| शब्द का अर्थ | 
					
				| मैर					 : | स्त्री० [सं० मृदर, प्रा० मिअर=क्षणिक] रह-रहकर होनेवाली वह कसक जो शरीर में साँप का जहर प्रविष्ट होने पर होती है। | 
			
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				| मैरा					 : | पुं० [सं० मयर, प्रा० मयड़] खेत में स्थित मचान। | 
			
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				| मैरीन					 : | पुं० [अं०] १. नौ-सेना। २. नौ-सैनिक। वि० समुद्र-सम्बन्धी। समुद्री। | 
			
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				| मैरेय					 : | स्त्री० [मार+ढक्-एय, नि० सिद्धि] १. गुड़ और धौ के फूल की बनी हुई एक प्रकार की प्राचीन काल की मदिरा। २. एक में मिला हुआ आसव और मद्य जिसमें ऊपर से शहद भी मिला दिया गया हो। ३. मदिरा। शराब। | 
			
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