महत्-गंध, ब० स०] १. चन्दन। २. कुटज। ३. जलबेंत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागंधा					 : | स्त्री० [सं० महागंध+टाप्] १. केवड़ा। २. नागबला। ३. चामुंडा देवी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागज					 : | पुं० [सं० महत्-गज, कर्म० स०] दिग्गज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागणनाध्यक्ष					 : | पुं० =महालेखापाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागणपति					 : | पुं० [सं० महत्-गणपति, कर्म० स०] शिव का एक अनुचऱ। गणेश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागद					 : | पुं० [सं० महत्-गद, कर्म० स०] १. ज्वर। बुखार। २. कठिन रोग। ३. एक औषध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागर्त्त					 : | पुं० [सं० महत्-गर्त, ब० स०] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागर्भ					 : | पुं० [सं० महत्-गर्भ, ब० स०] १. विष्णु। २. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागिरि					 : | पुं० [सं० महत्-गिरि, कर्म० स०] बहुत बड़ा पहाड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागीत					 : | पुं० [सं० महत्-गीत, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागुण					 : | पुं० [सं० महत्-गुण, ब० स०] अति गुणकारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागुनी					 : | पुं० =महोगनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागुरु					 : | पुं० [सं० महत्-गुरु, कर्म० स०] माता, पिता और गुरु इन तीनों का समाहार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागुल्मा					 : | स्त्री० [सं० महत्-गुल्म, ब० स०+टाप्] सोमलता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महागोधूम					 : | पुं० [महत्-गोधूम, कर्म० स०] बड़े दाने का गेहूँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाग्रंधिक					 : | पुं० [सं० महत्-ग्रंथिक, कर्म० स०] वह औषधि जिसके सेवन से रोग निश्चित रूप से रुक जाय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाग्रह					 : | पुं० [सं० महत्-ग्रह, कर्म० स०] राहु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाग्रीव					 : | पुं० [सं० महती-ग्रीवा, ब० स०] १. शिव। २. शिव का एक अनुचर। ३. पुराणानुसार एक देश का नाम। ४. ऊँट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाघूर्णा					 : | स्त्री० [सं० महती-घूर्ण, ब० स०,+टाप्] शराब। मदिरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाघृत					 : | पुं० [सं० महत्-घृत, कर्म० स०] बहुत पुराना घी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाघोष					 : | पुं० [सं० महत्-घोष, कर्म० स०] १. भारी शब्द। २. [ब० स०] बाजार। हाट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाघोषा					 : | स्त्री० [सं० महाघोष+टाप्] काकड़ा सिंघी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचंचु					 : | पुं० [सं० महती-चञ्चु, ब० स०] चेंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचंड					 : | पुं० [सं० महत्-चंड, कर्म० स०] १. यम के दूत। २. शिव का एक गण। वि० =प्रचंड। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचंडा					 : | स्त्री० [सं० महाचंड+टाप्] चामुंडा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचक्रवर्ती (र्तिन्)					 : | पुं० [सं० महत्-चक्रवर्तिन, कर्म० स०] बहुत बड़ा चक्रवर्ती राजा। सम्राट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचपला					 : | स्त्री० [सं० महती-चपला, कर्म० स०] ऐसा आर्या छंद जिसमें दोनों दलों में चपला छंद के लक्षण हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचमू					 : | पुं० [सं० महती-चमू, कर्म० स०] बहुत बड़ी सेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचार्य					 : | पुं० [सं० महत्-आचार्य, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा आचार्य। २. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाचिति					 : | स्त्री० दे० ‘महा-शक्ति’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाचेतन					 : | पुं० [सं० महत्-चेतन, कर्म० स०] वह सर्वप्रमुख चेतना-शक्ति जो सारे विश्व और उसमें के प्राणियों तथा पदार्थों में प्याप्त हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाच्छाय					 : | पुं० [सं० महती-छाया, ब० स०] बड़ का पेड़। वट वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाजंबीर					 : | पुं० [सं० महत्-जंबीर, कर्म० स०] कमला नींबू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाजंबु					 : | पुं० [सं० महती-जंबु, कर्म० स०] जामुन का बड़ा तथा पुराना पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाजन					 : | पुं० [सं० महत्-जन, कर्म० स०] १. मनुष्यों का समूह। जनता। २. बहुत बड़ा आदमी। श्रेष्ठ व्यक्ति। ३. मुखिया। ४. धनवान् व्यक्ति० ५. वह व्यक्ति (क) जो सूद पर रुपये उधार देने का व्यवसाय करता हो। (ख) जिससे सहायता के रूप में अधिक धन प्राप्त किया जा सकता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाजनी					 : | वि० [सं० महाजन+हिं० ई (प्रत्यय)] महाजन-संबंधी। महाजनों में होनेवाला। स्त्री० १. महाजनों का पेशा या व्यवसाय। सूद पर रुपये उधार देने का कारबार। २. एक विशेष लिपि जिसमें महाजन लेन-देन का हिसाब रखते हैं। बही-खाते में प्रयुक्त होनेवाली लिपि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाजल					 : | पुं० [सं० महत्-जल, ब० स०] समुद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाजाल					 : | पुं० [सं० महत्-जाल, कर्म० स०] १. मछलियाँ पकड़ने का बहुत बड़ा जाल। २. किसी को धोखे में फँसाने के लिए फैलाया हुआ बहुत बड़ा जाल या सोची हुई युक्ति। ३. मध्य-युग में एक प्रकार का बढ़िया कागज जो मछलियाँ पकड़ने के पुराने जालों को सड़ाकर बनाया जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाजिह्व					 : | पुं० [सं० महती-जिह्वा, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाज्ञानी (निन्)					 : | पुं० [सं० महत्-ज्ञानिन्, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा ज्ञानी पुरुष। २. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाज्यैष्ठी					 : | स्त्री० [सं० महती-ज्यैष्ठी, कर्म० स०] ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाज्योतिष्मती					 : | स्त्री० [सं० महती-ज्योतिष्मती, कर्म० स०] बड़ी माल-कँगनी। | 
			
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				| महाज्वाल					 : | पुं० [सं० महती-ज्वाला, ब० स०] १. हवन की अग्नि। २. महादेव। ३. एक नरक का नाम। वि० बहुत अधिक चमकता हुआ। | 
			
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				| महा डाकपाल					 : | पुं० [हिं०] वह डाकपाल जिसके निरीक्षण में किसी राज्य या प्रदेश के अन्य सब डाकपाल काम करते हों। (पोस्टमास्टर-जनरल)। | 
			
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				| महाडोल					 : | पुं० [सं० महा+हिं० डोला] वह बहुत बड़ी पालकी जिसमें कई स्त्रियाँ एक साथ बैठ सकती थीं। शिविका। उदाहरण—महाडोल दुलहिन के चारी। देहु बताय होउ उपकारी।—रघुराज। | 
			
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				| महातत्त्व					 : | पुं० =महत्तत्त्व। | 
			
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				| महातपा (पस्)					 : | पुं० [महत-तपस्, ब० स०] बहुत बड़ा तपस्वी। | 
			
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				| महातम					 : | पं०=माहात्म्य। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महातल					 : | पुं० [सं० महत्-तल, कर्म० स०] पुराणानुसार पृथ्वी के नीचे माने जानेवाले सात तलों (लोकों) में से छठा तल। (ये सात तल इस प्रकार हैः—अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल, और पाताल। | 
			
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				| महातारा					 : | स्त्री० [सं० महती-तारा, कर्म० स०] एक देवी। (तंत्र) | 
			
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				| महातिक्त					 : | पं० [सं० महत्-तिक्त, ब० स०] १. महानिबं। बकायन। २. चिरायता। | 
			
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				| महातीक्ष्ण					 : | वि० [सं० महत्-तीक्ष्ण, कर्म० स०] १. बहुत तेज। २. कडुआ या झारदार। पुं० भिलावाँ। | 
			
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				| महातीक्ष्णा					 : | स्त्री० [सं० महती-तीक्ष्णा, कर्म० स०] भिलावाँ। | 
			
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				| महातेज (जस्)					 : | पुं० [सं० महत्-तेजस्, कर्म० स०] १. शिव। २. पारा। ३. योद्धा। वि० १. जिसमें बहुत अधिक तेज हो। परम तेजवान्। २. पराक्रमी तथा शक्तिशाली। | 
			
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				| महात्मा (त्मन्)					 : | पुं० [सं० महत्-आत्मन्, ब० स०] १. पवित्र आत्मा। शुद्ध हृदय तथा उच्च विचारोंवाला व्यक्ति। जैसे—महात्मा ईसा, महात्मा बुद्ध, महात्मा गाँधी आदि। २. बहुत बड़ा तपस्वी, विरत्त और संन्यासी या साधु। ३. परमात्मा। ४. पितरों का एक गण या वर्ग। ५. शिव० ६. दे० ‘महत्तत्व’। | 
			
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				| महात्रिफला					 : | स्त्री० [सं० महती-त्रिफला, कर्म० स०] बहेडा, आँवला और हड़ इन तीनों का समाहार (वैद्यक)। | 
			
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				| महात्याग					 : | पुं० [सं० महत्-त्याग, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा त्याग। २. महादान। (दे०)। | 
			
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				| महात्यागी (गिन्)					 : | पुं० [सं० महात्याग+इनि] १. बहुत बड़ा त्यागी या दानी। २. शिव। | 
			
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				| महादंड					 : | पुं० [सं० महत्-दंड, कर्म० स०] १. यम के हाथ का दंड। २. यम के दूत। ३. बहुत बड़ा या कठोर दंड। | 
			
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				| महादंडधारी (रिन्)					 : | पुं० [सं० महादंड√धृ (रखना)+णिनि] यमराज। | 
			
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				| महादंत					 : | पुं० [सं० महत्-दंत, ब० स०] १. महादेव। २. हाथी। ३. [कर्म० स०] हाथी-दांत। वि० बहुत बड़े-बड़े दाँतोवाला। | 
			
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				| महादंष्ट्र					 : | पुं० [सं० महती-दंष्ट्रा, ब० स०] १. शिव। २. विद्याधर। | 
			
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				| महादशा					 : | स्त्री० [सं० महती-दशा, कर्म० स०] फलित ज्योतिष में वह सारा समय जिमसें मोटे हिसाब से किसी एक ग्रह की पूरी अवस्थिति रहती और फल-भोग चलता रहता है। जैसे—आज-कल इस कुंडली में शनि की महादशा के अन्तर्गत बुध की दशा चल रही है। | 
			
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				| महादान					 : | पुं० [सं० महत्-दान, कर्म० स०] १. पुराणानुसार सोने की गौ या घोड़ा आदि तथा पृथ्वी आदि पदार्थों का दान जिससे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। २. बहुत बड़ा दान। ३. ग्रहण आदि के समय किया जानेवाला दान। | 
			
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				| महादारु					 : | पुं० [सं० महत्-दारू, ब० स०] देवदारु। | 
			
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				| महादूत					 : | पुं० [सं० महत्-दूत, कर्म० स०] यमदूत। | 
			
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				| महादेव					 : | पं० [सं० महत्-देव, कर्म० स०] सबसे बड़े देव, शिव। | 
			
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				| महादेवी					 : | स्त्री० [सं० महती-देवी, कर्म० स०] १. पार्वती। २. दुर्गा। ३. प्राचीन भारत में पटरानी की उपाधि या संज्ञा। | 
			
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				| महादेश					 : | पुं० [सं० महत्-देश, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा देश। २. पृथ्वी के पाँच बड़े स्थल-विभागों में से हर एक महाद्वीप। जैसे—एशिया, युरोप, अफरीका आदि। (कान्टिनेन्ट)। | 
			
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				| महादैत्य					 : | पुं० [सं० महत्-दैत्य, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा दैत्य। २. एक दैत्य (पुराण)। | 
			
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				| महाद्रावक					 : | पुं० [सं० महत्-द्रवाक, कर्म० स०] वैद्यक में एक प्रकार की औषधि जो सोना-मक्खी, रसांजन समुद्रफेन सज्जी आदि से बानायी जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाद्रुम					 : | पुं० [सं० महत्-द्रुम, कर्म० स०] १. पीपल। २. ताड़। ३. महुआ। ४. पुराणानुसार एक देश या वर्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाद्वार					 : | पुं० [सं० महत्-द्वार, कर्म० स०] प्रासाद या मंदिर का बाहरी और सबसे बड़ा द्वार। सदर फाटक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाद्वीप					 : | पुं० [सं० महत्-द्वीप, कर्म० स०] १. पुराणानुसार पृथ्वी के निम्न सप्त विभागों में से हर एक-जंबु, प्लक्ष, शाल्मकि, कुश, क्रौंच, शाक और फुष्कर। २. बहुत बड़ा द्वीप। वि० दे० ‘महादेश’। | 
			
