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मुर्री  : स्त्री० [हिं० मुड़ना या मरोड़ना] १. धागे, सूत आदि के दो सिरों को जोड़ने का एक प्रकार जिसमें उनमें गाँठ नहीं लगाई जाती बल्कि उन्हें मिलाकर मरोड़ भर दिया जाता है। २. कपड़ों आदि को मरोड़कर उनमें डाला जानेवाला बल। जैसे—धोती कमर पर मुर्री देकर पहनी जाती है। क्रि० प्र०—देना। मुहावरा—मुर्री देना= (क) कपड़ा फाड़ते समय उससे फटे हुए अंशों को दोनों ओर बराबर घुमाते या मोड़ते जाना जिसमें कपड़ा बिलकुल सीधा फटे। (बजाज) ३. कपड़े आदि को मरोड़कर बटी हुई बत्ती। जैसे—मुर्री का नैचा। ४. चिकन या कशीदे की एक प्रकार की उभारदार कढ़ाई जिसमें बटे हुए सूत का व्यवहार होता है स्त्री० [?] एक प्रकार का जंगली लकड़ी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मुर्रीदार  : वि० [हिं० मुर्री+फा० दार (प्रत्यय)] जिसमें मुर्री पड़ी हो। ऐंठनदार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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