| शब्द का अर्थ | 
					
				| मीर					 : | पुं० [सं०√मी (फेंकना)+रन्] १. समुद्र। २. पहाड़। पर्वत। ३. सीमा। हद। ४. जल। पानी। पुं० [फा० अमीर का लघु रूप] १. नेता० सरदार। २. किसी वर्ग का प्रधान या मुख्य व्यक्ति। ३. इस्लाम धर्म का आचार्य। ४. सैयदों की उपाधि। ५. विजेता। ६. बादशाह (ताश का) ७. उर्दू के एक प्रसिद्ध कवि। | 
			
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				| मीर अर्ज					 : | पुं० [फा० मार+अ० अर्ज] मध्ययुग में वह कर्मचारी जो लोगों की अर्जिया बादशाह तक पहुँचाता था। | 
			
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				| मीर आतिश					 : | पुं० [फा०] मुगल शासन में तोपखाने का प्रधान अधिकारी। | 
			
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				| मीरजा					 : | पुं० [फा०] [स्त्री० मीरजादी] १. किसी मीर (अमीर या सरदार) का लड़का। २. मुगल बादशाहों की एक उपाधि। ३. सैयद मुसलमान की एक उपाधि। ४. दे० ‘मिरजई’ (कुरती)। | 
			
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				| मीरजाई					 : | स्त्री० [फा०] १. मीरजा होने की अवस्था या भाव। २. मीरजा की उपाधि या पद। ३. अमीरों या शाहजादों का सा ऊँचा दिमाग, रहन-सहन और स्वभाव। ५. अभिमान। घमंड। ६. दे० ‘मिरजई’ (कुरती)। | 
			
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				| मीर-तुजक					 : | पुं० [फा० मीर+तु० तुजुक] सेनापति। | 
			
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				| मीर-दहाँ					 : | पुं० [अ+फा०] पुराने-राज-दरबारों का वह चोबदार जो राजाओं, बादशाहों अथवा उनके सम्बन्धियों आदि के आने से पहले दरबारियों को इसीलिए पुकार कर सूचना देता था कि वे आदर-सत्कार करने या उठ खड़े होने के लिए तैयार हो जायँ। | 
			
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				| मीरदा					 : | पुं० [?] १. दक्षिण भारत में रहनेवाले गड़ेरियों की एक जाति। २. उक्त जाति का व्यक्ति। | 
			
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				| मीर-फर्श					 : | पुं० [फा०] १. वे पत्थर जो बड़े-बड़े फर्शों या बिछाई हुई चाँदनियों आदि के चारों कोनों पर इसलिए रखे जाते हैं कि हवा से वे उड़ने न पावें। २. ऐसा निकम्मा और सुस्त व्यक्ति जो एक जगह चुपचाप बैठा रहे। कुछ काम धन्धा न करे। (व्यंग्य)। | 
			
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				| मीर-बख्शी					 : | पुं० [फा०] मुस्लिम शासन-काल में वेतन बाँटनेवाला कर्मचारी। | 
			
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				| मीर-बहर					 : | पुं० [अ० मीर बह्र] जलसेना का प्रधान। नौ-सेनापति। | 
			
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				| मीर-बार					 : | पुं० [फा०] मुसलमानी शासनकाल में वह अधिकारी जो किसी को बादशाह के सामने उपस्थित होने की आज्ञा देता था। | 
			
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				| मीर-भुचड़ी					 : | पुं० [फा० मीर+हिं० भुचड़ी] एक कल्पित पीर जिसे हिजड़े पूजते तथा अपना गुरु मानते हैं। इसे पीर-भुचड़ी भी कहते हैं। | 
			
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				| मीर-मंजिल					 : | पुं० [फा० मीर+मंजिल] वह कर्मचारी जो सेना के पहुंचने से पहले पड़ाव पर पहुँचकर ठहरने आदि की सब प्रकार की व्यवस्था करता था। | 
			
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				| मीर-मजलिस					 : | पुं० [अ] मजलिस या सभा का प्रधान। सभापति। | 
			
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				| मीर-महल्ला					 : | पुं० [फा० मीर+अ० महल्ला] मुहल्ले का मुखिया। | 
			
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				| मीर-मुंशी					 : | पुं० [फा० मीर+अ० मुंशी] कार्यालय के मुशियों के वर्ग का प्रधान। | 
			
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				| मीर-शिकार					 : | पुं० [अ०] वह प्रधान कर्मचारी जो अमीरों या बादशाहों के शिकार की व्यवस्था करता था। | 
			
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				| मीर-सामान					 : | पुं० [अ० मीर+फा०सामाँ] खानसामाँ। | 
			
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				| मीरास					 : | स्त्री० [अ०] १. बाप-दादा से मिली हुई सम्पत्ति। बपौती। २. वंश-परंपरा के गुजारे के लिए किसी को दी जानेवाली जमीन। | 
			
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				| मीरासी					 : | पुं० [अ० मीरास] [स्त्री० मीरासिन] एक प्रकार के मुसलमान भाँड़ जो प्रायः पंजाब में रहते हैं। इनकी स्त्रियाँ गाने-नाचने का पेशा करती हैं। | 
			
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				| मीरी					 : | स्त्री० [अ०] १. अमीर होने की अवस्था या भाव। २. मीर अर्थात् प्रतियोगिता में विजेता होने की अवस्था या भाव। पुं० खेल या प्रतियोगिता में मीर होनेवाला व्यक्ति। मीर। | 
			
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