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				| महाद्वीपीय					 : | वि० [सं० महाद्वीप+छ-ईय] महाद्वीप सम्बन्धी। महाद्वीप का। | 
			
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				| महाधन					 : | वि० [सं० महत्-धन, ब० स०] १. बहुमूल्य। २. बहुत बड़ा धनी। पुं० १. सोना। स्वर्ण। २. धूप नामक गन्ध-द्रव्य। ३. खेती-बारी। कृषि। | 
			
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				| महाधनी					 : | स्त्री० [सं० महती-धमनी, कर्म० स०] शरीर के अन्दर की वह सबसे बड़ी धमनी जो हृदय के बाँये निलय से (ऊपर और नीचे की ओर) निकलकर शरीर की अन्य सभी धमनियों में रक्त का संचार करती है। (आओर्टा) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाधनु (ष्)					 : | पुं० [सं० महत्-धनुष, कर्म० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाधातु					 : | पुं० [सं० महत्-धातु, कर्म० स०] १. शिव। २. सोना। स्वर्ण। ३. मेरू (पर्वत)। | 
			
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				| महाधिकार-पत्र					 : | पुं० [सं० महत्-अधिकार, कर्म० स० महाधिकार-पत्र, ष० त०] वैयक्तित तथा राजनैतिक स्वंतन्त्रता प्रदान करनेवाला वह प्रसिद्ध अधिकारपत्र जो ब्रिटेन के राजा जाँन से सन् १२१५ ई० में लिखाया गया था। (मैग्ना कार्टा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाधिबक्ता (क्तृ)					 : | पुं० [महत्-अधिवक्तृ, कर्म० स०] आधुनिक विधिक क्षेत्र में किसी राज्य का वह प्रमुखतम अधिकारी जो उस राज्य के शासकीय विवादों मे उच्च न्यायालय के सामने राजकीय पक्ष उपस्थित करने के लिए नियत होता है। (एडवोकेट जनरल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाध्वनिक					 : | पुं० [सं० अध्वन्+ठक्,—इक, आध्वनिक, महत्-आध्वनिक, कर्म० स०] वह जो पुण्य काल के लिए हिमालय गया हो और कहीं मर गया हो। वि० मृत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महान् (हत्)					 : | वि० [सं०√मह्+अति] १. बहुत बड़ा। विशाल। २. बहुत अधिक बढ़कर या श्रेष्ठ। उच्चकोटि का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महानंद					 : | पुं० [सं० महत्-आनन्द, कर्म० स०] १. अत्यंत आनंद। २. [ब० स०] मगध के नंद वंश का एक प्रसिद्ध राजा ३. मोक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानन्दा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०,+टाप्] १. शराब। मदिरा। २. माघ शुक्ल नवमी। ३. बंगाल की एक नदी जो दार्जिलिंग के पास से निकली है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानक					 : | पुं० [सं० महत्-आनक, कर्म० स०] प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा जिस पर चमड़ा मढ़ा होता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानगर					 : | पुं० [सं० महत्-नगर, कर्म० स०] बहुत बड़ा नगर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानगर-पालिका					 : | स्त्री० [ष० त०] महापालिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानट					 : | पुं० [सं० महत्-नट, कर्म० स०] सर्वश्रेष्ठ नट। शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानद					 : | पुं० [सं० महत्-नद, कर्म० स०] १. पुराणानुसार एक नद का नाम। २. एक प्राचीन तीर्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानदी					 : | स्त्री० [सं० महती-नदी, कर्म० स०] १. बहुत बड़ी और विशेष पवित्र नदी। जैसे—गंगा, यमुना, कृष्णा आदि। २. एक नदी जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानरक					 : | पुं० [महत्-नरक, कर्म० स०] पुराणानुसार २१ नरकों में से पाँचवाँ नरक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानवमी					 : | स्त्री० [सं० महत्-अनस्, कर्म० स०] आश्विन शुक्ल नवमी जिस दिन दुर्गा की पूजा बहुत धूमधाम से होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानस					 : | पुं० [सं० महत्-नस, कर्म० स०, टच्] पाकशाला। रसोई-घर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानसावलेही					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह जिसके छूने से चौका या रसोई अपवित्र हो जाती हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानाटक					 : | पुं० [सं० महत्-नाटक, कर्म० स०] वह बहुत बड़ा नाटक जिसमें दस अंक हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानाद					 : | पुं० [सं० महद्-नाद, कर्म० स०] १. घोर शब्द। २. [ब० स०] हाथी। ३. ऊँट। ४. शेर। सिंह। ५. बादल। मेघ। ६. शंख। ७. बड़ा ढोल। ८. शिव वि० बहुत जोर का शब्द करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानाभ					 : | पुं० [सं० महत्-नाभि, ब० स+अच्] १. एक मंत्र जिसके बल से शत्रु द्वारा फेकें हुए शस्त्र व्यर्थ किये जाते हैं। २. हिरण्यकशिपु का एक पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानारायण					 : | पुं० [सं० महत्-नारायण, कर्म० स०] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानास					 : | पुं० [सं० महती-नासिका, ब० स०] महादेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानिंब					 : | स्त्री० [महत्-निंब, कर्म० स०] नीम की जाति का एक पेड़। बकायन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानिद्रा					 : | पुं० [सं० महती-निद्रा, कर्म० स०] मृत्यु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानिधान					 : | पुं० [सं० महत्-निधान, कर्म० स०] बुभुक्षित धातुभेदी पारा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानियम					 : | पुं० [सं० महत्-नियम, ब० स०] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानियुक्त					 : | पुं० [सं० महत्-नियुक्त, कर्म० स०] एक बहुत बड़ी संख्या। (बौद्ध)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानिर्वाण					 : | पुं० [सं० महत्-निर्वाण, कर्म० स०] वह स्थिति जिसमें जीव की सत्ता का पूर्ण नाश हो जाता है। बौद्धों में इसके अधिकारी केवल अर्हत या बुद्धगण माने गये हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानिशा					 : | स्त्री० [सं० महती-निसा, कर्म० स०] १. रात्रि का मध्य भाग। २. प्रलय की रात। ३. दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानीच					 : | पुं० [सं० महत्-नीच, कर्म० स०] धोबी। रजक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानींबू					 : | पुं० [सं० महा+हिं० नीबूं] बिजौरा नींबू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानीम					 : | स्त्री०=महानिंब (बकायन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानील					 : | पुं० [सं० महत्-नील, कर्म० स०] १. भृगराज पक्षी। २. एक प्रकार का बढ़िया नीलम। ३. एक प्रकार का गुग्गुल। ४. एक प्रकार का सांप। ५. एक प्राचीन पर्वत। ६. सौ नील की संख्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानीली					 : | स्त्री० [सं० महती-नील, कर्म० स०] नीली अपराजिता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानुभाव					 : | पुं० [महत्-अनुभाव, ब० स०] [भाव० महानुभावता] १. बहुत बड़ा व्यक्ति। २. उच्च विचारवाला तथा सत्यनिष्ठ व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानुभावता					 : | स्त्री० [सं० महानुभाव+तल्+टाप्] महानुभाव होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानृत्य					 : | पुं० [सं० महत्-नृत्य, कर्म० स०] १. तांडव नृत्य। २. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महानेत्र					 : | पुं० [सं० महत्-नेत्र, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महान्यायवादी					 : | पुं० [सं०] आजकल विधिक क्षेत्र में, किसी राज्य या राष्ट्र का वह प्रधान अधिकारी जिसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाइयाँ करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त हो। (एटर्नी-जनरल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापंक					 : | पुं० [सं० महत्-पंक, कर्म० स०] बहुत बड़ा पाप। महापाप। (बौद्ध)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापंचमूल					 : | पुं० [सं० पंचमूल, द्विगु, स०, महत्-पंचमूल, कर्म० स०] वैद्यक में बेल, अरनी, सोनापाढ़ा, काश्मरी और पाटला इन पाँचों वृक्षों की जड़ों का समाहार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापंचविष					 : | पुं० [सं० पंच-विष, द्विगु, स० महत्-पंचविष, कर्म० स०] वैद्यक में, श्रृंगी, कालकूट, मुस्तक, बछनाग और शंखकर्णी इन पाँचों विषों का समाहार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापंचागुंल					 : | पुं० [सं० पंच-अंगुल, द्विगु, स०महत्-पंचागुंल, कर्म० स०] लाल अरंडी या रेंड़ का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापक्ष					 : | पुं० [सं० महत्-पक्ष, ब० स०] १. गरुड़। २. एक प्रकार का राजहंस। वि० १. बड़े-बड़े परोंवाला। २. जिसके पक्ष या दल की संख्या बहुत अधिक हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापक्षी (क्षिन्)					 : | पुं० [सं० महापक्ष+इनि] उल्लू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापथ					 : | पुं० [महत्-पथिन, कर्म० स० समासान्त अच्] १. बहुत बड़ा लम्बा-चौड़ा मार्ग। २. महाप्रस्थान का पथ। विशेष—प्राचीनकाल में मनुष्य स्वर्ग-प्राप्ति के उद्देश्य से हिमालय की किसी ऊँची चोटी पर जाते थे और उस पर से कूदकर प्राण त्यागते थे। ऐसी चोटी के पथ या मार्ग को महापथ कहते थे। ३. स्वर्गारोहण का साधन अर्थात् मृत्यु। ४. केदारनाथ और उसकी यात्रा। ५. एक नरक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापथ-गमन					 : | पुं० [सं० ष० त०] मरण। मृत्यु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापथिक					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] प्राचीन काल में वह व्यक्ति जो स्वर्गारोहण की दृष्टि से हिमालय पर्वत पर जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापद्म					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. कुबेर की नौ निधियों में से एक निधि। २. कुबेर का अनुचर एक किन्नर। ३. आठ दिग्गजों में से एक दिग्गज जो दक्षिण दिशा में स्थित है। ४. हाथियों की एक जाति। ५. एक प्रकार का फनदार सांप। ६. एक प्रकार का दैत्य। ७. सफेद कमल। ८. महाभारत काल का एक नगर जो गंगा के किनारे था। ९. जैनों के अनुसार महाहिमवान् पर का एक जलाशय। १॰. सौ पद्य की संख्या। ११. मगध के नन्दवंश का अंतिम सम्राट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापवित्र					 : | पुं० [सं० महत्-पवित्र, कर्म० स०] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापातक					 : | पुं० [सं० महत्-पातक, कर्म० स०] वह बहुत बड़ा तथा घोर पाप जिसके फल-भोग के लिए मनुष्य को नरक में जाना पड़ता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापातकी (किन्)					 : | पुं० [सं० महापातक+इनि] वह जिसने महापातक किया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापातर					 : | पुं० =महापात्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापात्र					 : | पुं० [सं० महत्-पात्र, कर्म० स०] १. वह ब्राह्मण जो मृत व्यक्ति का दाह कर्म करता है तथा उसके सम्बंधियों से श्राद्ध का दान लेता है। महाब्राह्मण २. महामन्त्री। महामात्य। पुं० [सं० महत्-पाद, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापाप					 : | पुं० [सं० महत्-पाप, कर्म० स०] बहुत बड़ा पाप। महापातक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापालिका					 : | स्त्री० [महा नगरपालिका का संक्षिप्त रूप] १. प्रमुख तथा अधिक जनसंख्या वाले नगर की स्वायत्त शासनिक इकाई, जिसे नगरपालिका की अपेक्षा अधिक अधिकार प्राप्त होते हैं। (सिटी कारपोरेशन)। २. नगर-महापालिका द्वारा शासित भू- भाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापाली					 : | स्त्री०=महापालिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महापाश					 : | पुं० [सं० महत्-पाश, ब० स०] पुराणानुसार एक प्रकार का यमदूत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महापाशुपत					 : | पुं० [सं० महत्-पाशुपत, कर्म० स०] १. शैवों का एक प्राचीन संप्रदाय जिसमें पशुपति की उपासना होती थी। २. बकुल। मौलसिरी। | 
			
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				| महापीठ					 : | पुं० [सं० महत्-पीठ, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा पीठ या पुण्यस्थान। जैसे—कामरूप किसी समय तांत्रिकों का महापीठ माना जाता था। २. वह पवित्र आधार या स्थान जहाँ किसी देवी, देवता की प्रतिमा प्रतिष्ठित हो। मूर्ति का आधार। ३. उन प्रसिद्ध स्थानों में से हर एक जहाँ सती के शव के अंग कटकर गिरे थे। ४. शंकर मठ। ५. कोई बहुत बड़ा स्थान। | 
			
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				| महापीलु					 : | पुं० [सं० महत्-पीलु, कर्म० स०] एक प्रकार का पीलु वृक्ष। | 
			
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				| महापुट					 : | पुं० [सं०] वैद्यक में भस्म, रस आदि तैयार करने की एक विधि। | 
			
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				| महापुण्य					 : | पुं० [सं० महत्-पुण्य, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा पुण्य। २. एक वोधिसत्व का नाम। | 
			
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				| महापुण्या					 : | स्त्री० [सं० महापुण्य+टाप्] एक नदी (पुराण)। | 
			
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				| महापुत्र					 : | पुं० [सं० महत्-पुत्र, कर्म० स०] पुत्र का पुत्र। पोता। | 
			
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				| महापुर					 : | पुं० [सं० महत्-पुर, कर्म० स०] १. प्राचीन काल में वह पुर या नगर जो प्राचीर से रक्षित होता था। २. एक प्राचीन तीर्थ। | 
			
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				| महापुराण					 : | पुं० [सं० महत्-पुराण, कर्म० स०] अठारह पुराणों में से एक जिसके रचयिता व्यास थे। | 
			
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				| महापुरी					 : | स्त्री० [सं० महती-पुरी, कर्म० स०] राजधानी। | 
			
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				| महापुरुष					 : | पुं० [सं० महत्-पुरुष, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा तथा उच्च विचारोंवाला पुरुष। २. नारायण। ३. व्यंग्यार्थ में दुष्ट व्यक्ति। | 
			
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				| महापुष्प					 : | पुं० [सं० महत्-पुष्प, ब० स०] १. कुंद का वृक्ष। २. काला मूँग। ३. लाल कनेर। ४. एक प्रकार का कीड़ा। (सुश्रुत) | 
			
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				| महापुष्पा					 : | स्त्री० [सं० महापुष्प+टाप्] अपराजिता (लता)। | 
			
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				| महापूजा					 : | स्त्री० [सं० महती-पूजा, कर्म० स०] आश्विन के नवरात्र में की जानेवाली दुर्गा की पूजा। | 
			
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				| महापृष्ठ					 : | पुं० [सं० महत्-पृष्ठ, ब० स०] ऊँट। | 
			
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				| महाप्रजापति					 : | पुं० [सं० महत्-प्रजापति, कर्म० स०] विष्णु। | 
			
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				| महाप्रतिहार					 : | पुं० [सं० महत्-प्रतिहार, कर्म० स०] १. प्राचीन काल का एक उच्च राजकर्मचारी जो आज-कल के कोतवाल के समान होता था। २. मुख्य द्वारपाल। | 
			
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				| महा-प्रभाव					 : | वि० [सं०] [स्त्री० महा-प्रभावा] दूसरों को अपना झूठा प्रभाव दिखलाकर उन पर आतंक जमाने या रोब गाँठनेवाला। | 
			
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				| महाप्रुभु					 : | पुं० [सं० महत्-प्रभु, कर्म० स०] १. ईश्वर। २. शिव। ३. विष्णु। ४. इन्द्र। ५. राजा। ६. संन्यासी। ७. स्वामी बल्लभाचार्य। ८. चैतन्य। | 
			
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				| महाप्रलय					 : | पुं० [सं० महत्-प्रलय, कर्म० स०] वह प्रलय जिसमें सब लोकों उनके निवासियों, देवताओं तथा ब्रह्मा का भी नाश हो जाता है। | 
			
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				| महाप्रशासक					 : | पुं० [सं० महत्-प्रशासक, कर्म० स०] वह प्रशासक जिसके निरीक्षण तथा अधीनता में अन्य प्रशासक काम करते हों। (ऐडमिनिस्ट्रेटर-जनरल)। | 
			
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				| महाप्रसाद					 : | पुं० [सं० महत्-प्रसाद, कर्म० स०] १. देवी-देवता को चढ़ाया हुआ प्रसाद। २. जगन्नाथ जी को चढ़ाया हुआ भात। ३. मांस आदि ऐसे खाद्य पदार्थ वैष्णव अखाद्य पदार्थ समझते हैं। (परिहास और व्यंग्य) ४. सिक्खों में पकाया हुआ मांस। महाप्रसाद। | 
			
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				| महाप्रस्थान					 : | पुं० [सं० महत्-प्रस्थान, कर्म० स०] १. प्राचीन काल में स्वर्गारोहण के उद्देश्य से महापथ के द्वारा की जानेवाली दुर्गम पर्वतों की यात्रा। २. मृत्यु। मौत। | 
			
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				| महाप्राण					 : | पुं० [सं० महत्-प्राण, ब० स०] व्याकरण के अनुसार ऐसा वर्ण जिसके उच्चारण में प्राण-वायु का विशेष व्यवहार करना पड़ता है। जैसे—क्, ख्, छ्, झ्, ठ्, ढ्, थ्, घ्, फ्, भ्, श्, ष्, स् और ह्। | 
			
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				| महाफल					 : | वि० [सं० महत्-फल, ब० स०] १. (वृक्ष) जिसमें बहुत अधिक फल लगतें हों। २. (कार्य) जिसका बहुत अच्छा और अधिक फल मिलता हो। | 
			
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				| महाफला					 : | स्त्री० [सं० महाफल+टाप्] कडुआ कद्दू। | 
			
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				| महाबकी					 : | स्त्री० [सं० महती-बकी, कर्म० स०] पूतना राक्षसी का एक नाम। उदाहरण—महाबकी जिमि आवति राति।—नंददास। | 
			
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				| महाबल					 : | वि० [सं० महत्-बल, ब० स०] १. अत्यन्त बलवान्। बहुत बड़ा शक्तिशाली। पुं० १. पित्तरों का एक गण। २. गौतम बुद्ध। ३. वायु। ४. शिव के एक अनुचर। ५. सीसा नामक धातु। | 
			
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				| महाबला					 : | स्त्री० [सं० महाबल+टाप्] १. सहदेवी नाम की जड़ी। पीली सहदेइया। २. पीतल। ३. धौ का पेड़। ४. नील का पौधा। ५. कार्तिकेय की एक मृतका। ६. एक बहुत बड़ी संख्या की संज्ञा। | 
			
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				| महाबली (लिन्)					 : | वि० [सं० महत्-बलिन, कर्म० स०] बहुत बड़ा बलवान्। पुं० मुगल सम्राट अकबर के लिए तत्कालीन दरबारियों आदि का एक सम्बोधन। | 
			
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				| महाबाहु					 : | वि० [सं० महत्-बाहु, ब० स०] १. लम्बी भुजाओंवाला। २. बलवान्। शक्तिशाली। पुं० १. विष्णु। २. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। | 
			
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				| महाबुद्धि					 : | वि० [सं० महती-बुद्धि, ब० स०] १. बहुत बुद्धिमान। २. चालाक। धूर्त्त। पुं० एक प्रकार का वैदिक छन्द। | 
			
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				| महाबोधि					 : | पुं० [सं०√बुध् (जानना)+इन्, महत्बोधि, कर्म० स०] १. महात्मा बुद्ध द्वारा अर्जित किया हुआ ज्ञान। २. बुद्धदेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाब्राह्मण					 : | पुं० [सं० महत्-ब्राह्मण, कर्म० स०] १. महापात्र। (दे०) २. निकष्ट ब्राह्मण। | 
			
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				| महाभद्रा					 : | स्त्री० [सं० महत्-भद्र, ब० स०,+टाप्] १. गंगा। २. काश्मरी। | 
			
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				| महाभाग					 : | वि० [सं० महत्-भाग, ब० स०] महाभागी। | 
			
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				| महाभागवत					 : | पुं० [सं० महत्-भागवत, कर्म० स०] १. परम वैष्णव। २. पुराणानुसार ये बारह प्रसिद्ध भक्त-मनु, सनकादि, नारद, कपिल, जनक, ब्रह्मा, बलि, भीष्म, प्रह्लाद, शुकदेव, धर्मराज और शम्भु। ३. श्रीमद्भागवत पुराण। ४. एक प्राचीन छंद। | 
			
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				| महाभाग					 : | स्त्री० [सं० महाभागा+टाप्] कश्यप की पत्नी। अदिति। दाक्षायणी। | 
			
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				| महाभागी (गिन्)					 : | वि० [सं० महाभाग+इनि] अत्यन्त भाग्यवान्। | 
			
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				| महाभाट					 : | पुं० [सं० महत्-भाट, कर्म० स०] भाटों का एक वर्ग जो साधारण भाटों में उच्च माना जाता है। | 
			
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				| महाभारत					 : | पुं० [सं० महत्-भारत, कर्म० स० अथवा महाभार√तन्+ड] १. महर्षि व्यास-रचित एक प्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक महाकाव्य जिसमें कौरवों और पांडवों के युद्ध का वर्णन है, और जिसे हिन्दू अपना प्रामाणिक धर्मग्रन्थ मानते हैं। विशेष—यह १८ पर्वों में विभक्त है और इसमें प्रायः ८0 हजार से अधिक श्लोक हैं। इसमें तत्त्व-ज्ञान कर्म, राजनीति व्यवहार आदि के संबंध की भी बहुत सी-अच्छी बातें हैं। कहते हैं कि पहले इसका नाम ‘जय’ काव्य था बाद में वेशम्पायन ने इसे कुछ बढ़ाकर इसका नाम ‘भारत’ रखा और तब भौति ने इसमें बहुत सी कथाएँ तथा बातें बढ़ाकर इसे वर्तमान रुप दिया और इसे ‘महाभारत’ नाम दिया। २. कौरवों और पांडवों का वह बहुत बड़ा युद्ध जिसका वर्णन उक्त ग्रन्थ में हुआ है। ३. कोई बहुत बड़ा युद्ध या लड़ाई-झगड़ा। ४. कोई बहुत बड़ा और विस्तृत विवरणवाला ग्रन्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाभाव					 : | पुं० [सं० महत्-भाव, कर्म० स०] वैष्णव धर्म में ईश्वर का वह चरम रूप जो स्नेह, मान, प्रणय राग और अनुराग की अवस्था पार कर चुकने पर प्राप्त होता है। | 
			
