शब्द का अर्थ
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मोक्ष :
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पुं० [सं०√मोक्ष् (छुटकारा)+घञ्] १. बंधन से छूटना। मुक्त होना। छुटकारा। २. धार्मिक क्षेत्र में वह अवस्था या स्थिति जिसमें मनुष्य, दुष्कर्मों पापों आदि से रहित होने के कारण बार-बार संसार में आकर जन्म लेने और मरने के कष्टों से छूट जाता है। आवागमन से मिलनेवाली मुक्ति। ३. मृत्यु। मौत। ४. गिरना। पतन। ५. पाढर का वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
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मोक्षक :
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वि० [सं०√मोक्ष्+ण्वुल्+अक] मोक्ष-दायक। पुं० मोखा नामक वृक्ष। |
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मोक्षण :
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पुं० [सं०√मोक्ष्+ल्युट-अन] [वि० मोक्षणीय, मोक्षित, मोक्ष्य] मोक्ष देने की क्रिया या भाव। |
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मोक्षद :
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वि० [सं० मोक्ष√दा (देना)+क] मोक्ष-दायक। |
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मोक्षदा :
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स्त्री० [सं० मोक्षद+टाप्] अगहन सुदी एकादशी की संज्ञा। |
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मोक्ष-देव :
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पुं० [सं०] चीनी यात्री ह्वेनसांग का एक भारतीय नाम। |
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मोक्ष-द्वार :
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पुं० [सं० ष० त०] १. सूर्य। २. काशी तीर्थ। |
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मोक्ष-पति :
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पुं० [सं० ष० त०] ताल के साठ मुख्य भेदों में से एक भेद। इसमें १६ गुरु, ३२ लघु और ६४ द्रुत मात्राएँ होती हैं। |
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मोक्ष-विद्या :
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स्त्री० [सं० ष० त०] अध्यात्म-विद्या। |
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मोक्ष-शिला :
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स्त्री० [सं० ष० त०] वह लोक जिसमें जैन धर्मावलंबी साधु पुरुष मोक्ष का सुख भोगते हैं। (जैन)। |
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मोक्ष्य :
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वि० [सं० मोक्ष+यत्] १. जिसका मोक्षण हो सकता हो। जो छूट सकता हो, छुड़ाया जा सकता हो या छुड़ाया जाने को हो। २. जो धार्मिक दृष्टि से मोक्ष या मुक्ति पाने का अधिकारी हो चुका हो। |
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