| शब्द का अर्थ | 
					
				| मूला					 : | स्त्री० [सं० मूल+टाप्] १. सतावर। २. मूल नामक नक्षत्र। ३. पृथ्वी (डि०) स्त्री० [हिं० मूली] बहुत बड़ी और मोटी मूली। स्त्री०=मूली। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| मूलांश					 : | पुं० [सं० मूल+अंश] १. किसी वस्तु का मूल अंश या तत्त्व। २. वह मूल अंश जो आधार के रूप में हो और जिसके ऊपर किसी प्रकार की विस्तृत रचना या विकास हुआ हो। (बेस) | 
			
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				| मूलाधार					 : | पुं० [मूल-आधार, ष० त०] हठयोग में माने हुए मानव शरीर के अन्दर के छः चक्रों में से एक चक्र जिसका स्थान अग्नि-चक्र के ऊपर गुदा और श्शिन के मध्य में होता है। विशेष—यह चार दलोंवाला और लाल रंग का कहा गया है, और इसके देवता गणेश माने गये हैं। कहते हैं कि इसे सिद्ध कर लेने पर मनुष्य सब विद्याओं का ज्ञाता हो जाता है और सदा प्रसन्न तथा स्वस्थ रहता है। | 
			
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				| मूलार्थ					 : | पुं० [सं० मूल+अर्थ, एक प्रकार का क्वाथ] होमियोपैथी चिकित्सा में किसी ओषधि का वह मूल रस या सार जिससे आगे चलकर चिकित्सा के लिए अधिक शक्तिवाले रूप प्रस्तुत किये जाते हैं (मदर टिंचर)। | 
			
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