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				| महाभाष्य					 : | पुं० [सं० महत्-भाष्य, कर्म० स०] पाणिनी कृत अष्टाध्यायी पर लिखा हुआ पतंजलि का भाष्य ग्रन्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाभिक्षु					 : | पुं० [सं० महत्-भिक्षु, कर्म० स०] भगवान् बुद्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाभियोग					 : | पुं० [सं० महत्-अभियोग, कर्म० स०] राज्य के किसी प्रमुख विशेषतः सर्वप्रमुख शासनिक अधिकारी पर चलाया जानेवाला मुकदमा। (इम्पीचमेंट)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभिषव					 : | पुं० [सं० महत्-भिषव, कर्म० स०] सोमरस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभीत					 : | पुं० [सं० महत्-भीत, कर्म० स०] १. राजा शांतनु का एक नाम। २. भृंगी (द्वारपाल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभीता					 : | स्त्री० [महाभीत+टाप्] लाजवंती। लज्जालु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभीम					 : | पुं० [सं० महत्-भीम, कर्म० स०] १. राजा शांतनु का एक नाम। २. शिव का भृंगी नामक द्वारपाल। वि० अत्यन्त भयंकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभीरू					 : | पुं० [सं० महत्-भीरू, कर्म० स०] ग्वालिन नाम का बरसाती कीड़ा। वि० बहुत अधिक डरपोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभीष्म					 : | पुं० [सं० महत्-भीष्म, कर्म० स०] राजा शांतनु का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभुज					 : | वि० [सं० महत्-भुजा०, स] आजानुबाहु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभूत					 : | पुं० [सं० महत्-भूत, कर्म० स०] १. भारतीय दर्शन में पृथ्वी आकाश, जल आदि पाँचों तत्त्व या भूत। २. आधुनिक विज्ञान में वह मूल तत्त्व या परम द्रव्य जो सभी तत्वों या भूतों में समान रूप से पाया जाता है और उन सबका मूल कारण है। (मैटर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभूमि					 : | स्त्री० [सं० महती-भूमि, कर्म० स०] प्राचीन भारत में वह भूमि जो सार्वजनिक उपयोग में आती थी और जिस पर किसी व्यक्ति-विशेष का अधिकार नहीं होता था। (पब्लिक प्लेस) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभृगं					 : | पुं० [सं० महत्-भृंग, कर्म० स०] नीले फूलोंवाला भंगरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभैरव					 : | पुं० [सं० महत्-भैरव, कर्म० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभैरवी					 : | स्त्री० [सं० महती-भैरवी, कर्म० स०] तांत्रिकों की एक विद्यादेवी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभोग					 : | पुं० [सं० महत्-भोग, कर्म० स०] १. अत्यन्त भोग। २. [ब० स०] साँप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभोगा					 : | स्त्री० [सं० महाभोग+टाप्] दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभोगी (गिन्)					 : | पुं० [सं० महाभोग+इनि] बड़े फनवाला साँप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाभोज					 : | पुं० [सं०] प्राचीन भारत में विदर्भ से महीशूर (मैसूर) तक के बड़े-बड़े राजाओं की उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामंडल					 : | पुं० [सं० महत्-मंडल, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा मंडल। २. वह मंडल जिसके अधीनस्थ अन्य मंडल हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामंत्र					 : | पुं० [सं० महत्-मंत्र, कर्म० स०] १. वेद का कोई मंत्र। २. वह मंत्र जो अपना प्रभाव या पल अवश्य दिखलाता हो। ३. अच्छा और बढ़िया परामर्श या सलाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामंत्री (त्रिन्)					 : | पुं० [सं० महत्-मंत्रिन्, कर्म० स०] १. सबसे बड़ा मंत्री। २. प्राचीन काल में राज्य या साम्राज्य का प्रधान मंत्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामणि					 : | पुं० [सं० महत्-मणि, कर्म० स०] अत्यन्त बहुमूल्य रत्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामति					 : | वि० [सं० महती-मति, ब० स०] बहुत बड़ा बुद्धिमान। पुं० १. गणेश। २. एक बोधिसत्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामत्स्य					 : | पुं० [सं० महत्-मत्स्य, कर्म० स०] बहुत बड़ी मछली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामद					 : | पुं० [सं० महत्-मद, ब० स०] मस्त हाथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामना (नस्)					 : | वि० [सं० महत्-मानस, ब० स०] जिसका मन या अन्तःकरण बहुत उच्च स्तर पर या और सब प्रकार से शुद्ध हो। उदारचित्त। जैसे—महामना मालवीय जी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामह					 : | पुं० [सं० महत्-मह, कर्म० स०] महोत्सव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामहिम (न्)					 : | वि० [सं० महत्-महिमन्, कर्म० स०] जिसकी महिमा बहुत अधिक हो। विशेष—इसका प्रयोग आज-कल अग्रेंजी के ‘हिज एक्सलेन्सी’ की तरह या उसके स्थान पर होने लगा है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामहोपाध्या					 : | पुं० [सं० महत्-महोपाध्याय, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा गुरु, पंडित या विद्वान। २. एक उपाधि जो अंगरेजी शासन में संस्कृत के प्रकांड पंडितों को दी जाती थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामांस					 : | पुं० [सं० महत्-मांस, कर्म० स०] १. गौ का कोश्त। गोमांस। २. मनुष्य का मांस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामाई					 : | स्त्री० [सं० महा+हिं० माई] १. दुर्गा। २. काली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामात्य					 : | पुं० [सं० महत्-अमात्य, कर्म० स०] महामंत्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामात्र					 : | पुं० [सं० महती-मात्रा, ब० स०] [स्त्री० महामात्री] १. प्राचीन भारत में, एक प्रकार का उच्चपदस्थ राजकीय अधिकारी। २. महामंत्री। ३. महावत। वि० १. बड़ा। २. उच्च कोटि का। ३. धनवान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामान्य					 : | वि०, [सं० महत्-मान्य, कर्म० स०] बहुत अधिक माननीय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामाय					 : | वि० [सं० महती-माया, ब० स०] अत्यन्त मायावी। पुं० १. शिव। २. विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामाया					 : | स्त्री० [सं० महती-माया, कर्म० स०] १. वह सांसारिक भ्रम जिसके फलस्वरूप यह मिथ्या जगत् वास्तविक सा प्रतीत होता है। २. प्रकृति। ३. दुर्गा। ४. गंगा। ५. गौतम बुद्ध की माता। ६. एक छंद। पुं० विष्णु। वि० मायावी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामारी					 : | स्त्री० [सं० महत्√मृ (मरना)+णिच्+अण्+ङीष्] १. ऐसा संक्रामक रोग जिससे बहुत अधिक लोग मरें। मरक। मरी। (एपिडेमिक) जैसे—हैजा, चेचक आदि। २. महाकाली का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामारी विज्ञान					 : | पुं० [सं०] वह आधुनिक विज्ञान जिसमें इस बात का विचार होता है कि मरक या महामारियाँ किन कारणों से और कैसे फैलती है और उन्हें कैसे रोका या कम किया जा सकता है। (एपिडेमियालोजी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामार्ग					 : | पुं० [सं० महत्-मार्ग, कर्म० स०] बहुत बड़ा मार्ग या रास्ता। वह बहुत बड़ा या लम्बा रास्ता जिस पर से होकर कोई चीज आती जाती हो। जैसे—गंगा या यमुना का महामार्ग। २. परलोक या स्वर्ग का रास्ता। महापथ। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामाल					 : | पुं० [सं० महती-माला, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामालिनी					 : | स्त्री० [सं० महती-मालिनी, कर्म० स०] नाराच (छंद)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामाष					 : | पुं० [सं० महत्-माष, कर्म० स०] बड़ा उड़द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामुख					 : | पुं० [सं० महत्-मुख, ब० स०] १. घड़ियाल। २. नदी का मुहाना। ३. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामुद्रा					 : | स्त्री० [सं० महती-मुद्रा, कर्म० स०] १. योग-साधना में एक विशिष्ट प्रकार की मुद्रा या अंगों की स्थिति। २. तांत्रिक उपासना में वह सिद्ध योगिनी जिसे साधक अपनी सहचरी बनाकर साधना करता है। कहते हैं कि महामुद्रा की साधना कर लेने पर साधक सब प्रकार के बाह्म अनुष्ठानों से मुक्त हो जाता है। ३. बौद्ध तांत्रिकों के अनुसार भगवती नैरात्मा जिसकी उपासना परम सुखद कही गयी है और जिसकी साधना में सफल होने पर ही साधक की गिनती सिद्धाचार्यों में होती है। ४. एक बहुत बड़ी संख्या की संज्ञा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामुनि					 : | पुं० [सं० महत्-मुनि, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा और मुनियों में श्रेष्ठ मुनि। जैसे—अगस्त्य, व्यास आदि। २. गौतम बुद्ध। ३. कृपाचार्य। ४. काल। ५. एक जिन देव। ६. तुम्बुरु नामक वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामूर्ति					 : | स्त्री० [सं० महती-मूर्ति, ब० स०] १. विष्णु। २. न्यायमूर्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामूल					 : | पुं० [सं० महत्-मूल, कर्म० स०] प्याज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामूल्य					 : | पुं० [सं० महत्-मूल्य, ब० स०] माणिक। वि० १. बहुमूल्य। कीमती। २. महँगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महामृग					 : | पुं० [सं० महत्-मृग, कर्म० स०] १. सबसे बड़ा पशु, हाथी। २. बहुत बड़ा पशु। ३. शरम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महामृत्युंजय					 : | पुं० [सं० महत्-मृत्युंजय, कर्म० स०] १. शिव। २. शिव का अकाल-मृत्यु-निवारक एक मंत्र। ३. एक औषधि। | 
			
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				| महामेद					 : | पुं० [सं० महत्-मेद, कर्म० स०] महामेदा। | 
			
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				| महामेदा					 : | स्त्री० [सं० महामेदा+टाप्] एक प्रकार का कंद जो देखने में अदरक के समान होता है। | 
			
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				| महामेध					 : | पुं० [सं० महती-मेधा, ब० स०] शिव। | 
			
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				| महामेधा					 : | स्त्री० [सं० महामेध+टाप्] दुर्गा। | 
			
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				| महामोह					 : | पुं० [सं० महत्-मोह, कर्म० स०] अत्यन्त या घोर मोह। | 
			
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				| महामोहा					 : | स्त्री० [सं० महामोह+अच्+टाप्] दुर्गा। | 
			
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				| महाय					 : | वि० [सं० महा] १. बहुत बड़ा। महान्। २. बहुत अधिक महा। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महायक्ष					 : | पुं० [सं० महत्-यक्ष, कर्म० स०] १. यक्षों का राजा। २. एक प्रकार के बौद्ध देवता। | 
			
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				| महायज्ञ					 : | पुं० [सं० महत्-यज्ञ, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा यज्ञ। २. हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार नित्य किये जानेवाले पाँच प्रमुख धार्मिक कर्म। पंचयज्ञ। | 
			
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				| महायम					 : | पुं० [सं० महत्-यम, कर्म० स०] यमराज। | 
			
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				| महायात्रा					 : | स्त्री० [सं० महती-यात्रा, कर्म० स०] मृत्यु। | 
			
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				| महायान					 : | पुं० [सं० महत्-यान, कर्म० स०] १. उत्तम, प्रशस्त और श्रेष्ठ मार्ग। २. बौद्ध धर्म की वह भक्ति प्रधान शाखा या सम्प्रदाय जो हीनयान की तुलना में बहुत श्रेष्ठ माना जाता था और जिसका आरम्भ सम्भवतः कनिष्क के समय हुआ था। इसमें उदारता, परोपकार, सदाचार आदि तत्त्वों की प्रधानता थी। बोधिसत्व की भावना और बुद्ध भगवान् की प्रतिमाएँ बनाकर उनकी पूजा करने की प्रणाली इसी मत से निकली थी। यह नामकरण बौद्धों की पूर्वी शाखा ने किया था। | 
			
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				| महायानी (निन्)					 : | वि० [सं० महायान+इनि] महायान सम्बन्धी। महायान का। पुं० महायान मत या सम्प्रदाय का अनुयायी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महायुग					 : | पुं० [सं० महत्-युग, कर्म० स०] चारों ओर का समूह। चौकड़ी। | 
			
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				| महायुत					 : | पुं० [सं० महत्-अयुत, कर्म० स०] सौ अयुत की संख्या की संज्ञा। | 
			
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				| महायुद्ध					 : | पुं० [सं० महत्-युद्ध, कर्म० स०] बहुत बड़े तथा व्यापक भू-भाग में लड़ा जानेवाला ऐसा युद्ध जिमसें अनेक राष्ट्र सम्मिलित हों और जिसमें बहुत अधिक नर-संहार तथा विनाश हो। (ग्रेट बार)। जैसे—प्रथम या द्वितीय महायुद्ध। | 
			
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				| महायुध					 : | पुं० [सं० महत्-आयुध, ब० स०] शिव। | 
			
