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			| शब्द का अर्थ |  
				| योग-माया					 : | स्त्री० [सं० मयू० स०] १. दार्शनिक और धार्मिक सूत्रों में ईश्वर या ब्रह्म की वह माया, जिससे नाम, गुण और रूप से युक्त यह सारी सृष्टि बनी है और जिसके अन्दर ईश्वर या ब्रह्म का तत्त्व छिपा हुआ व्याप्त है। २. पुराणानुसार यशोदा के गर्भ से उत्पन्न वह कन्या जिसे वसुदेव ले जाकर देवकी के पास रख आये थे और जिसके बदले में श्रीकृष्ण को उठा लाये थे कंस ने इसी को देवकी की संतान समझकर जमीन पर पटककर मार डालना चाहा था और यही अष्टभुजा देवी का रूप धारण करके कंस को चेतावनी देती हुई ऊपर उठकर आकाश में विलीन हो गई थीं। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |