| शब्द का अर्थ | 
					
				| यजुर्वेद					 : | पुं० [सं० ष० त० या कर्म० स०] भारतीय आर्यों के चार प्रसिद्ध वेदों में से दूसरा वेद जिसमें यज्ञ-कर्मों का विस्तृत विवेचन और यज्ञ संबधी गद्य मंत्रों का संग्रह है, और इसीलिए जो वेदत्रयी का आधार माना जाता है। विशेष—यह वेद दो शाखाओं में विभक्त है—(क) तैतिरीय या कृष्ण यजुर्वेद और (ख) वाजसनेयि या शुक्ल यजुर्वेद। पुराणों में वेद के अधिपति शुक्र और वक्ता वैशम्पायन कहे गये हैं। | 
			
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				| यजुर्वेदी (दिन्)					 : | पुं० [सं० यजुर्वेद+इनि] १. वह जो यजुर्वेद का ज्ञाता हो। २. यजुर्वेद के विधानों का अनुयायी। वि० यजुर्वेद-संबंधी। | 
			
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