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				| महायोगी (गिन्)					 : | पुं० [महत्-योगिन्, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा योगी। २. शिव। ३. विष्णु। ४. मुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महायोगेश्वर					 : | पुं० [सं० महत्-योगेश्वर, कर्म० स०] पितामह, पुलस्त्य वसिष्ठ पुलह अंगिरा ऋतु और कश्यप जो बहुत बड़े ऋषि और योगी माने गये हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महायोगेश्वरी					 : | स्त्री० [सं० महती-योगेश्वरी, कर्म० स०] १. दुर्गा। नागदौन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महायोजन					 : | पुं० [सं० महत्-आयोजन, कर्म० स०] बहुत बड़ा आयोजन। महत् आयोजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महायोनि					 : | स्त्री० [सं० महती-योनि, कर्म० स० या ब० स०] योनि के अधिक फैलने का एक रोग (वैद्यक)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारंभ					 : | वि० [सं० महत्-आरंभ, ब० स०] १. बहुत बड़े काम का श्रीगणेश करनेवाला। २. बड़ा काम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महार					 : | स्त्री०=मुहार (ऊँट की नकेल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारक्त					 : | पुं० [सं० महत्-रक्त, कर्म० स०] मूँगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारजत					 : | पुं० [सं० महत्-रजत, कर्म० स०] १. सोना। २. धतूरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारजन					 : | पुं० [महत्-रजन्, कर्म० स०] १. कुसुम का फूल। २, सोना। स्वर्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारण्य					 : | पुं० [सं० महत्-अरण्य, कर्म० स०] बहुत बड़ा या भारी जंगल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारत					 : | स्त्री० [फा०] १. हस्तकौशल। २. निपुणता। ३. अभ्यास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारत्न					 : | पुं० [सं० महत्-रत्न, कर्म० स०] मोती, हीरा, वैदूर्य्य, पद्यराग, गोमेद, पुष्पराग, पन्ना, मूँगा और नीलम इन नौ रत्नों में से हर एक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारथ					 : | पुं० [सं० महत्-रथ, ब० स०] महारथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारथी (थिन्)					 : | पुं० [महत्-रथिन्, कर्म० स०] प्राचीन भारत में वह बहुत बड़ा योद्धा जो अकेला दस हजार योद्धाओं से लड़ सकने में समर्थ माना जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारथ्या					 : | स्त्री० [सं० महती-रथ्या, कर्म० स०] चौड़ी और बड़ी सड़क। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारनी					 : | स्त्री०=मुहारनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महारस					 : | पुं० [सं० महत्-रस, ब० स०] १. काँजी। २. ऊख। ३. खजूर। ४. कसेरू। ५. जामुन। ६. पारा। ७. अभ्रक। ८. ईगुर। ९. कांतिसार लोहा। १॰. सोना-मक्खी। ११. रूपा-मक्खी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाराग					 : | पुं० [सं० महत्-राग, कर्म० स०] वज्रयानी तांत्रिक साधना में वह राज या परम अनुराग जो साधक के मन में महामुद्रा के प्रति होता है। कहते हैं कि बिना इस प्रकार का राग उत्पन्न हुए इस जन्म में बोधि की प्राप्ति असम्भव होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराज					 : | पुं० [सं० महत्-राजन्, कर्म० स०] [स्त्री० महारानी] १. बहुत बड़ा राजा। अनेक राजाओं का प्रधान राजा। २. गुरु, धर्माचार्य पूज्य ब्राह्मण आदि के लिए सम्बोधन सूचक पद। ३. भोजन बनाने वाला ब्राह्मण रसोइया। ४. अंगरेजी शासनकाल में बड़े राजाओं को दी जानेवाली उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाराजाधिराज					 : | पुं० [सं० महत्-राजधिराज, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा राजा। २. अंगरेजी शासन में एक प्रकार की उपाधि जो प्राय बड़े राजाओं को मिलती थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराजिक					 : | पुं० [सं० महती-राजि, ब०स०+कप्] एक प्रकार के देवता जिनकी संख्या कहीं २२६ और कहीं ४000 कही गई है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराज्ञी					 : | स्त्री० [सं० महती-राज्ञी, कर्म० स०] १. दुर्गा। २. महारानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराज्य					 : | पुं० [सं० महत्-राज्य, कर्म० स०] बहुत बड़ा राज्य। साम्राज्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराज्यपाल					 : | पुं० [सं० महत्-राज्यपाल, कर्म० स०] किसी बहुत बड़े देश या राज्य के द्वारा नियुक्त वह सबसे बड़ा अधिकारी जिसके अधीन कई प्रांतीय या प्रादेशिक राज्यपाल हों। (गवर्नर जनरल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराणा					 : | पुं० [सं० महा+हिं० राणा] मेवाड०, चित्तौर और उदयपुर के राजाओं की उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारात्रि					 : | स्त्री० [सं० महती-रात्रि, कर्म० स०] १. महाप्रलवाली रात, जबकि ब्रह्मा का लय हो जाता है। २. तांत्रिकों के अनुसार ठीक आधी रात बीतने पर दो मुहुर्तों का समय जो बहुत ही पवित्र मसझा जाता है। ३. दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारावण					 : | पुं० [सं० महत्-रावण, कर्म० स०] पुराणानुसार वह रावण जिसके हजार मुख और दो हजार भुजाएँ थीं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारावल					 : | पुं० [सं० महा+हिं० रावल] जैसलमेर, डूँगरपुर आदि राज्यों के राजाओं की उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराष्ट्र					 : | पुं० [सं० महत्-राष्ट्र, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा राष्ट्र। २. दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध प्रदेश जो अब भारत का एक राज्य है तथा जिसकी राजधानी बम्बई है। ३. उक्त राज्य का निवासी। मराठा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराष्ट्री					 : | स्त्री० [सं० महाराष्ट्र+अच्+ङीप्] १. मध्ययुग में एक प्रकार की प्राकृत भाषा जो महाराष्ट्र देश में बोली जाती थी। २. दे० ‘मराठी’। ३. जल-पीपल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाराष्ट्रीय					 : | वि० [सं० महाराष्ट्र+छ-ईय] महाराष्ट्र-सम्बन्धी। महाराष्ट्र का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारूख					 : | पुं० [सं० महावृक्ष] १. सेंहुड़। थूहर। २. एक प्रकार का सुन्दर जंगली वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारुद्र					 : | पुं० [सं० महत्-रुद्र, कर्म० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारुरु					 : | पुं० [सं० महत्-रुरु, कर्म० स०] मृगों की एक जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारूप					 : | पुं० [सं० महत्-रूप, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारूपक					 : | पुं० [सं० महत्-रूपक, कर्म० स०] साहित्य में रूपक या नाटक का एक प्रकार या भेद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारोग					 : | पुं० [सं० महत्-रोग, कर्म० स०] बहुत बड़ा प्रायः असाध्य रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारोगी (गिन्)					 : | वि० [सं० महत्-रोगिन्] किसी महारोग से पीड़ित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारौद्र					 : | पुं० [सं० महत्-रौद्र, कर्म० स०] १. शिव। २. बाइस मात्राओं वाले छन्दों की सामूहिक संज्ञा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महारौरव					 : | पुं० [सं० महत्-रौरव, कर्म० स०] १. पुराणानुसार एक नरक का नाम। २. एक प्रकार का साम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्घ					 : | वि० [सं० महत्-अर्घ, ब० स०] [भाव० महार्घता] १. बहुमूल्य। २. महँगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्घता					 : | स्त्री० [सं० महार्घ+तल्+टाप्] महार्घ होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्घ्य्					 : | वि० =महार्घ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्णव					 : | पुं० [सं० महत्-अर्णव, कर्म० स०] १. महासागर। २. शिव। ३. पुराणानुसार एक दैत्य जिसे भगवान् ने कूर्म अवतार में अपने दाहिने पैर से उत्पन्न किया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्द्रक					 : | पुं० [सं० महत्-आर्द्रक, कर्म० स०] १. जंगली अदरक। २. सोंठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्बुद					 : | पुं० [सं० महत्-अबुर्द, कर्म० स०] सौ करोड़ की संख्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महार्ह					 : | पुं० [सं० महत्-अर्ह, ब० स०] सफेद चन्दन। वि० =महार्घ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाल					 : | पुं० [अ० महल का बहु० रूप] १. महल्ला। टोला। २. कोई ऐसी चीज या जगह जिसमें एक ही तरह के बहुत से जीव एक साथ रहते हों जैसे—शहद की मक्खियों का महाल अर्थात् छत्ता। ३. जमीन के बन्दोबस्त के काम के लिए किया हुआ जमीन का ऐसा विभाग, जिसमें कई गाँव होते हैं। ४. मध्य युग में ऐसी जमींदारी जिसमें बहुत सी पट्टियाँ या हिस्सेदार होते थे। वि० =मुहाल (बहुत कठिन या दुष्कर)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालक्ष्मी					 : | स्त्री० [सं० महती-लक्ष्मी, कर्म० स०] १. लक्ष्मी देवी की एक मूर्ति। २. एक कन्या जो दुर्गापूजा के उत्सव में दुर्गा का रूप धारण करती हैं। ३. नारायण की एक शक्ति। ४. एक प्रकार का वर्णिक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तीन रगण होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालय					 : | पुं० [सं० महत्-आलय, कर्म० स०] १. महाप्रलय। २. पितृपक्ष। ३. तीर्थ। ४. नारायण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालया					 : | स्त्री० [सं० महालय+टाप्] आश्विन् कृष्ण अमावस्या, यह पितृ-विसर्जन का दिन है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालिंग					 : | पुं० [सं० महत्-लिंग, ब० स०] महादेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालेखापाल					 : | पुं० [सं० महत्-लेखापाल, कर्म० स०] वह लेखपाल जिसकी अधीनता तथा निरीक्षण में अन्य लेखपाल विशेषतः किसी सार्वजनिक विभाग के सब लेखपाल काम करते हों। (अकाउंटेंट जनरल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालोक					 : | पुं० [सं० महत्-लोक, कर्म० स०]ऊपर से सात लोकों में से चौथा लोक। महालोक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालोध्र					 : | पुं० [सं० महत्-लोध्र, कर्म० स०] पठानी लोध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालोल					 : | पुं० [सं० महत्-लोल, कर्म० स०] कौआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महालौह					 : | वि० [सं० महत्-लौह, कर्म० स०] चुम्बक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावक्ष (क्षस्)					 : | पुं० [सं० महत्-वक्षस्, ब० स०] महादेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावट					 : | पुं० [सं० महत्-वट, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा वट वृक्ष। २. पुराणानुसार एक वट वृक्ष जिसके साथ मनु ने प्रलयकाल में नौका बाँधी थी। स्त्री० [हिं० माघ+वट (प्रत्यय)] माघ के महीने में होनेवाली वर्षा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावत					 : | पुं० [सं० महापात्र] हाथीवान्। फीलवान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावन					 : | पुं० [सं० महत्-वन, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा वन या जंगल २. वृन्दावन के अंतर्गत एक वन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावर					 : | पुं० [सं० महावर्ण] लाख से तैयार किया जानेवाला एक तरह का गहरा चटकीला लाल रंग जिससे स्त्रियाँ अपने पैर चित्रित करती तथा तलुए रंगती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावराह					 : | पुं० [सं० महत्-वराह, कर्म० स०] विष्णु का तीसरा अवतार जिससे उन्होंने वाराह रूप धारण किया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावरी					 : | वि० [हिं० महावर] १. महावर संबधी। २. महावर के रंग का। स्त्री० वह छोटा फाहा जिससे पैरों में महावर लगाया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावरेदार					 : | वि० =मुहावरेदार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावल्ली					 : | स्त्री० [सं० महत्-वल्ली, कर्म० स०] माधवी (लता)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावस					 : | पुं० [सं० महती-वसा, ब० स०] १. मगर। २. सूँस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावस्त्र					 : | पुं० [सं०] १. सब कपड़ों के ऊपर अबा, कबा आदि की तरह पहना जानेवाला वह कपड़ा जो साधारण कपड़ों से अधिक चौड़ा तथा लम्बा होता है। और किसी बहुत बड़े अधिकार, पद आदि का सूचक होता है। (रोब)। २. दे० ‘खिलअत’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावाक्य					 : | पुं० [सं० महत्-वाक्य, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा वाक्य। कोई महत्त्वपूर्ण वाक्य या मंत्र। जैसे—सोऽहं, तत्त्वमसि आदि। ३. दान देते समय पढ़ा जानेवाला मन्त्र या संकल्प। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावाणिज्यदूत					 : | पुं० [सं० महत्-वाणिज्यदूत, कर्म० स०] किसी देश का वह वाणिज्य दूत जो किसी अन्य देश की राजधानी में रहता हो और जो उस देश में स्थित अपने यहाँ के अन्य वाणिज्य दूतों का प्रधान हो। (काँन्सल-जनरल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावात					 : | पुं० [सं० महत्-वात, कर्म० स०] बहुत जोरों से या तेज चलनेवाली हवा। जैसे—झंझा तूफान प्रवात आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावाद					 : | पुं० [सं० महत्-वाद, कर्म० स०] महत्त्वपूर्ण वाद-विवाद। शास्त्रार्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावादी (दिन्)					 : | वि० [सं० महावाद+इनि] महावाद-संबंधी। पुं० वह जो शास्त्रार्थ करता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावारुणी					 : | स्त्री० [सं० महत्-वारुणी, कर्म० स०] गंगा-स्नान का एक पर्व या योग जो शनिवार के दिन चैत्र कृष्ण त्रयोदशी पड़ने पर होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महावाहन					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] एक बहुत बड़ी संख्या की संज्ञा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाविक्रम					 : | पुं० [सं० महत्-विक्रम, ब० स०] सिंह। शेर। वि० बहुत बड़ा बलवान या विक्रमी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाविद्या					 : | स्त्री० [सं० महती-विद्या, कर्म० स०] १. इन दस देवियों में से हर एक-काली, तारा, षोड़षी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मांतगी और कमलात्मिका। (तंत्र)। २. दुर्गा। ३. गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाविद्यालय					 : | पुं० [सं० महत्-महाविद्यालय, कर्म० स०] वह बड़ा विद्यालय जिसमें ऊँची कक्षाओं की पढ़ाई होती है। (कालेज) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाविद्येश्वरी					 : | स्त्री० [सं० महती-विद्येश्वरी, कर्म० स०] दुर्गा की एक मूर्ति या रूप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाविभूति					 : | पुं० [सं० महती-विभूति, ब० स०] विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाविल					 : | पुं० [सं० महत्-विल, कर्म० स०] १. आकाश। २. अंतःकरण। | 
			
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				| महाविष					 : | पुं० [सं० महत्-विष, ब० स०] वह बहुत अधिक जहरीला सांप जिसके काटते ही मृत्यु हो जाय। | 
			
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				| महाविषुव					 : | पुं० [सं० महत्-विषुव, कर्म० स०] सूर्य के मीन से मेष राशि में प्रवेश करने का समय। | 
			
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				| महावीचि					 : | पुं० [सं० महत्-वीचि, ब० स०] मनु के अनुसार एक नरक का नाम। | 
			
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				| महावीर					 : | वि० [सं० महत्-वीर, कर्म० स०] बहुत बड़ा वीर। पुं० १. हनुमान जी। २. शेर। सिंह। ३. गरुड़। ४. देवता। ५. वज्र। ६. घोड़। ७. बाज नामक पक्षी। ८. मनु के पुत्र मरवानल का एक नाम। ९. गौतम बुद्ध। १॰. रानी त्रिशला के गर्भ से उत्पन्न राजा सिद्धार्थ के पुत्र जो जैनियों के चौबीसवें और अंतिम जिन या तीर्थंकर माने जाते हैं। | 
			
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				| महावीर-चक्र					 : | पुं० [मध्य० स०] स्वतंत्र भारत में सेना के किसी वीर को रणभूमि में असामान्य वीरता दिखाने पर केन्द्रीय पदक या राष्ट्रपति की ओर से दिया जानेवाला एक विशेष पदक जो परमवीर चक्र से कुछ घटकर माना जाता है। | 
			
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				| महावीर्य					 : | पुं० [सं० महत्-वीर्य, ब० स०] १. ब्रह्मा। २. एक बुद्ध का नाम। ३. जैनियों के एक अर्हत्। ४. तामस शौच्य मन्वंतर के एक इंद्र। ५. वाराही कंद। | 
			
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				| महावीर्या					 : | पुं० [सं० महावीर्य+टाप्] १. सूर्य की पत्नी संज्ञा का एक नाम। २. महा-शतावरी। ३. वन-कपास। | 
			
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				| महावृक्ष					 : | पुं० [सं० महत्-वृक्ष, कर्म० स०] १. सेंहुड़। २. करंज। ३. ताड़। ३. महापीलु। | 
			
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				| महावेग					 : | पुं० [सं० महत्-वेग, ब० स०] १. शिव। २. गरुड। | 
			
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				| महावेगा					 : | स्त्री० [सं० महावेग+टाप्] स्कंद की अनुचरी एक मातृका। | 
			
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				| महाव्याधि					 : | स्त्री० [सं० महत्-व्याधि, कर्म० स०] बहुत कठिन और प्रायः अचिकित्स्य रोग। | 
			
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				| महाव्याहृति					 : | स्त्री० [सं० महती-व्याह्रति, कर्म० स०] ऊपर स्थित भूःभ्रुव और स्वः इन तीनों लोकों का समाहार। | 
			
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				| महाव्योम					 : | पुं० [सं० महत्-व्योमन, कर्म० स०] वह सारा अनन्त व्योम जिसमें सारा ब्रह्मांड स्थित है। (फर्मामेन्ट) | 
			
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				| महाव्रण					 : | पुं० [सं० महत्-व्रण, कर्म० स०] १. कभी अच्छी न होनेवाला व्रण। २. नासूर। | 
			
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				| महाव्रत					 : | पुं० [सं० महत्-व्रत, कर्म० स०] १. ऐसा व्रत जो लगातार १२ वर्षों तक चलता रहे। २. आश्विन की दुर्गा पूजा या नवरात्र। | 
			
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				| महाब्रती (तिन्)					 : | पुं० [सं० महाब्रत+इनि] १. वह जिसने महाव्रत धारण किया हो। २. शिव। | 
			
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				| महाशंख					 : | पुं० [सं० महत्-शंख, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा शंख। २. ललाट। ३. कनपटी की हड्डी। ४. मनुष्य की ठठरी। ५. कुबेर की नौ निधियों में से एक निधि। ६. एक प्रकार का साँप। ७. सौ शंख की संख्या की संज्ञा। | 
			
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				| महाशक्ति					 : | स्त्री० [सं० महती-शक्ति, कर्म० स०] १. विश्व की रचना या सृष्टि करनेवाली मूल शक्ति। २. दुर्गा का एक नाम। ३. प्रकृति। ४. आज-कल कोई बहुत बड़ा या परम प्रबल राष्ट्र जिसकी सैनिक शक्ति बहुत बड़ी हो। (ग्रेट पावर) पुं० १. कार्तिकेय। २. शिव। | 
			
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				| महाशठ					 : | पुं० [सं० महत्-शठ, कर्म० स०] पीला धतूरा। | 
			
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				| महाशतावरी					 : | स्त्री० [सं० महती-शतावरी, कर्म० स०] बड़ी शतावरी। सतावर। | 
			
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				| महाशय					 : | पुं० [सं० महत्-आश्रय, ब० स०] १. उच्च और दार आशयों, या विचारों वाला व्यक्ति। सज्जन। (प्रायः भले आदमियों के नामों के साथ आदरार्थक प्रयुक्त। २. समुद्र। सागर। | 
			
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				| महाशय्या					 : | स्त्री० [सं० महती-शय्या, कर्म० स०] १. राजाओं के सोने की शय्या। २. सिंहासन। | 
			
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				| महाशल्क					 : | पुं० [सं० महत्-शल्क, ब० स०] झींगा। मछली। | 
			
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				| महाशाखा					 : | स्त्री० [सं० महती-शाखा, ब० स०] नागबला। | 
			
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				| महाशासन					 : | पुं० [सं० महत्-शासन, कर्म० स०] १. ऐसी आज्ञा जिसका पालन अनिवार्य हो। २. राजा का वह मंत्री जो उसकी आज्ञाओं या दानपत्रों आदि का प्रचार करता हो। | 
			
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				| महाशिव					 : | पुं० [सं० महत्-शिव, कर्म० स०] महादेव। | 
			
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				| महाशीता					 : | स्त्री० [सं० महती-शीता, कर्म० स०] शतमूली। | 
			
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				| महाशुक्ति					 : | स्त्री० [सं० महती-शुक्ति, कर्म० स०] सीपी। | 
			
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				| महाशुक्ला					 : | स्त्री० [सं० महती-शुक्ला, कर्म० स०] सरस्वती। (देवी) | 
			
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				| महाशुभ्र					 : | पुं० [सं० महत्-शुम्र, कर्म० स०] चाँदी। | 
			
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				| महाशून्य					 : | पुं० [सं० महत्-शून्य, कर्म० स०] आकाश। | 
			
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				| महाशोण					 : | पुं० [सं० महत्-शोण, कर्म० स०] सोन (पद)। | 
			
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				| महाश्मशान					 : | पुं० [सं० महत्-श्मशान, कर्म० स०] काशी नगरी। विशेष—ऐसा कहा जाता है कि काशी के मणिकर्णिका घाट पर चौबीसों घंटे एक न एक शव जलता रहता है। | 
			
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				| महाश्रावणिका					 : | स्त्री० [सं० महती-श्रावणिका, कर्म० स०] गोरखमुंडी। | 
			
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				| महाश्वास					 : | पुं० [सं० महत्-श्वास, कर्म० स०] १. एक प्रकार का श्वास रोग। २. मरने के समय का अन्तिम श्वास। | 
			
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				| महाश्वेता					 : | स्त्री० [सं० महती-श्वेता, कर्म० स०] १. सरस्वती (देवी)। २. दुर्गा। ३. सफेद शक्कर। ४. सफेद अपराजिता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाषष्ठी					 : | स्त्री० [सं० महती-षष्ठी, कर्म० स०] १. दुर्गा। २. सरस्वती। (देवी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महाष्टमी					 : | स्त्री० [सं० महती-अष्टमी, कर्म० स०] आश्विन शुक्ला अष्टमी। | 
			
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				| महा-संक्रांति					 : | स्त्री० [सं० महती-संक्रांति, कर्म० स०] मकर संक्रांति। | 
			
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				| महासंस्कार					 : | पुं० [सं० महत्-संस्कार, कर्म० स०] मृतक की अत्येष्टि-क्रिया। | 
			
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				| महासंस्कारी (रिन्)					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] सत्रह मात्राओं के छंदों की संज्ञा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासत्ता					 : | स्त्री० [सं० महती-सत्ताकर्म० स०] एक विश्व व्यापिनी। सत्ता। (जैन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासत्त्व					 : | पुं० [सं० महत्-सत्त्व, ब० स०] १. कुबेर। २. शाक्य मुनि। ३. एक बोधिसत्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासन					 : | पुं० [सं० महत्-आसन, कर्म० स०] सिंहासन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासभा					 : | स्त्री० [सं० महती-सभा, कर्म० स०] १. कोई बहुत बड़ी सभा। २. हिन्दू महासभा नामक एक भारतीय दल। ३. राष्ट्र-संघ के तत्वावधान में होनेवाली वह सभा जिसमें सम्बद्ध समस्त राष्ट्र के प्रतिनिधि सम्मिलित होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासभाई					 : | पुं० [सं० महासभा+हिं०, आई (प्रत्यय)] (हिन्दू) महासभा (दल)। का सदस्य या कार्यकर्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासमुद्र					 : | पुं० [सं०] प्रादेशिक समुद्र को छोड़कर शेष समुद्र का वह सारा विस्तार जिमसें सभी देशों के जहाज बिना रोक-टोक आ-जा सकते हैं। (हाई सी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासर्ग					 : | पुं० [सं० महत्-सर्ग, कर्म० स०] प्रलय के उपरान्त होनेवाली सृष्टि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासर्ज					 : | पुं० [सं० महत्-सर्ज, कर्म० स०] कटहल का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासांतपन					 : | पुं० [सं० महत्-सांतपन, कर्म० स०] एक प्रकार का व्रत जिसमें पाँच दिनों तक क्रम से पंचगव्य, छठे दिन कुश का जल पीकर और सातवें दिन उपवास करते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासांधिविग्रहिक					 : | पुं० [सं० महत्-सांधिविग्रहिक, कर्म० स०] गुप्त कालीन भारत का वह उच्च अधिकारी जिसे दूसरे राज्यों से संधि और विग्रह करने का अधिकार होता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासागर					 : | पुं० [सं० महत्-सागर, कर्म० स०] १. वह समस्त जल-राशि जो इस लोक के स्थल भाग को चारों ओर से घेरे हुए हैं। २. उक्त के पाँच प्रमुख विभागों (अतलांतक, प्रशांत, भारतीय, उत्तर, ध्रुवीय और दक्षिण ध्रुवीय) में से हर एक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महासामंत					 : | पुं० [सं० महत्-सामंत, कर्म० स०] सामंतों का सरदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासारथि					 : | पुं० [सं० महत्-सारथि, ब० स०] अर्जुन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासाहसिक					 : | पुं० [सं० महत्-साहसिक, कर्म० स०] चोर। वि० अत्यधिक साहसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासिंह					 : | पुं० [सं० महत्-सिंह, कर्म० स०] वह सिंह जिसपर दुर्गा देवी सवारी करती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासिद्धि					 : | स्त्री० [सं० महती-सिद्धि, कर्म० स०] योग में, विशिष्ट साधना के उपरांत प्राप्त होनेवाली ये आठ सिद्धियाँ—अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशत्व और वशित्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासिरा					 : | पुं० =मुहासिर (घेरा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासिल					 : | पुं० [अ] १. वह धन जो हासिल या प्राप्त किया गया हो। २. आय। आमदनी। ३. मालगुजारी। लगान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासीर					 : | पुं० [देश] एक प्रकार की मछली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासुख					 : | पुं० [सं० महत्-सुख, कर्म० स०] १. साधकों को सिद्धि प्राप्त हो जाने पर मिलनेवाला परमानन्द। मैथुन। रति। ३. श्रृंगार ४. गौतम बुद्ध का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासूक्ष्मा					 : | स्त्री० [सं० महती-सूक्ष्मा, कर्म० स०] रेत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महासेन					 : | पुं० [सं० महती-सेना, ब० स०] १. शिव। २. कार्तिकेय। ३. बहुत बड़ी सेना का सेना-नायक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महास्कंध					 : | पुं० [सं० महत्-स्कंध, ब० स०] ऊँट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महास्कंधा					 : | स्त्री० [सं० महास्कंध+टाप्] जामुन का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महास्थली					 : | स्त्री० [सं० महत्-स्थली, कर्म० स०] पृथ्वी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महास्नायु					 : | पुं० [सं० महती-स्नायु, कर्म० स०] शरीर की प्रधान रक्तवाहिनी नाड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महास्पद					 : | वि० [सं० महत्-आस्पद, ब० स०] १. उच्चपदस्थ। २. शक्तिशाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाहंस					 : | पुं० [सं० महत्-हंस, कर्म० स०] १. एक प्रकार का हंस। २. विष्णु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाहनु					 : | पुं० [सं० महती-हनु, ब० स०] १. शिव। २. तक्षक जाति का एक प्रकार का साँप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाहस्त					 : | पुं० [सं० महत्-हस्त, ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाहास					 : | पुं० [सं० महत्-हास, कर्म० स०] अट्टाहास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाहि					 : | पुं० [सं० महत्-अहि, कर्म० स०] वासुकि (नाग)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महाहिक्का					 : | स्त्री० [सं० महती-हिक्का, कर्म० स०] अत्यधिक अर्थात् कुछ समय तक निरंतर हिचकी होते रहने का रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिं					 : | अव्य०=महँ (में)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महि					 : | स्त्रीं० [सं०√मह् (पूजा)+कुन्, -अक+टाप्] १. पृथ्वी। २. कुहरा। पाला। हिम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिख					 : | पुं० =महिष। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिश्लखरी					 : | स्त्री० [?] एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में अट्ठाइस मात्राएँ और चौदह मात्राओं पर यति होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिदास					 : | पुं० =महीदास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिधर					 : | पुं० =महीधर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिनंदिनी					 : | स्त्री० दे० ‘महीपुत्री’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिपाल					 : | पुं० =महीपाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिपुत्र					 : | पुं० =महीपुत्र (मंगल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिफल					 : | पुं० [सं० मघुफल] मधु। शहद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिमा (मन्)					 : | स्त्री० [सं० महत्+इमनिच्] १. महत्त्वपूर्ण होने की अवस्था या भाव। गौरव। २. महत्ता की होनेवाली प्रसिद्धि। ३.वह स्थिति जिसमें किसी की क्रियाशीलता, प्रभावोत्पादकता आदि की प्रसिद्धि तथा मान्यता लोक में होती है। ४. उक्त क्रियाशीलता तथा प्रभावोत्पादकता। जैसे—यह तीर्थ या गीता की महिमा थी। ५. आठ सिद्धियों में से एक जिसकी प्राप्ति होने पर मनुष्य इच्छानुसार अपना विस्तार कर लेता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिमाधर					 : | वि० [सं० महिमधर] =महिमावान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिमावान्					 : | वि० [सं० महिमवान्] महिमा से युक्त। महिमावाला। पुं० पित्तरों का एक गण या वर्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिम्न					 : | पुं० [सं० महि√म्ना (अभ्यास)+क] शिव का एक प्रसिद्ध स्तोत्र जिसे पुष्पदंताचार्य ने रचा था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिय					 : | स्त्री०=मही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महियाँ					 : | अव्य० [सं० मध्य०, प्रा०मज्झ=माँह] =महिं (में)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिया					 : | पुं० [हिं० महना] [स्त्री० महिमारी] ग्वाला। स्त्री ऊख के रस का फेन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महियाउर					 : | पुं० [हि० मही=मठा+चाउर=चावल] दही के मठे में पकाया हुआ चावल। महेरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिर					 : | पुं० [पु० मह+इलच्, ल=र] सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिराँण					 : | पुं० [सं० महार्णव] समुद्र। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिरावण					 : | पुं० [सं०] पुराणानुसार एक राक्षस का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिला					 : | स्त्री० [सं०√मह+इलच्+टाप्] १. स्त्री। औरत। २. स्त्री के लिए प्रयुक्त होनेवाला एक आदरसूचक शब्द। ३. प्रियंगु (लता)। ४. रेणुका नामक गन्ध द्रव्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिष					 : | पुं० [सं०√मह्+टिषच्] [स्त्री० महिषी] १. भैंसा। २. वह राजा जिसका अभिषेक शास्त्रानुसार हुआ हो। ३. एक प्राचीन वर्णसंकर जाति। ४. एक साम का नाम। ५. कुश द्वीप का एक पर्वत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिष-कंद					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] भैंसा कंद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिषध्नी					 : | स्त्री० [सं० महिष√उहन् (मारना)+टक्+ङीष्] दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिष-ध्वज					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. यमराज। २. जैनों के एक अर्हत्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिष-मंडल					 : | पुं० [सं०] प्राचीन भारत में आधुनिक हैदराबाद के दक्षिण भाग का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिषमर्दिनी					 : | स्त्री० [सं० महिष√मृद् (मर्दन करना)+णिनि+ङीष्] दुर्गा का एक नाम और रूप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिष-वल्ली					 : | स्त्री० [सं० मध्य० स०] छिरेटा (लता)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिष-वाहन					 : | पुं० [सं० ब० स०] यमराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महिषाकार					 : | वि० [सं० महिष-आकार, ब० स०] १. भैसें के आकार का। २. बहुत बड़े डील-डौलवाला। | 
			
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				| महिषाक्ष					 : | पुं० [सं० महिष-अक्षि, ब० स०+षच्] १. भैंसा। २. गुग्गुल। | 
			
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				| महिषाछ्न					 : | पुं० [सं० महिष√अर्द (मर्दन करना)+ल्युट-अन] कार्तिकेय। | 
			
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				| महिषासुर					 : | पुं० [सं० महिष-असुर, मध्य० स०] भैसें के से मुँहवाला एक प्रसिद्ध दैत्य जो रम्भ नाम दैत्य का पुत्र था। इसका वध दुर्गा ने किया था। (पुराण)। | 
			
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				| महिषी					 : | स्त्री० [सं० महिष+ङीष्] १. भैंस। २. राजा की वह पटरानी जिसका उसके साथ अभिषेक हुआ हो। ३. सैरिध्री। ४. एक प्रकार की औषधि। | 
			
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				| महिषी-कंद					 : | पुं० [सं० मध्य०स] भैंसा कंद। शुभ्रालु | 
			
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				| महिषी-प्रिया					 : | पुं० [सं० ष० त०] शूकी (घास)। | 
			
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				| महिषेश					 : | पुं० [सं० महिष-ईश, ष० त०] १. यमराज। २. महिषासुर। (दे०)। | 
			
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				| महिषोत्सर्ग					 : | पुं० [सं० महिष-उत्सर्ग, ष० त०] एक प्रकार का यज्ञ। | 
			
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				| महिष्ठ					 : | वि० [सं०√मह (पूजा)+इष्ठन्] १. बहुत बड़ा। २. महिमापूर्ण। | 
			
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				| महिसुर					 : | पं०=महीसुर। | 
			
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				| मही					 : | स्त्री० [सं०√मह+अच्+ङीष्] १. पृथ्वी। २. पृथ्वी के आधार पर एक की संख्या। ३. मिट्टी। ४. खाली स्थान। अवकाश। ५. नदी। ६. सेना। फौज। ७. समूह। ८. गाय। गौ। ९. एक प्रकार का छंद जिसमें एक लघु और एक गुरू मात्रा होती है। जैसे—मही, लगी इत्यादि। पुं० [हिं० मथितः] मट्ठा। | 
			
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				| महिक्षित					 : | पुं० [सं० मही√क्षि (निवास या हिंसा)+क्विप्-तुक्-आगम] राजा। | 
			
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				| महीख़ड़ी					 : | स्त्री० [देश] सिकलीगरों का एक औजार। | 
			
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				| महीज					 : | पुं० [सं० मही√जन् (उत्पन्न करना)+ड०] १. मंगल ग्रह। २. अदरक। | 
			
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				| मही-तल					 : | पुं० [सं० ष० त०] पृथ्वी। संसार। | 
			
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				| महीदास					 : | पुं० [सं० ष० त०] ऐतरेय ब्राह्मण के रचयिता एक प्रसिद्ध ऋषि। | 
			
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				| महीदेव					 : | पुं० [सं० ष० त०] भू-देव। ब्राह्मण। | 
			
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				| महीधर					 : | पुं० [सं० ष० त०] १. पर्वत। पहाड़। २. शेषनाग। ३. बौद्धों के अनुसार एक देवपुत्र। ४. एक प्रकार का वार्णिक वृत्त जिसमें चौदह बार क्रम लघु और गुरु आते हैं। | 
			
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				| महीध्र					 : | पुं० [सं० मही√धृ (धारण करना)+क] महीधर। | 
			
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				| महीध्रक					 : | पुं० [सं० महीध्र√कन्] =महीध्र। | 
			
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				| महीन					 : | वि० [सं० महत्+झीन] (सं० क्षीण) १. जिसका घेरा तल या विस्तार इतना कम या थोड़ा हो कि सहसा दिखायी न दे। सूक्ष्म ‘मोटा’ का विपर्याय। जैसे—महीन काम, महीन निशान। २. बहुत ही पतला या बारीक। झीना। जैसे—कपड़े का महीन पोत। पद—महीन काम=ऐसा काम जिसे करने में बहुत आँख गड़ाने और सावधानी रखने की आवश्यकता होती हो। जैसे—सीना-पिरोना, चित्रकारी, नक्काशी आदि। ३. (स्वर) जो बहुत कम ऊँचा या तेज हो। कोमल धीमा। मंद। जैसे—महीन आवाज। पुं० [सं०] राजा। | 
			
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				| महीना					 : | पुं० [सं० मास या मि०, फा० माह] १. काल का एक प्रसिद्ध परिमाण जो वर्ष के बारहवें अंश के बराबर और प्रायः तीस दिनों का होता है। मास। माह। २. हर महीने अर्थात् महीना भर काम करने के बदले मिलनेवाला वेतन या वृत्ति। ३. स्त्रियो का रजोधर्म या मासिक धर्म जो प्रायः महीन-महीने पर होता है। मुहावरा—(स्त्री का) महीने से होना=रजोधर्म से होना। रजस्वला होना। | 
			
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				| महीप					 : | पुं० [सं० मही√पा (रक्षा)+क] राजा। | 
			
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				| महीपति					 : | पुं० [सं० ष० त०] राजा। | 
			
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				| महीपाल					 : | पुं० [सं० मही√पाल् (पालन)+णिच्+अण्] राजा। | 
			
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				| मही-पुत्र					 : | पुं० [ष० त०] मंगल ग्रह। | 
			
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				| मही-पुत्री					 : | स्त्री० [ष० त०] सीता जी। | 
			
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				| मही-प्राचीर					 : | पुं० [ष० त०] समुद्र। | 
			
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				| मही-भर्त्ता (भर्तृ)					 : | पुं० [ष० त०] [स्त्री० महीभत्री] पृथ्वी (के निवासियों) का भरण पोषण करनेवाला, राजा। | 
			
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				| महीभुक् (भुज्)					 : | पुं० [सं० मही√भुज् (उपभोग करना)+क्विप्, कृत्व] राजा। | 
			
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				| महीभृत्					 : | पुं० [सं० मही√भृ (पालन करना)+क्विप्, तुक्] १. राजा। २. पर्वत। पहाड़। | 
			
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				| मही-मंडल					 : | पुं० [सं० ष० त०] पृथ्वी। भूमंडल। | 
			
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				| महीम					 : | पुं० [देश] एक प्रकार का गन्ना। | 
			
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				| महीयान (यस्)					 : | वि० [सं० महत्+ईयसुन] [स्त्री० महीयसी] १. किसी की तुलना में अधिक बड़ा। २. महान् ३. शक्तिशाली। | 
			
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				| महीर					 : | स्त्री० [हिं० मही] १. मक्खन को तपाने पर निकलनेवाली तलछट। २. महेरा। (दे०)। | 
			
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				| महीरावण					 : | पुं० [सं०] १. अद्भुत रामायण के अनुसार रावण के एक पुत्र का नाम। २. महिरावण। | 
			
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				| महीरूह					 : | पुं० [सं० मही√रूह (उत्पन्न होना)+क] वृक्ष। | 
			
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				| महीलता					 : | स्त्री० [सं० स० त०] केंचुआ। | 
			
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				| महीश					 : | [पुं० मही-ईश, ष० त०] राजा। | 
			
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				| मही-सुत					 : | पुं० [ष० त०] मंगल ग्रह। | 
			
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				| मही-सुता					 : | स्त्री० [ष० त०] सीता जी। | 
			
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				| मही-सुर					 : | पुं० [स० त०] ब्राह्मण। | 
			
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				| मही-सूनु					 : | पुं० [ष० त०] मंगल ग्रह। | 
			
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				| महुँ					 : | अव्य=महँ। | 
			
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				| महु					 : | पु०=मधु। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महुअर					 : | पुं० [सं० मधुकर, प्रा०महुअर] १. सँपेरों का एक प्रकार का बाजा जिसे तुमड़ी या तूँबी भी कहते हैं। २. एक प्रकार का इंद्रजाल का खेल जो उक्त बाजा बजाकर किया जाता है और जिसमें खिलाड़ी अपने प्रतिद्वन्द्वी को अपनी इच्छा के वश में करके अनेक प्रकार के शारीरिक कष्ट देने का प्रयत्न करता है। स्त्री० [हिं० महुआ] १. वह भेड़ जिसका ऊन कालापन लिए लाल रंग का होता है। २. महुए को पीसकर उसके चूर्ण से बनायी जानेवाली रोटी। | 
			
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				| महुअरि					 : | स्त्री०=महुअर। | 
			
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				| महुअरी					 : | स्त्री० [हिं० महुआ] महुए के रस से साने हुए आटे की पकायी हुई रोटी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महुआ					 : | पुं० [सं० मधूक, प्रा०महुअ] १. बलुई भूमि में होनेवाला एक वृक्ष जिसका कांड चिकना तथा धूसरित होता है और फूल सफेद तथा पीले रंग के होते हैं तथा पत्ते रोएँदार होते हैं। २. इस वृक्ष के छोटे, मीठे, सफेद फल जो खाये जाते हैं, और उनके पांस से शराब बनायी जाती है। ३. धूसरित रंग का बैल। ४. हलका पीला रंग। पुं० =सुभरा (मछली)। वि० [हिं० महना=मथना] मथा हुआ। जैसे—महुआ दही। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| महुआ-दही					 : | पुं० [हिं० महना=मथना+दही] वह मथा हुआ दही जिसमें से मक्खन निकाल लिया गया हो। | 
			
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				| महुआरी					 : | स्त्री० [हिं० महुआ+आरी] वह स्थान जहाँ महुए के बहुत से वृक्ष हों। | 
			
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				| महुकम					 : | वि० =मुहकम (पक्का)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महुम्म					 : | वि० [हिं० महुआ] महुए के रंग का। हलके पीले रंग का। | 
			
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				| महुर					 : | वि०=मधुर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महुरेठी					 : | स्त्री०=मुलेठी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महुर्छा					 : | पुं० =महोछा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महुला					 : | वि० [हिं० महुआ] [स्त्री० महुली] महुए के रंग का। हलका पीला। पुं० १. हलका पीला रंग। २. हलके पीले रंग का बैल। | 
			
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				| महुवर					 : | पुं० =महुअर। | 
			
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				| महुवा					 : | पु०=महुआ। | 
			
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				| महूख					 : | पुं० [सं० मधूक] १. महुए का पेड़ और उसका फल। २. मुलेठी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महूरत					 : | पुं० =मुहुर्त। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महूम					 : | स्त्री०=मुहिम। उदाहरण—दिग विजय काज महूम की।—पद्माकर। | 
			
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				| महूष					 : | पुं० =मधूख (महुआ)। | 
			
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				| महेंद्र					 : | पुं० [सं० महत्-इंद्र, कर्म० स०] १. विष्णु। २. इन्द्र। | 
			
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				| महेंद्राल					 : | स्त्री०=महेंद्री (नदी)। | 
			
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				| महेंद्री					 : | स्त्री० [सं०] गुजरात प्रदेश की एक नदी। | 
			
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				| महे					 : | अव्य० [सं० मध्य] में। अन्दर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेर					 : | पुं० [देश] १. झगड़ा। बखेड़ा। २. व्यर्थ की देर या विलम्ब। क्रि० प्र०—करना।—डालना। पुं० =महेरा। स्त्री०=महेरी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महेरा					 : | पुं० [हिं० मही+एरा (प्रत्यय)] १. दही। मठा। २. दही में पकाया हुआ चावल। खेसारी का आटा या ऐसी ही और कोई चीज। पुं० १. महेर। २. महेला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेरी					 : | स्त्री० [हिं० महेरा] १. उबाली हुई ज्वार जिसे लोग नमक मिर्च से खाते हैं। २. दही के साथ पकाया हुआ चावल। महेरा। वि० [हि०महेर] १. झगड़ा-बखेडा खड़ा करनेवाला। २. व्यर्थ देर लगानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महेल					 : | पुं० =महल। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेला					 : | पुं० [हि०माष] चने, उड़द, मोठ आदि को उबालकर और घी, गुड आदि डालकर बनाया हुआ वह मिश्रण जो पशुओं को खिलाया जाता है। वि० [?] सुन्दर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेलिया					 : | स्त्री० [सं० महल्लिका] माल ढोनेवाली एक प्रकार की बड़ी नाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेश					 : | पुं० [सं० महत्-ईश, कर्म० स०] १. ईश्वर। २. शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेश-बंधु					 : | पुं० [सं० ष० त०] बैल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेशान					 : | पुं० [सं० महत्-ईशान, कर्म० स०] [स्त्री० महेशानी] शिव। | 
			
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				| महेशानी					 : | स्त्री० [सं० महेसान+ङीष्] १. पार्वती। २. दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेशी					 : | स्त्री०=महेश्वरी (पार्वती)। | 
			
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				| महेश्वर					 : | पुं० [सं० महत्-ईश्वर, कर्म० स०] [स्त्री० महेस्वरी] १. ईश्वर। २. शिव। ३. सफेद महार। ४. सोना स्वर्ण। | 
			
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				| महेश्वरी					 : | स्त्री० [सं० महत्-ईश्वरी, कर्म० स०] दुर्गा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेषुधि					 : | वि० [सं० महत्-इषुधि, ब० स०] बहुत बड़ा धनुर्धारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेष्वास					 : | पुं० [सं० महत्-इष्वास, कर्म० स०] बहुत बड़ा धनुर्धारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महेस					 : | पुं० =महेश। | 
			
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				| महेसिया					 : | पुं० [हिं० महेश] एक प्रकार का बढ़िया अगहनी धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेसी					 : | स्त्री०=महेश्वरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महेसुर					 : | पुं० १. =महेश्वर। २. =माहेश्वर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महैत					 : | वि० [हिं० महा] पूरी तरह से व्याप्त। ओतप्रोत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महैला					 : | स्त्री० [सं० महती-एला, कर्म० स०] बड़ी इलायची। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोक					 : | पुं० =मधूक (महुआ)। पुं० =महोखा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोक्ष					 : | पुं० [सं० महत्-उक्षन, कर्म० स०+अच्] १. बड़ा बैल। २. कामशास्त्र में वृषभ जाति का पुरुष। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोख					 : | पुं० =मधूक (महुआ)। पुं० =महोखा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोखा					 : | पुं० [सं० मधूक] कौए के आकार का एक पक्षी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोगनी					 : | पुं० [अ०] एक प्रकार का बहुत बड़ा पेड़ जो सदा हरा रहता है। इसके फल खाये जाते हैं और लकड़ी इमारत के काम आती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोच्चार					 : | पुं० [सं० महत्-उच्चार, कर्म० स०] ऊँचा या घोर शब्द। घोष। उदाहरण—भूल गये देवता उदय का महोच्चार था मैं ही।—दिनकर। | 
			
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				| महोच्छव					 : | पुं० १. =महोछा। २. =महोत्सव। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोछ्व					 : | पुं० १. =महोछा। २. =महोत्सव। | 
			
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				| महोछा					 : | पुं० [सं० महोत्सव] १. महोत्सव। २. एक उत्सव जिसमें खत्री संप्रदाय बाबा लालू जसराम की पूजा करते हैं। यह श्रावणमास के कृष्ण पक्ष में होता है। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोटी					 : | स्त्री० [सं० ब० स०+ङीष्] कटैया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोती					 : | स्त्री० [हिं० महुआ] महुए का फल। कुलेंदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोत्का					 : | पुं० =महोल्का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोत्सव					 : | पुं० [सं० महत्-उत्सव, कर्म० स०] बहुत बड़ा उत्सव या समारोह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोदधि					 : | पुं० [सं० महत्-उदधि, कर्म० स०] समुद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोदय					 : | पुं० [महत्-उदय, ब० स०] [स्त्री० महोदया] १. अधिपति। स्वामी। २. महानुभाव महाशय। ३. अपने से बड़े व्यक्ति के लिए अथवा औपचारिक रूप से किसी अच्छे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त किया जानेवाला एक आदरसूचक संबोधन। ४. स्वर्ग। ५. महाफूल। ६. कान्यकुब्ज प्रदेश का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोदया					 : | स्त्री० [सं० महोदय+टाप्] नागबला। गुलशनकारी। गंगरेन। स्त्री० सं० ‘महोदय’ का स्त्री०। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोदर					 : | पुं० [सं० महत्-उदर, ब० स०] १. शिव। २. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। ३. एक असुर का नाम। ४. एक नाग का नाम। वि० बहुत बड़े पेटवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोदरी					 : | वि० स्त्री० [सं० महोदरी+ङीष्०] बड़े पेटवाली। स्त्री० भगवती का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| महोदार					 : | वि० [सं० महत्-उदार, कर्म० स०] बहुत अधिक उदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| महोद्यम					 : | वि० [सं० महत्-उद्यम, ब०स०] बहुत बड़ा उद्यम या बड़े-बड़े काम करनेवाला। | 
			
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				| महोना					 : | पुं० [हिं० मुँह] पशुओं के मुंह आदि पकने का एक रोग। | 
			
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				| महोन्नत					 : | वि० [सं० महत्-उन्नत, कर्म० स०] बहुत अधिक उन्नत या ऊँचा। | 
			
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				| महोपाध्याय					 : | पुं० [सं० महत्-उपाध्याय, कर्म० स०] बहुत बड़ा अध्यापक या पंडित। | 
			
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				| महोबा					 : | पुं० [देश] बुन्देलखंड का एक प्राचीन नगर जो हमीरपुर जिले में है। | 
			
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				| महोबिया					 : | वि० =महोबी। | 
			
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				| महोबी					 : | वि० [हिं० महोबा+ई (प्रत्यय)] १. महोबे का। महोबा सम्बन्धी। २. महोबे में होनेवाला। पुं० महोबे का निवासी। | 
			
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				| महोरग					 : | पुं० [सं० महत्-उरग, कर्म० स०] बहुत बड़ा सांप। | 
			
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				| महोरस्क					 : | वि० [सं० महत्-उरग, ब०स०+कप्] जिसका वक्षःस्थल विशाल हो। | 
			
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				| महोर्मि					 : | स्त्री० [सं० महती-ऊर्मि, कर्म० स०] बहुत ऊँची या बड़ी लहर। | 
			
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				| महोला					 : | पुं० [अ० मुहेल] १. हीला-हवाला। बहाना। २. चकमा। धोखा। | 
			
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				| महौध					 : | पुं० [सं० महत्-ओघ, कर्म० स०] समुद्र की बाढ़ या तूफान। | 
			
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				| महौजस्क					 : | वि० [सं० महत्-ओजस्, ब० स०+कप्] बहुत अधिक तेजस्वी। बहुत तेजवान्। | 
			
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				| महौजा (जस्)					 : | वि० [सं० महत्-ओजस्, ब० स०] बहुत अधिक तेजस्वी। पुं० एक असुर जो काल का पुत्र था। | 
			
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				| महौली					 : | स्त्री० [देश] एक प्रकार का वृक्ष जिसकी लकड़ी इमारत के काम आती है। | 
			
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				| महौषध					 : | पुं० [सं० महत्-औषध, कर्म० स०] १. बहुत बड़ी और प्रायः पूरा गुण दिखानेवाली औषधि। २. भुंजित खर। भूम्माहुल्य। ३. सोंठ। ४. लहसुन। ५. बाराही कन्द। गेंठी। बछनाग। ६. पीपल। ७. अतीस। | 
			
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				| महौषधि					 : | स्त्री० [सं० महती-औषधि, कर्म० स०] १. कुछ विशिष्ट औषधियों का चूर्ण जो महास्नान या अभिषेकादि के जल में मिलाया जाता है। २. दूब। ३. संजीवनी। ४. लजालू नाम की लता। | 
			
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				| महौषधी					 : | स्त्री० [सं० महती-औषधि, कर्म० स०] १. सफेद भटकटैया। २. ब्राह्मणी। ३. कुटकी। ४. अतिबला। ५. हिल मोचिका। | 
			
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				| मह्यो					 : | पुं० [हिं० मही] मट्ठा। छाछ। | 
			
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